राजभवन में सभी लोग उत्सुकता से जानकी के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। रघुवीर की आँखों में व्यग्रता थी, और जानकी की पदचाप उनके दिल को गहराई से छू रही थी। जानकी भी अपने पुनर्मिलन के लिए व्याकुल थी, सोच रही थी कि वह अब माता हो गई है और उसकी पहचान कैसे होगी। जब जानकी सभा में पहुँची, तो रघुवीर ने उसे देखकर दौड़ने का प्रयास किया, लेकिन जानकी ने अपनी आँखों से उसे रोका, मानो उसने लक्ष्मण रेखा खींच दी हो। दोनों के नयनों में एक अद्भुत संवाद हो रहा था, जो उनके प्रेम और मर्यादा को दर्शाता था। यह क्षण उनके लिए एक विशेष महत्व रखता था, जिसमें प्रेम और आदर का अद्भुत संगम था। जानकी Neetu Singh Renuka द्वारा हिंदी लघुकथा 591 1.5k Downloads 4.8k Views Writen by Neetu Singh Renuka Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण यह सदियों से होता आया है कि निर्मूल लाँछनों का दंश स्त्रियों को ही झेलना पड़ता है। किसी और पुरूष की उद्दंडता के कारण पग-पग पर सतर्कता से चलने वाली स्त्री को भी कब और कैसे समाज से घोर अपमान सहना पड़े, कोई नहीं जानता। चाहें वे माता सीता ही क्यूँ न हों। More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी