akelapan book and story is written by RAJNI in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. akelapan is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. अकेलापन Rajni Gosain द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 9.7k 3.6k Downloads 26.8k Views Writen by Rajni Gosain Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण वह अलसाया सा बिस्तर पर लेटा था! नींद तो उसकी सुबह ही चिड़ियों की चहचहाट से कब की खुल चुकी थी! दूर पहाड़ियों के पीछे उगते सूरज की किरणे खिड़की से छन कर उस तक पहुंच रही थी! जैसे उस से कह रही हों "उठो सुबह हो गई! कब तक यूँ ही लेटे रहोगे!" और वह उन किरणों को जवाब देता "क्या करूंगा उठकर! मेरा कोनसा कारोबार ठप्प हो रहा हैं!" इधर कुछ दिनों से वह अपने आस पास मौजूद मूक सजीव और निर्जीव चीजों से मन ही मन बातें करने लगा था! कभी वह पेड़ों से बतियाता! कभी पार्क More Likes This देवर्षि नारद की महान गाथाएं - 1 द्वारा Anshu पवित्र बहु - 1 द्वारा archana ज़िंदगी की खोज - 1 द्वारा Neha kariyaal अधूरा इश्क़ एक और गुनाह - 1 द्वारा archana सुकून - भाग 1 द्वारा Sunita आरव और सूरज द्वारा Rohan Beniwal विक्रम और बेताल - 1 द्वारा Vedant Kana अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी