इस कहानी में तीन गीतों का संग्रह है, जो प्रेम, यादों और भावनाओं की गहराइयों को व्यक्त करते हैं। **गीत-1 "कहूँ क्या प्रिये याद आने लगी हो"** में, कवि नई सुबह और सावन के आगमन के साथ अपने प्रिय की यादों का जिक्र करता है। वह बताता है कि किस तरह से प्रिय की यादें उसे गुदगुदाती हैं और उसकी रातें बिताने का कोई गिला नहीं है। कवि की आँखों में प्रिय की छवि बसी हुई है और वह हर जगह उसे महसूस करता है। **गीत-2 "पिया मिलन को तरसती होंगी"** में, कवि प्रिय के मिलन की तड़प को दर्शाता है। वह बरसात की फुहारों और नयनों में आसुओं के साथ प्रेमिका के इंतजार की व्यथा को व्यक्त करता है। कवि का कहना है कि जीवन अधूरा है प्रिय के बिना और वह मिलन की उम्मीद में हमेशा आंखें खोले रहता है। **गीत-3 "हम तो तुमसे ही प्यार कर बैठे"** में, कवि अपने प्रेम की गहराई को बयां करता है। उसकी यादें उसे हमेशा सताती हैं और वह प्रेम में खुद को बीमार महसूस करता है। वह कहता है कि उसे प्रेम में इतना खो गया है कि अब कोई और चीज उसे भाती नहीं। कवि ने प्रेम की कसमें खाने और अपने प्यार को जीने का संकल्प किया है। इन गीतों में प्रेम, यादें, और भावनाओं की गहराई को बखूबी दर्शाया गया है, जो पाठक को प्रेम की सुंदरता और उसकी तड़प का अहसास कराते हैं। लहरें (गीतों का संकलन) Rakesh Kumar Pandey Sagar द्वारा हिंदी कविता 1.7k 1.8k Downloads 6.6k Views Writen by Rakesh Kumar Pandey Sagar Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण गीत-1 कहूँ क्या प्रिये याद आने लगी हो नई सुबह आयी, नया है सवेरा, नई टहनियों पर नया है बसेरा, मेरे मन को तुम गुदगुदाने लगी हो, कहूँ क्या प्रिये याद आने लगी हो।। है पहला ही सावन, तेरी याद आयी, ये सौतन कोयलिया मधुर गीत गायी, ये बारिश की बूंदों के कलरव की तानें, बताओ प्रिये अब ये दिल कैसे माने, कटी कैसी रातें, शिकायत नहीं है, उजालों में भी तुम सताने लगी हो, कहूँ क्या प्रिये याद आने लगी हो।। पड़ी ओस बूंदों को मैं सेंकता हूँ, More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी