यह कहानी राजनीति और सत्ता की भूख को दर्शाती है। तीन महीनों की कोशिशों के बावजूद, जब कोई पसंदीदा सरकार नहीं बनी, तो अधिकारी और मेमसाहब लोग चिंतित हो गए। वे नए सरकार में जगह बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, जैसे फोन करना, रिश्तेदारों से संपर्क करना और सत्ता के गलियारों में घुसपैठ करना। सत्ता की अहमियत को रेखांकित करते हुए, यह बताया गया है कि बिना सत्ता के कोई रुतबा या शानो-शौकत नहीं होती। अधिकारी और समाज के उच्च वर्ग के लोग अगले पांच वर्षों की मौज-शौकत के लिए नए संपर्क बनाने में जुटे हैं। उन्हें डर है कि नई सरकार में उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है, और वे फिर से चढ़ावा देने के लिए तैयार हैं। अंत में, वे इस डर में जी रहे हैं कि कहीं उनकी पिछली सरकार में अच्छी स्थिति अब बैडबुक में न बदल जाए। जुगाड़ बिना सब सुन! Arvind Kumar द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 14 1.4k Downloads 5.6k Views Writen by Arvind Kumar Category हास्य कथाएं पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण वैसे तो यह मजाक मजाक में कहा जाता है कि इस देश में और कुछ चले न चले जुगाड़ खूब चलता है. पर है यह एक वास्तविकता ही. मेरा यह व्यंग्य, जुगाड़ संस्कृति की इस मानसिकता पर एक करारा तंज़ है. More Likes This थ्री बेस्ट फॉरेवर - 1 द्वारा Kaju मैं मंच हूँ द्वारा Dr Mukesh Aseemit प्यार बेशुमार - भाग 8 द्वारा Aarushi Thakur राज घराने की दावत..... - 1 द्वारा pooja कॉमेडी कहानी 3 दोस्तों की - 1 द्वारा Roshan baiplawat समानांतर दुनिया - 1 द्वारा Mansi बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी