जय हो बकरी माई Ajay Amitabh Suman द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें जय हो बकरी माई जय हो बकरी माई Ajay Amitabh Suman द्वारा हिंदी कविता 476 4.2k (१) जय हो बकरी माई बकरी को प्रतीक बनाकर मानव के छद्म व्यक्तित्व और बाह्यआडम्बर को परिभाषित करती हुई एक हास्य व्ययांगात्म्क कविता। सच कहता हूँ बात बराबर,सुन ले मेरे भाई,तुझसे लाख टके ...और पढ़ेबेहतर तेरी बकरी माई।तू मेरा दिमाग चबाये, और बकरी ये पत्ता,तू बातों से मुझे पकाए बात बुरी पर सच्चा। घर की बकरी से घर का भोजन चलता है सारा,पर बकरी का दाना पानी घास पात हीं चारा।जो तेरे सर हाथ फिराए सिंग नहीं पर मारे सिंग,बकरी तो दे दूध बेचारी क्या रात हो क्या हो दिन। तेरी शादी का क्या भैया पैसे का कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें जय हो बकरी माई अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Ajay Amitabh Suman फॉलो