कोख padma sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें कोख कोख padma sharma द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 153 402 कोख समता उठी तो दिन कुछ ज्यादा ही चढ़ आया था। सास नयनादेवी रसोई की तरफ जा रही थी। समता ने जल्दी से उनके पैर छुए। नयनादेवी ने अपनी भृकुटी केा तनिक ढीला छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुदबुदाना शुरू ...और पढ़े- ‘‘पुत्रवती भव , सौभाग्यवती भव ।’’ फिर उसने बढ़कर जेठानी के पैर छुए। उन्होनें भी आशीर्वाद दिया - ‘‘ दूधो नहाओ पूतो फलो ।’’ समता धीरे से बोली -‘‘दीदी आज मुझे रसोई में नहीं जाना है’’ यह वाक्य सुनते ही नयनादेवी के कदम ठिठक गये वे कुछ तल्ख आवाज में बोली - ‘‘ तुम्हारे साथ ही अरविंद के दोस्त कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ padma sharma फॉलो