परी....! Sapna Singh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें परी....! परी....! Sapna Singh द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (12) 752 2.5k वह आंखे फाड़-फाड़ कर चारों ओर देख रही थी । . कुछ देर तो लगा था । आंखे चुधियां सी गई हैं । ऐसी रोशनी .. ऐसी सजावट सिर्फ टी.वी. सीरीयलों में देखा था। यहां सबकुछ वैसा ही तो ...और पढ़ेवैसी ही सजावट, और वैसी ही सजी-धजी लड़कियों औरतों की रेलम पेल। हीरो जैसे दिखते आदमी जन । उसका बड़ा मन हो रहा था, वो भी भीतर जाकर घूमे। इस स्टाॅल से उस स्टॉल तक। कभी चाउमीन कभी बुढ़िया के बाल और बर्फ के रंगबिरंगे गोले खाये, पेप्सी मिराण्डा भी उसे ललचा रहे थे। उसे लल्लू चाचा और हरि भाइया से जलन हो रही थी । दोनों का रूप रंग देख पहले तो उसे खूब हंसी आई थी । कैसा मोटा फुला हुआ गुब्बारे जैसा लबादा पहने थे दोनों । बिल्कुल उस मिकी माउस के गद्दे जैसा जिसपर बच्चे उछल कूद मचा रहे हैं । कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Sapna Singh फॉलो