दुःख या अवसाद Roopanjali singh parmar द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें मनोविज्ञान किताबें दुःख या अवसाद दुःख या अवसाद Roopanjali singh parmar द्वारा हिंदी मनोविज्ञान 736 4.5k कुछ लोग इतने दुःखी होते हैं, कि जरा सी बातें ही इनकी आंखों को भर देती हैं। दुःख इस हद तक इनमें शामिल होता है कि ये सुख और दुःख के भेद को समझना भूल चुके होते हैं। इन्हें ...और पढ़ेही नहीं चलता कब ये मुस्कुराते हुए रोने लगते हैं, और कब रोते-रोते मुस्कुरा जाते हैं।मैंने अधिकांश लोगों को कहते सुना है.. "ख़ुश रहा करो"..ये जो "ख़ुश रहा करो" होता है ना।। ये खुश रहना किसी दुःखी इंसान के लिए एक सपने जैसा है।"ज़्यादा सोचो मत","आदत हो जाएगी","वक़्त बहुत बड़ा मरहम है","तुम ठीक रहोगे, तो सब ठीक रहेंगे""बात-बात में रोया कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें दुःख या अवसाद अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Roopanjali singh parmar फॉलो