यह कहानी रानो नाम की लड़की के बारे में है, जो एक मेले में परी के कपड़े पहने हुए है। वह चारों ओर देखने में मग्न है और उसे वहाँ की सजावट और वातावरण बहुत भाता है। रानो ने पहले कभी ऐसी रोशनी और सजावट नहीं देखी थी, जो उसे केवल टीवी पर दिखाई देती थी। उसे वहां मौजूद अन्य लोगों, खासकर लल्लू चाचा और हरि भाइया पर हंसी आती है, जो रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर घूम रहे हैं। रानो का मन मेले में घूमने और खाने-पीने की चीजों को आजमाने का है, लेकिन वह अपने पैरों में मच्छरों के काटने से परेशान है। वह परी के रूप में खड़ी है, सफेद फ्रॉक और चमचमाते मुकुट के साथ, जबकि उसके मोहल्ले के लोग द्वारपाल की वेशभूषा में खड़े हैं। उसे अपनी उपस्थिति पर गर्व है, लेकिन वह कमली नाम की लड़की से जलती है, जो हमेशा परी बनती है। कहानी में यह भी बताया गया है कि कमली बीमार पड़ गई है, जिससे रानो को यह मौका मिला है। अब रानो को इस अवसर का लाभ उठाना है, जबकि उसके मोहल्ले के लोग ठेकेदार को किसी और लड़की से बदलने की कोशिश कर रहे हैं। रानो की यह चाहत है कि वह इस मेले में परी बनकर अपने सपनों को पूरा करे। परी....! Sapna Singh द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 12 3.7k Downloads 12.6k Views Writen by Sapna Singh Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण वह आंखे फाड़-फाड़ कर चारों ओर देख रही थी । . कुछ देर तो लगा था । आंखे चुधियां सी गई हैं । ऐसी रोशनी .. ऐसी सजावट सिर्फ टी.वी. सीरीयलों में देखा था। यहां सबकुछ वैसा ही तो था। वैसी ही सजावट, और वैसी ही सजी-धजी लड़कियों औरतों की रेलम पेल। हीरो जैसे दिखते आदमी जन । उसका बड़ा मन हो रहा था, वो भी भीतर जाकर घूमे। इस स्टाॅल से उस स्टॉल तक। कभी चाउमीन कभी बुढ़िया के बाल और बर्फ के रंगबिरंगे गोले खाये, पेप्सी मिराण्डा भी उसे ललचा रहे थे। उसे लल्लू चाचा और हरि भाइया से जलन हो रही थी । दोनों का रूप रंग देख पहले तो उसे खूब हंसी आई थी । कैसा मोटा फुला हुआ गुब्बारे जैसा लबादा पहने थे दोनों । बिल्कुल उस मिकी माउस के गद्दे जैसा जिसपर बच्चे उछल कूद मचा रहे हैं । More Likes This रुह... - भाग 8 द्वारा Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 द्वारा Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 द्वारा julfikar khan घात - भाग 1 द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 द्वारा Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha गाजा वार - भाग 1 द्वारा suhail ansari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी