अक्टूबर 2018 की कविताएं तीन प्रमुख भागों में विभाजित हैं: 1. **जिन्दगी अभी बाकी है**: इस कविता में जीवन की निरंतरता का संदेश दिया गया है। वृक्ष, फूल, बच्चे और मौसम सब मिलकर यह दर्शाते हैं कि जीवन में आशा और जीवंतता है। क्रांतियों और आंदोलनों के बीच भी जीवन की धारा बहती रहती है, और सत्य तथा अहिंसा की आवश्यकता महसूस होती है। 2. **हम जिन्दगी को ठगते हैं**: इस भाग में जीवन और ठगी के संबंध को दर्शाया गया है। कवि बताता है कि हम जीवन को ठगते हैं, और जीवन भी हमें ठगता है। समाज में विभिन्न प्रकार के ठगों का उल्लेख किया गया है, जो राजनीतिक, धार्मिक और विश्वास के स्तर पर होते हैं। अंत में, एक ज्योति है जो सभी ठगों को ठगती है। 3. **प्रेम का संवाद**: इसमें कवि ने प्राकृतिक तत्वों से प्रेम का संवाद स्थापित किया है। नदी, पहाड़, खेत और बरखा से प्रेम की बात की गई है, लेकिन हर तत्व की अपनी प्रतिक्रिया है। प्रेम का एहसास हर जगह है, लेकिन उसका स्वीकार होना एक सवाल बना रहता है। कवि ने यह भी दिखाया है कि प्रेम एक प्रकाश की तरह है, जो हर क्षण जीवन को रोशन करता रहता है। इन कविताओं के माध्यम से जीवन, ठगी और प्रेम की गहराई को सरल और सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है। अक्टूबर २०१८ की कविताएं महेश रौतेला द्वारा हिंदी कविता 5 986 Downloads 3.2k Views Writen by महेश रौतेला Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अक्टूबर २०१८ की कविताएं:१.जिन्दगी अभी बाकी हैवृक्ष बड़ रहे हैं,फूल खिल रहे हैं,लम्हे गुजर रहे हैंराहों पर धूप-छाँव है।जनसंख्या दौड़ रही हैबच्चे उछल-कूद रहे हैं,सदियां मिलजुल रही हैंजिन्दगी अभी बाकी है।मौसम बदल रहे हैंक्रान्तियां आ-जा रही हैं,अंधकार -उजाले में कुछ दिख रहा है,आन्दोलनों में जीवन है,झंडे उठते-गिरते हैं,जिन्दगी अभी बाकी है।सत्य का रुझान हैप्यार का प्रकाश दिखता है,इतनी मारधाड़ के बीचअहिंसा की प्यास बहुत है,एक शाश्वत सत्य हैजिन्दगी अभी बाकी है।२.हम जिन्दगी को ठगते हैंऔर जिन्दगी हमें ठगती है,इसी ठगने में ठग मिलते हैंराजनैतिक ठगदेश को लूटने वाले ठगराहों के ठग,विश्वासों के ठग,धर्मों के ठग, ठग ही ठगसाथ- साथ एक More Likes This मन की गूंज - भाग 1 द्वारा Rajani Technical Lead मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave मेरे शब्दों का संगम द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी