पल जो यूँ गुज़रे - 10 Lajpat Rai Garg द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें पल जो यूँ गुज़रे - 10 पल जो यूँ गुज़रे - 10 Lajpat Rai Garg द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 1.4k 2.1k जब निर्मल चण्डीगढ़ आया तो हॉस्टल में कई लड़कों ने उससे पूछा, अरे भई, इतने दिन कहाँ रहे? उस द्वारा दादी के देहान्त का समाचार देने पर सभी ने औपचारिक शोक जताया। डिपार्टमेंट में भी उसके करीबी दोस्तों ने ...और पढ़ेदिन की उसकी अनुपस्थिति के बारे में पूछा। शाम होने के करीब उसने जाह्नवी को पत्र लिखना आरम्भ किया। सम्बोधन कई बार लिखा, काटा। उसको समझ नहीं आ रहा था कि सम्बोधन में क्या लिखे? जाह्नवी के घर के पते पर यह उसका प्रथम पत्र जाना था, इसलिये सम्बोधन को लेकर उसका मन दुविधग्रस्त था। इससे पहले जो पत्र उसने जाह्नवी को लिखे थे, वे तब लिखे थे जब वह दिल्ली में थी। अन्ततः उसने लिखाः कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें पल जो यूँ गुज़रे - उपन्यास Lajpat Rai Garg द्वारा हिंदी - सामाजिक कहानियां (239) 37.8k 49.2k Free Novels by Lajpat Rai Garg अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Lajpat Rai Garg फॉलो