Lat ka gulaam book and story is written by Vijay Singh Tyagi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lat ka gulaam is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. लत का गुलाम Vijay Singh Tyagi द्वारा हिंदी लघुकथा 10 1.6k Downloads 7k Views Writen by Vijay Singh Tyagi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण लत का गुलाम अगहन का महीना था, सर्दी पड़नी शुरू हो गई थी। फसल पानी मांग रही थी, तभी आसमान में घटा होने लगी। शायद वर्षा हो, ऐसा लगने लगा था। इसी इंतजार में आसमान की तरफ देखते-देखते कई दिन बीत गए। फिर एक दिन सुबह को हेता ने अपने दोनों बेटों से कहा - "अब तौ भइया मेह बरसतौई नांय दीखै है, बादरन की मांई देखत-देखत कई दिन ह्वै गए। अब गेहूं बिगरन लगंगे । या ते तो आज तुम दौनों भइया जायकै नाली छीलिआऔ , कल ते गेंहून में पानी लगायनौ शुरू कर दइयों।"अगले दिन सुबह हेता More Likes This सनातन - 2 द्वारा अशोक असफल वो यादगार लम्हे, वो सच्ची दोस्ती द्वारा R B Chavda दादीमा की कहानियाँ - 2 द्वारा Ashish My Devil Hubby Rebirth Love - 46 द्वारा Naaz Zehra अकेलापन द्वारा Kahani Sangrah मझली दीदी द्वारा S Sinha बुजुर्गो का आशिष - 2 द्वारा Ashish अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी