विनय और वसुधा के बीच हुई बहस के बाद विनय बहुत उद्विग्न हो गया और अपने कमरे में चला गया। उसने सोचा कि वसुधा को नौकरी न मिलने का दोष किस पर है, और समझा कि आज की व्यवस्था में बिना पैसे और सिफारिश के नौकरी पाना मुश्किल है। वसुधा की प्रोफेसरी के लिए 20 लाख की घूस की मांग है, जो साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार में डूबी हुई है, और योग्य लोग बेरोजगार हैं। विनय ने तय किया कि वह देवी माँ के पास अपनी समस्या को लेकर जाएगा और नवरात्रि के नौ दिन का उपवास रखने का निश्चय किया ताकि मानसिक शांति मिले और वसुधा की मनोकामना पूरी हो सके। नवरात्रि की सुबह उसने जल्दी उठकर पूजा-पाठ किया, जिससे वसुधा को आश्चर्य हुआ। इस प्रकार, विनय ने अपनी पत्नी की भलाई के लिए धार्मिक उपाय करने का निर्णय लिया। मानसिक अशांति और उपवास Rajan Dwivedi द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 6.4k 2k Downloads 8.7k Views Writen by Rajan Dwivedi Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण व्यवस्था से दुखी शहरी मध्यमवर्गीय परिवार के ऐसे दंपत्ती की कथा जो मानसिक अशांति का हल उपवास में तलाशता है पर उसे धर्म के ठेकेदारों के रवैये से निराशा ही हाथ लगती है । More Likes This ज़िंदगी की खोज - 1 द्वारा Neha kariyaal अधूरा इश्क़ एक और गुनाह - 1 द्वारा archana सुकून - भाग 1 द्वारा Sunita आरव और सूरज द्वारा Rohan Beniwal विक्रम और बेताल - 1 द्वारा Vedant Kana Middle Class Boy द्वारा Bikash parajuli तहम्मुल-ए-इश्क - 4 द्वारा M choudhary अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी