रामचरितमानस-रत्नावली का मानस ramgopal bhavuk द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें आध्यात्मिक कथा किताबें रामचरितमानस-रत्नावली का मानस रामचरितमानस-रत्नावली का मानस ramgopal bhavuk द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 96 612 4 रत्नावली का मानस रामगोपाल भावुक अस्थि चर्म मय देह मम, तामे ऐसी प्रीति। जो होती श्रीराम में, होत न तो भवभीति।। कर गह लाये नाथ तुम, बाजन वहु बजवाय। पदहु न परसाए तजत, रत्नावलि हि जगाय।। कटि ...और पढ़ेछीनी कनक सी, रहत सखिन संग सोय। और कटे को डर नहिं, अन्त कटे डर हाय ।। गोस्वामी तुलसी दास’की धर्मपत्नी रत्नावली के दोहों से हमने उनके जीवन में झँकने का प्रयास किया हैे। इन्हें पढ़कर रत्नावली के बारे में कथ्य प्रस्फुटित होने लगता हैं। 00000 रत्नावली के पिताजी का नाम दीनबन्धु पाठक था। उनके कोई लड़का न था। कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ ramgopal bhavuk फॉलो