राय साहब की चौथी बेटी - 2 Prabodh Kumar Govil द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें राय साहब की चौथी बेटी - 2 राय साहब की चौथी बेटी - 2 Prabodh Kumar Govil द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (19) 10.9k 17.2k राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 2 इंसान ज़िन्दगी में जो कुछ भी करता है वो लोगों के लिए! लोग क्या कहेंगे, लोग क्या सोचेंगे... और ये नामुराद "लोग" ही कभी - कभी नज़र लगा देते हैं। ...और पढ़ेका कुछ हो जाता है। अगर किसी के साथ कुछ अच्छा हो रहा हो तो इन "लोगों" की ही आंखें फ़ैल जाती हैं। इंसान इनकी कुढ़न - ईर्ष्या से बिगड़े काम को अपना नसीब मान कर चुपचाप बैठ जाता है। आख़िर करे भी तो क्या? लेकिन इसमें लोगों का क्या दोष? अगर अच्छा हमारे नसीब से हो रहा है तो बुरा कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें राय साहब की चौथी बेटी - 2 राय साहब की चौथी बेटी - उपन्यास Prabodh Kumar Govil द्वारा हिंदी - सामाजिक कहानियां (279) 87k 169.5k Free Novels by Prabodh Kumar Govil अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Prabodh Kumar Govil फॉलो