इस कहानी का शीर्षक "लौट आओ काका" है। इसमें एक युवक, नारिंद, अपनी माँ के साथ बकचुना गांव जाने की तैयारी कर रहा है क्योंकि उसके काका (दादा) बहुत बीमार हैं। माँ की चिंता और भावनाओं को देखते हुए, नारिंद उन्हें सांत्वना देने की कोशिश करता है। वह अपनी यादों में खो जाता है, जब वह अपने काका के साथ बिताए गए लम्हों को याद करता है। कहानी में परिवार के प्यार, चिंता और बुजुर्गों के प्रति सम्मान को दर्शाया गया है, जिससे यह पता चलता है कि काका की बीमारी ने पूरे परिवार को प्रभावित किया है। नारिंद की माँ की आंखों में आंसू और नारिंद की भावनाएं इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं। लौट आओ काका Dr Narendra Shukl द्वारा हिंदी लघुकथा 7.9k 2.1k Downloads 9.4k Views Writen by Dr Narendra Shukl Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण This is a story of a grandson who loves his grandpa deeply but somehow always tried to avoid to visit his villiage where his grandpa resides who always remembered him by saying bhaiya se kaheo kaka bulwat hain... he always pretend to be very busy and one day... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी