स्वराज के लिए Saadat Hasan Manto द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

स्वराज के लिए

Saadat Hasan Manto मातृभारती सत्यापित द्वारा हिंदी लघुकथा

मुझे सन याद नहीं रहा। लेकिन वही दिन थे। जब अमृतसर में हर तरफ़ “इन्क़िलाब ज़िंदाबाद के नारे गूंजते थे। इन नारों में, मुझे अच्छी तरह याद है, एक अजीब क़िस्म का जोश था.... एक जवानी.... एक अजीब क़िस्म ...और पढ़े


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