इस लेख में साहित्य और फिल्मों के बीच के संबंध पर चर्चा की गई है। लेखक बताते हैं कि दोनों विधाएँ अलग होते हुए भी समाज के प्रति समान दर्पण पेश करती हैं। साहित्य अक्सर शिक्षित वर्ग तक सीमित होता है, जबकि फिल्मों का प्रभाव व्यापक होता है, जिससे दोनों वर्गों तक पहुंचा जा सकता है। जब साहित्य को फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसका मूल संदेश अधिक लोगों तक पहुँचता है, जिससे वह रचना सफल होती है। हॉलीवुड और भारतीय सिनेमा में भी साहित्यिक रचनाओं पर आधारित फिल्में बनाई जाती हैं।
साहित्य और फिल्मे
ARYAN Suvada
द्वारा
हिंदी पत्रिका
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विवरण
हॉलीवुड एवं भारतिय सिनेमा में समय समय पर साहित्य की रचनाओ पर फिल्मे बनी है । भारतिय सिनेमा में शुरुआती दौर में साहित्यक कृति पर कई फिल्में बनी पर कुछ ही फिल्मे सफल हुई और बाकियो का हश्र देखके फ़िल्मकारो ने साहित्य पर फिल्में बनाना ही छोड़ दिया , पर बीच बीच में एक दो फिल्में साहित्य पर आ ही जाती है । हॉलीवुड में बॉलीवुड से एकदम विपरीत हुआ वहां पर आज भी ज्यादातर फिल्मे किसी न किसी उपन्यास या कहानी पर आधारित होती है और वे प्रचलित और व्यवसायीक रूप से कामयाब भी होती है जैसे “जे .के.
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