bat ka btangad book and story is written by राज बोहरे in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. bat ka btangad is also popular in Philosophy in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. कपूत बेटा राज बोहरे द्वारा हिंदी मनोविज्ञान 3 1.9k Downloads 9.5k Views Writen by राज बोहरे Category मनोविज्ञान पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण दफ्तर में सबसे बड़ी चिकचिक हुई थी इसलिए सर बिना रहा था । वह दफ्तर से बाहर निकल कर सड़क पर यूं ही खड़ा हो गया था। रिस्ट वॉच पर निगाह डाली तो पता लगा कि शाम हो चुकी है । झल्लाते हुए सोचा कि हमारे देश में कैसा है यह दफ्तरी जीवन ? न सुबह होते मालूम होती है ,ना शाम होती जान पड़ती! बस एक ही खटराग में उलझे रहो- दफ्तर ,अफ़सर और दफ्तर की नस्तियां !मन को विचारों से छुटकारा देकर मैंने घर की ओर कदम बढ़ाए । घर के पास आते ही जैसा कि हर बार More Likes This Successful MAD Tips द्वारा Ashish भय - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सबा - 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil चुप्पियों का कथाकार - अर्नेस्ट हेमिंग्वे द्वारा Dr Jaya Shankar Shukla जागृति आवाहन द्वारा Rudra S. Sharma जीवन कैसे जिएं? - 1 द्वारा Priyanshu Jha VIRUS द्वारा ANKIT YADAV अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी