इस कहानी में भारत के संस्कृति और उसके विश्व पर प्रभाव के बारे में चर्चा की गई है। यह कहा गया है कि भारत ने अन्य संस्कृतियों से जितना ग्रहण किया है, उतना ही या उससे अधिक उसने प्रदान किया है। विशेष रूप से, दक्षिण-पूर्व एशिया की अधिकांश संस्कृति भारत से आई है, जहां भारतीय व्यापारी और बौद्ध भिक्षु पहुंचे और स्थानीय संस्कृति को प्रभावित किया। भारतीय उपनिवेश शांति से स्थापित हुए थे और इनकी प्रमुखता से वहां की सभ्यताएं विकसित हुईं। भारत का प्रभाव चीन में भी फैला, जहां भारतीय विचारों ने बौद्ध धर्म के माध्यम से गहरा प्रभाव डाला। भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंध मौर्यकाल से शुरू हुए थे। कुल मिलाकर, यह कहानी भारत की सांस्कृतिक विरासत और उसके वैश्विक योगदान को रेखांकित करती है। भारत के प्रति विश्व का ऋण vivekanand rai द्वारा हिंदी पत्रिका 2.1k Downloads 8.8k Views Writen by vivekanand rai Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सम्पूसर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को अपनी अधिकांश संस्कृसति भारत से प्राप्तु हुई। ईसा पूर्व पॉचवीं शताब्दी। के प्रारंभ में पश्चिमी भारत के उपनिवेशी लंका में बस गये, जिन्होंेने अन्तय में अशोक के राज्य काल में बौद्ध –धर्म स्वी्कार कर लिया। इस समय तक कुछ भारतीय व्यासपारी सम्भअवतया मलाया, सुमात्रा तथा दक्षिण –पूर्व एशिया के अन्यब भागों में आने-जाने लगे थे। धीरे-धीरे उन्होंअने स्थामयी उपनिवेश स्था्पित कर लिये। इसमें सन्देनह नहीं कि प्राय: उन्होंरने स्थािनीय स्त्रियों से विवाह किये। व्याापारियों के पश्चांत वहां ब्राह्मण तथा बौद्ध भिक्षु पहुंचे और भारतीय प्रभाव ने शनै:शनै: वहां की स्वयदेशी संस्कृ।ति को जागृत किया। यहां तक कि चौथी शताब्दीौ में संस्कृ ति उस क्षेत्र की राजभाषा हो गयी और वहां ऐसी महान सभ्यदताएं विकसित हुई जो विशाल समुद्रतटीय साम्राज्यों का संगठन करने तथा जावा में बरोबदूरका बुद्ध स्तूमप अथवा कम्बोवडिया में अंगकोर के शैव मन्दिर जैसे आश्चोर्यजनक स्माारक निर्मित करने में समर्थ हुई। दक्षिण –पूर्व एशिया में अन्यप सांस्कृितिक प्रभाव चीन एवं इस्लासमी संसार द्वारा अनुभव किये गये परन्तुम सभ्य।ता की प्रारम्भिक प्रेरणा भारत से ही प्राप्तव हुई। More Likes This नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला लेखन - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) गलतफहमी - भाग 1 द्वारा Sonali Rawat अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी