મારા કાવ્ય - 2 Nikita panchal द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें મારા કાવ્ય - 2 મારા કાવ્ય - 2 Nikita panchal द्वारा हिंदी कविता 96 453 1. झूठबस जीना है अब इस झूठ के साथ,तू मौजूद है मेरी हर रूह के साथ ,झूठ अपनी जुबां को कहें ने देते ,हमें उस झूठ में ही अब रहने देते.वो तुम्हारा प्यार नहीं था एक झूठ था ,मुझे ...और पढ़ेझूठ में ही जीने देते में खुश थी.झूठ जुबां को कहें ने देते में खुश थी ,तेरे हर झूठ से ही हमें इतना प्यार था.तुम झूठ भी कहेटे तो भी हमें सच लगता ,तेरे हर सच से हमें नफरत है अब दिलबर.वो तेरा प्यार नहीं था एक धोखा ही था ,हमें उस धोखे में ही रहने देते में खुश थी.बस कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें મારા કાવ્ય - उपन्यास Nikita panchal द्वारा हिंदी - कविता (17) 272 1.5k Free Novels by Nikita panchal अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Nikita panchal फॉलो