इस कहानी में संत और जनसेवक के बीच जाति और पहचान का संवाद है। जनसेवक एक साधु से मिलने जाता है और साधु से उसकी जाति जानना चाहता है। साधु का चेहरा अस्पष्ट है, लेकिन उसका तेज जनसेवक को प्रभावित करता है। जनसेवक कहता है कि साधु की पहचान उसकी जाति से होती है, जबकि साधु उसे कबीर के दोहे का संदर्भ देते हुए जाति न पूछने की सलाह देते हैं। जनसेवक बताता है कि आजकल चुनावी राजनीति में जाति की पहचान महत्वपूर्ण है, और वह साधु की जाति जानकर अपने चुनावी क्षेत्र में सफलता की उम्मीद करता है। साधु समझाते हैं कि जाति का बंधन महत्वपूर्ण होता है, और यदि जनसेवक उनकी जाति जान लेता है, तो उसकी राजनीतिक स्थिति में सुधार हो सकता है। कहानी जाति, पहचान और राजनीति के जटिल संबंधों को उजागर करती है। Jati hi Puchho Sadhu ki Prem Janmejay द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 2.1k 3.9k Downloads 19.8k Views Writen by Prem Janmejay Category हास्य कथाएं पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Jati hi Puchho Sadhu ki More Likes This मजनू की मोहब्बत पार्ट-1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik मजनू की मोहब्बत द्वारा Deepak Bundela Arymoulik सैयारा का तैयारा द्वारा dilip kumar झग्गू पत्रकार (व्यंग सीरीज) द्वारा Deepak Bundela Arymoulik देसी WWE - गांव के पहलवान बनाम विलायती दंगल ! - 1 द्वारा sachim yadav कॉमेडी का तड़का - 1 द्वारा Kaju Check-In हुआ, Check-Out नहीं! - अध्याय 3 द्वारा Sakshi अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी