जनजीवन - 2 Rajesh Maheshwari द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें जनजीवन - 2 जनजीवन - 2 Rajesh Maheshwari द्वारा हिंदी कविता 108 480 दूध और पानी प्रभु ने पूछा- नारद! भारत की संस्कारधानी जबलपुर की ओर क्या देख रहे हो? नारद बोले- प्रभु ! देख रहा हूँ गौ माता को नसीब नहीं है चारा, भूसा या सानी, बेखौफ मिलाया जा रहा ...और पढ़ेदूध में पानी। स्वर्ग में नहीं मिलता देखने ऐसा बुद्धिमत्तापूर्ण हुनर, मैं भी इसे सीखने जा रहा हूँ धरती पर। प्रभु बोले- पहले अपना बीमा करवा लो अपने हाथ और पैर मजबूत बना लो। ग्वाला तो गाय लेकर भाग जाएगा, अनियंत्रित यातायात में कोई कार या डम्पर वाला तुम्हें टक्कर मारकर यमलोक पहुँचाएगा। दूध को छोड़ो और अपनी सोचो यहाँ कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें जनजीवन - उपन्यास Rajesh Maheshwari द्वारा हिंदी - कविता 933 4.7k Free Novels by Rajesh Maheshwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Rajesh Maheshwari फॉलो