कहानी में मियाँ खोजी को खटमलों ने परेशान किया, जिससे वह बहुत चिढ़ गए। उन्होंने चोर-चोर की आवाज लगाई, जिससे सराय में हंगामा मच गया। लोग डर के मारे इधर-उधर दौड़ने लगे। मियाँ खोजी ने चोर समझकर हंगामा किया और गिरते-गिरते कुम्हार के हंडे तोड़ दिए। कुम्हार ने चोर पकड़ा, लेकिन असली स्थिति का पता चलने पर लोगों ने मियाँ खोजी को पहचान लिया। मियाँ आजाद, जो खोजी के दोस्त हैं, यह सुनकर चिंतित हुए और उन्हें बचाने का सोचने लगे। जब आजाद ने खोजी से पूछा कि क्या वह ठीक हैं, तो खोजी ने मजाक में कहा कि वह तो बहुत अच्छे हैं और खतरे में फुलझड़ी की तरह बच गए। कहानी में हास्य और मित्रता का एक अच्छा मिश्रण है, जहां मियाँ खोजी की मुसीबत एक मजेदार स्थिति में बदल जाती है। आजाद-कथा - खंड 1 - 31 Munshi Premchand द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 1.8k Downloads 5.7k Views Writen by Munshi Premchand Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण एक दिन पिछले पहर से खटमलों ने मियाँ खोजी के नाक में दम कर दिया। दिन भर का खून जोंक की तरह पी गए। हजरत बहुत ही झल्लाए। चीख उठे, लाना करौली, अभी सबका खून चूस लूँ। यह हाँक हो औरों ने सुनी, तो नींद हराम हो गई। चोर का शक हुआ। लेना-देना, जाने न पाए। सराय भर में हुल्लड़ मच गया। कोई आँखें मलता हुआ अँधेरे में टटोलता है, कोई आँखें फाड़-फाड़ कर अपनी गठरी को देखता है, कोई मारे डर के आँखें बंद किए पड़ा है। मियाँ खोजी ने जो चोर-चोर की आवाज सुनी, तो खुद भी गुल मचाना शुरू किया - लाना मेरी करौली। ठहर! मैं भी आ पहुँचा। पिनक में सूझ गई कि चोर आगे भागा जाता है, दौड़ते-दौड़ते ठोकर खाते हैं तो अररर धों! गिरे भी तो कहाँ, जहाँ कुम्हार के हंडे रखे थे। गिरना था कि कई हंडे चकनाचूर हो गए। कुम्हार ने ललकारा कि चोर-चोर। यह उठने ही को थे कि उसने आकर दबोच लिया और पुकारने लगा - दौड़ो-दौड़ो, चोर पकड़ लिया। मुसाफिर और भठियारे सब के सब दौड़ पड़े। कोई डंडा लिए है, कोई लट्ठ बाँधे। किसी को क्या मालूम कि यह चोर है, या मियाँ खोजी। खूब बेभाव की पड़ी। Novels आजाद-कथा - खंड 1 मियाँ आजाद के बारे में, हम इतना ही जानते हैं कि वह आजाद थे। उनके खानदान का पता नहीं, गाँव-घर का पता नहीं खयाल आजाद, रंग-ढंग आजाद, लिबास आजाद दिल आजाद... More Likes This गड़बड़ - चैप्टर 2 द्वारा Maya Hanchate इश्क़ बेनाम - 1 द्वारा अशोक असफल शोहरत की कीमत - 1 द्वारा बैरागी दिलीप दास रंग है रवाभाई ! द्वारा Chaudhary Viral बाजी किस ने प्यार की जीती या हारी - 1 द्वारा S Sinha समुंद्र के उस पार - 1 द्वारा Neha kariyaal जग्या लॉस्ट हिज़ वीरा - भाग 2 द्वारा Jagmal Dhanda अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी