तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 14 S Bhagyam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 14 तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 14 S Bhagyam Sharma द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 291 762 अध्याय 14 आकाश में चंद्रमा दिख रहा था। आकाश में नवरत्नों को बिखेर दिया हो ऐसे नक्षत्र चमक रहे थे। पेड़ के नीचे खटिए पर मोती लेटा था। ‘उन्होंने मुझे चाहा होगा पर मैंने कसम से उन्हें नहीं चाहा। ...और पढ़ेके मंदिर में गीता की शादी को रोकने के लिए पुलिस के साथ जब गया तब गीता ने जो बातें बोली उसे मैं भूल नहीं पा रहा ।’ उन्होंने मुझे चाहा होगा। परंतु कसम से मैंने उन्हें नहीं चाहा। उसके मन के अंदर यही बात बार-बार गूंज रही थी । चाकू से वार किया जैसे दर्द हो रहा था। इस कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें तुम्हारे दिल में मैं हूं? - उपन्यास S Bhagyam Sharma द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (113) 10.1k 21.3k Free Novels by S Bhagyam Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ S Bhagyam Sharma फॉलो