बेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! rajendra shrivastava द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें बेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! बेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! rajendra shrivastava द्वारा हिंदी कविता 147 1.2k बेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! --- 1 --- बेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! तुम गौरव हो मेरा, विकल जीवन हो मेरा, संसार सागर लांघकर, सुसंस्कारों में बॉंधकर, परम्पराओं की डोली में बैठा रहा ...और पढ़ेबेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! -- 2 – हम पुतलों को, मुड़कर न देखना, रोते मन को रूऑंसा न करना, तुम्हें परम्परागत सुसज्जित कर, भीतर मन में धीरज रख कर, विव्हलता-विवशता की सीमा में, कलेजे से तुम्हें अलग कर रहा हूँ, बेटी! तुम्हें विदा कर रहा हूँ!! --- 3 --- शिराओं में कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ rajendra shrivastava फॉलो