औरत (एक दृष्टि) Ranjana Jaiswal द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें महिला विशेष किताबें औरत (एक दृष्टि) औरत (एक दृष्टि) Ranjana Jaiswal द्वारा हिंदी महिला विशेष 579 1.6k औरत को हीन मानना समाज के संस्कारों में रच-बस गया है ,दिलो-दिमाग पर हावी है जहां से उसे खुरच कर हटाना और इसी खुरची हुई जगह पर नयी इबारत लिखना आसान नहीं है ,इसके लिए वक्त भी बहुत चाहिए ...और पढ़ेउसे शूद्र –गंवार –ढ़ोर –पशु समझकर पीटिए या उसमें देवता का निवास है ,इसलिए उसकी पूजा कीजिए |आज स्त्री जहां खड़ी है ,वहाँ से निकलने में पता नहीं उसे कितना वक्त लगेगा |जानबूझकर हो या अनजाने में ,मर्द में एक उच्चता की भावना बचपन से ही विकसित करा दी जाती है और बड़े होने पर जब स्त्री समानता की बात कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें औरत (एक दृष्टि) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Ranjana Jaiswal फॉलो