अखबार वाला Mayank Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें अखबार वाला अखबार वाला Mayank Saxena द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 966 4.3k "न्यूज़ पेपर, न्यूज़ पेपर" हमेशा की तरह रट लगाते हुए 'श्लोक' ने श्याम बाबू के घर पर दस्तक दी। श्लोक अखबार दरवाज़े पर रखकर जा ही रहा था कि अचानक से घर का प्रवेश द्वार खुला। आज अखबार उठाने ...और पढ़ेसुन्दर युवती आई थी। साँवली और आकर्षक काया, सुन्दर नयन-नक्श, घुँघराले बाल और गुलाबी होंठ की स्वामिनी वह 'प्रिया' थी। श्लोक पल भर के लिए वहीँ ठहर सा गया। प्रिया को श्लोक के उसकी ओर देखने का एहसास हुआ अतः वह क्रोधित होकर बड़बड़ाती हुई दरवाज़ा बंद करके अंदर को चली गई। श्लोक अभी भी सम्मोहित सा द्वार की ओर कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अखबार वाला अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Mayank Saxena फॉलो