इश्क़ की इन्तेहां सोनू समाधिया रसिक द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें इश्क़ की इन्तेहां इश्क़ की इन्तेहां सोनू समाधिया रसिक द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (13) 563 1.7k लेखक :_सोनू समाधिया रसिक ??"छोड़ो न अवि कोई देख लेगा। ""देख लेने दो। अब तुम मेरी हो और मेरा हक़ है प्यार करने का।" - अविनाश ने दिव्या को अपनी बाहों में खींचते हुए कहा।"मगर ऎसे प्यार कौन करता ...और पढ़े- छिप कर प्यार करने का मज़ा ही कुछ और है, है न!""अवि! एक बात पूछूँ।" - दिव्या ने अविनाश की गले में हाथ डालते हुए कहा।" हाँ, पूछो न, वैसे भी तुम मेरी मंगेतर हो और हर बात जानने का तुम्हारा हक़ भी बनता है।""क्या तुम मुझे हमेशा इस तरह प्यार करोगे, शादी के बाद भी। "-दिव्या ने नर्वस कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ सोनू समाधिया रसिक फॉलो