कहानी "अनुराधा" के इस भाग में विजय अपने नए मकान में बस गया है और उसे विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वह अपने अधीनस्थ विनोद को गुमाश्ता नियुक्त करता है, लेकिन चटर्जी परिवार की प्रतिष्ठा के कारण पैसे वसूलने में कठिनाई होती है, जिससे लोग परेशान हैं। विजय की मित्रता संतोष नामक एक छोटे लड़के के साथ हो जाती है, जो सामाजिक स्तर में उससे अलग है, लेकिन दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। विजय अपने काम में इतना व्यस्त है कि वह संतोष की देखभाल नहीं कर पाता। एक दिन, जब विजय को संतोष का ध्यान नहीं आता, तो वह संतोष की अनुपस्थिति को लेकर चिंतित हो जाता है और अपने नौकर से उसकी जानकारी मांगता है। कहानी इस बात पर समाप्त होती है कि विजय संतोष के खाने-पीने की चिंता करता है और उसे अपने साथ बैठाने की योजना बनाता है।
अनुराधा - 3
Sarat Chandra Chattopadhyay
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
बाबुओं के मकान पर पूरा अधिकार करके बिजय जमकर बैठ गया। उसने दो कमरे अपने लिए रखे और बाकी कमरो में कहचरी की व्यवस्था कर दी। विनोद धोष किसी जमाने में जमींदार के यहां काम कर चुका थी. इसलिए उसे गुमाश्ता नियुक्त कर दिया, लेकिन झंझट नहीं मिटे। इसका कारण यह था कि गगन चटर्जी रुपये वसूल करने के बाद हाथ-से-हाथ रसीद देना अपना अपमान समझता था। क्योंकि इससे अविश्वास की गंध आती है जो कि चटर्जी वंश के लिए गौरव की बात नहीं थी, इसलिए उसके अन्तर्ध्यान होने के बाद प्रजा संकट में फंस गई है। मौखिक साक्षी और प्रमाण ले लेकर लोग रोजाना हाजिर हो रहे हैं।
लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विव...
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