कहानी "दीप शिखा" में पेरुंदेवी की स्थिति बिगड़ती जा रही है, जिसके कारण उसे अंततः मनोरोग अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। वह पूरे समय बुदबुदाती और विधि के विधान पर रोती रहती है। उसकी बच्ची गीता उसके लिए एक सहारा बनती है, और पेरुंदेवी ने गीता के प्रति माँ के समान प्रेम प्रदर्शित किया। वह हर संभव कोशिश करती है कि गीता की देखभाल में कोई कमी न रह जाए, मानो वह उसकी असली माँ हो। पेरुंदेवी का प्रेम गीता के प्रति लगातार बढ़ता जाता है, और वह सोचती है कि यदि गीता की माँ होती, तो वह क्या करती। सारनाथन, गीता के पिता, अपनी बेटी को देखने आते हैं लेकिन उनके मन में चिंता और दुख भरा है। उनका बोलना कम हो गया है और वे अंदर से टूट चुके हैं। पेरुंदेवी उन्हें सांत्वना देने की कोशिश करती है, लेकिन सारनाथन उसे दूर कर देते हैं। कहानी में पेरुंदेवी का गीता के प्रति प्यार और सारनाथन का दुखद मनोबल उनके रिश्ते और परिस्थितियों को उजागर करता है। यह एक भावनात्मक यात्रा है, जहाँ पेरुंदेवी की कोशिशें और सारनाथन की चुप्पी कहानी में गहराई लाते हैं। दीप शिखा - 7 S Bhagyam Sharma द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 3k 3.3k Downloads 8.9k Views Writen by S Bhagyam Sharma Category प्रेम कथाएँ पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण उसकी स्थिती जब ज्यादा बिगड़ती गई तो फिर आखिर में उसे मनोरोग अस्पताल में भर्ती कर चिकित्सा करवानी पड़ी पेरुंदेवी पूरे समय बुदबुदाती रही सुबह शाम विधि के विधान को सोच रोती रही बच्ची गीता यदि उसके पास नहीं होती तो उसका कमजोर शरीर ये दुख सहन नहीं कर पाता बच्ची पर पेरूंदेवी का विशेष प्रेम उमड़ता रहा बिना कोई हिचकिचाहट के बच्ची की माँ जैसे ही उसने प्यार दिया उसकी देखरेख करने के हर छोटे-बड़े काम को उसने बड़े ही उत्साह के साथ किया भले ही उसे परेशानी हो पर बच्चे को नहीं हो इसका ध्यान रखती थी हर बात में वह सोचती उसकी माँ होती तो ऐसा करती मुझे भी ऐसा ही करना चाहिए ऐसा वह तन, मन, धन से करती उसके लालन-पालन में कोई कमी नहीं छोडी उसकी माँ होती तो क्या करती ऐसा सोच वह भी वही करती और जितना उसका ख्याल रखती उतना ही उसका प्यार बच्चे से बढ़ता जाता Novels दीप शिखा जो अपने ख्यालों को ही जीवन समझ लेता है उसका जीवन भी एकविचार ही बन कर रह जाता है उसमें कोई स्वाद या पूर्णता कहाँ से आएगी? संसार में आकर भी इस संसार को... More Likes This पहली नजर का पहला प्यार द्वारा PAYAL PARDHI कुछ पल अनजाने से - भाग 1 द्वारा Gunjan Banshiwal मैं तेरे प्यार में पागल - 1 द्वारा Bharti 007 चाहत -ए- तपिश - 1 द्वारा Unicorngirl दिल का रिश्ता - 1 द्वारा soni मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 1 द्वारा vikram kori Mafiya Boss - 1 द्वारा PAYAL PARDHI अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी