आकाश में एक छुपा प्रिज्म था जिसने प्रकाश को सात रंगों में छितराया। वर्षा ने गगन को धोकर उसे चमकाया और रंग इन्द्रधनुषी वक्र में सिमट आए। नन्हीं बदलियां इन्द्रधनुषी आभा में स्नान करती हुईं गगन में मंथर गति से डोल रही थीं। उसी समय अंतरा ने अपनी मां वर्तिका का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि "बड़ी मम्मी" को यहाँ से जाने के लिए कहें। वर्तिका ने अंतरा की उत्तेजना को देखकर आश्चर्य व्यक्त किया और पूछा कि सुबह-सुबह इतना गुस्सा क्यों है। जीवन के रंग... Vinita Shukla द्वारा हिंदी लघुकथा 4.2k 2.5k Downloads 9.8k Views Writen by Vinita Shukla Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आकाश में, कोई छुपा प्रिज्म हो शायद...जिसने प्रकाश को, सात रंगों में छितराया था. अम्बर के सीने को मथकर, रंगीन धाराएँ फूट पड़ीं! वर्षा ने गगन को धो- पोंछकर चमकाया और रंग इन्द्रधनुषी वक्र में सिमट आये. नन्हीं बदलियां उसे छूते हुए निकलतीं... इन्द्रधनुषी आभा में स्नान करतीं... मंथर गति से, गगन में डोलती हुईं- यथा रैंप पर सुंदरियां! “ममा” अंतरा के स्वर ने, वर्तिका की तंद्रा भंग कर दी. वह चौंकी और बिटिया की तरफ देखा. अंतरा बहुत उत्तेजित जान पड़ती थी, “ममा बड़ी मम्मी से बोलो- यहाँ से चली जाएँ.” “क्या हुआ भई... सुबह सुबह इतना हाई टेम्परेचर?? More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी