संगीत को ईश्वर का एक रूप माना गया है और यह ब्रह्म का एक महत्वपूर्ण तत्व है। ब्रह्म की संपूर्ण सृष्टि ध्वनि और प्रकाश के योग से उत्पन्न हुई है। हमारे चारों ओर विभिन्न प्रकार की ध्वनियां होती हैं, जिनमें से कुछ मधुर होती हैं और कुछ कर्कश। मधुर ध्वनियां मन को शांति और स्थिरता की ओर ले जाती हैं, जबकि कर्कश ध्वनियां अशांति पैदा करती हैं। संगीत भी एक विशेष प्रकार की ध्वनि है, जो सुनने में सुखद होती है और इसका उद्देश्य ईश्वर से जुड़ना है। भारतीय शास्त्रीय संगीत आध्यात्मिकता से जुड़ा है और इसका मुख्य लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है। यह संगीत ध्वनि की प्रधानता पर आधारित है, जहां शब्दों की तुलना में ध्वनि के उतार-चढ़ाव पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इस प्रकार, भारतीय शास्त्रीय संगीत को समझने और अनुभव करने के लिए नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है।
संगीत ईश्वर का एक रूप
Ashish Kumar Trivedi
द्वारा
हिंदी पत्रिका
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विवरण
ब्रह्म संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। सभी कुछ इससे उपजता है और इसी में लीन हो जाता है। संगीत को नाद ब्रह्म भी कहते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आत्मा को भिगो देने की शक्ति है। इसके माध्यम से हम स्वयं की अनुभूति कर सकते हैं। संगीत ध्वनि का एक ऐसा रूप है जहाँ सात सुरों को अनुशासन में व्यवस्थित किया जाता है। यह अनुशासित संग्रह हमारे मन पर अनुकूल प्रभाव डालता है। हमें दुनिया के आडंबरों से दूर कर स्वयं से जुड़ने में मदद करता है।
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