उजाले की ओर - 5 Pranava Bharti द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेरक कथा किताबें उजाले की ओर - 5 उजाले की ओर - 5 Pranava Bharti द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 2.3k 6.8k उजाले की ओर-5 ---------------- आ.व स्नेही मित्रो नमस्कार बहुत सी बार लोगों को लगता है कि अधिक बहस न करने वाला तथा बात को चुप्पी में दबाकर ...और पढ़ेवाला मनुष्य सरल,सहज नहीं मूर्ख होता है | मित्रो !यह बात सही है क्या?मुझे लगता है कि वह सरल,सहज होता है किन्तु संवेदनशील होने के कारण किसीको ग़लत बातों से नहीं नवाज़ता | वह सब समझते हुए भी चुप्पी को ही ढाल बना लेता है | वह सोचता है कि यदि मूर्ख बने रहना शांति बनाए रखने में सहायक होता है तो मूर्ख बने रहने में ही सबका लाभ कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें उजाले की ओर - 5 उजाले की ओर - उपन्यास Pranava Bharti द्वारा हिंदी - प्रेरक कथा (258) 95.9k 332k Free Novels by Pranava Bharti अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Pranava Bharti फॉलो