यह कहानी "मन की पीड़ा" के बारे में है, जिसमें शारीरिक और मानसिक चोटों के बीच के अंतर को बताया गया है। शारीरिक चोटों का इलाज आसान होता है, जबकि मानसिक चोटें, जिन्हें भावनात्मक चोटें कहा जाता है, गहरी और लंबे समय तक बनी रहने वाली होती हैं। इनका उपचार करना कठिन होता है और ये व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। कहानी में कुछ कारणों का उल्लेख किया गया है जो मानसिक चोट का कारण बन सकते हैं, जैसे कि: 1. **शाब्दिक चोट** - जब किसी की बात से दूसरे को मानसिक पीड़ा होती है। 2. **व्यवहार** - किसी को अपमानित करना या अनादर करना, खासकर जब यह करीबी रिश्तेदारों द्वारा किया जाए। 3. **संयुक्त परिवार का टूटना** - औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण के कारण बुजुर्गों का अकेलापन। 4. **ईर्ष्या** - दूसरों की सफलताओं से ईर्ष्या करना जो मानसिक कष्ट का कारण बनता है। इस प्रकार, कहानी में मानसिक चोटों की गंभीरता और उनके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया गया है, और यह बताया गया है कि कैसे ये चोटें जीवन में गहरी छाप छोड़ सकती हैं।
मन की पीड़ा
S Sinha
द्वारा
हिंदी पत्रिका
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विवरण
यह एक आलेख है मन की पीड़ा पर. हर किसी के जीवन में कोई न कोई ऐसी घटना होती है जिससे मनुष्य को चोट पहुँचती है। शारीरिक चोट का उपचार तो हम डॉक्टर के यहाँ जा कर करा सकते हैं। पर अगर चोट मन की लगी हो तो उसका उपचार कोई डॉक्टर शायद कर भी न सके। इसी विषय पर इस लेख में चर्चा की गयी है।
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