मन्नू की वह एक रात - 17 Pradeep Shrivastava द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें मन्नू की वह एक रात - 17 मन्नू की वह एक रात - 17 Pradeep Shrivastava द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (22) 2k 1.6k ‘पलक-पांवड़े बिछाए जिसका इंतजार करती रही वह जब आया तो पहले की ही तरह फिर गाली, दुत्कार अपमान मिला।’ ‘पहले ही दिन में ?’ ‘हां ..... पहले ही दिन में। जब आए तो रात को मैंने सोचा कि लंबे सफर से ...और पढ़ेहैं सो उनकी देवता की तरह खातिरदारी की। मगर उनका रूखा व्यवहार ज्यों का त्यों बना रहा। बंबई से फ़ोन पर ठीक से बात शायद उस कमीनी के सामने होने की वजह से कर ली थी। खैर रात मैंने यह सोच कर इनके बदन की खूब मालिश की कि लंबे सफर के कारण बहुत थक गए होंगे इससे इन्हें आराम मिलेगा। फिर बजाय मैं पहले की तरह दूसरे कमरे में जाने के इन्हीं के साथ लेट गई।’ कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें मन्नू की वह एक रात - उपन्यास Pradeep Shrivastava द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (660) 85.9k 63.6k Free Novels by Pradeep Shrivastava अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Pradeep Shrivastava फॉलो