लोभिन - 3 Meena Pathak द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Lobhin द्वारा  Meena Pathak in Hindi Novels
वह सूनी आँखों से टुकुर-टुकुर पंखे को देख रही थी..आँखें धँस गयीं थीं..शरीर हड्डियों का पिंजर बन गया था..चमड़ी झूल कर लटक गयी थी..सिर पर सफ़ेद बालों की खू...

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