कविता "आरजू" में एक व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और जीवन की जटिलताओं का चित्रण किया गया है। यह कविता एक आरजू के साथ शुरू होती है, जो व्यक्ति की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है। गणपति की स्तुति में उनकी मंगलकारी शक्तियों और सुखदायी स्वरूप का वर्णन है, जो हर घर में पहले स्थान पर हैं। शिव की स्तुति में उनकी शांति और गंभीरता को दर्शाया गया है, जहां वे हिमालय की गोद में स्थित हैं। कवियत्री दर्शिता शाह अपनी संवेदनाओं के माध्यम से जीवन की निरर्थकता और लक्ष्यहीनता पर ध्यान केंद्रित करती हैं। वह इस बात पर विचार करती हैं कि लोग अपने जीवन में किस प्रकार से भटकते हैं और उनकी कोई निश्चित दिशा नहीं होती। व्यक्ति अपनी तकदीर के अनुसार जीता है, लेकिन क्या वह वास्तव में जानता है कि वह क्यों जी रहा है? कविता में यह भी बताया गया है कि जीवन में चलना, बसना, सजना जैसे क्रियाकलाप अब मशीन के समान बन गए हैं, जहां व्यक्ति के कर्म बिना किसी उद्देश्य के हो रहे हैं। अंततः, यह कविता एक अजनबी शहर में जीने की कठिनाई और व्यक्ति के आंतरिक संघर्ष को उजागर करती है, जो अपनी पहचान और स्थान को खोजने की कोशिश कर रहा है। आरजू Dr Darshita Babubhai Shah द्वारा हिंदी कविता 4.6k 7k Downloads 18.7k Views Writen by Dr Darshita Babubhai Shah Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण जैसे चलना, बसना, सजना ये मशीन की तरह अपने आप बनते कर्म हो गए है दूसरी और सोचो तो आदमी जैसे किसीके लिए या अपने आप के लिये यह सबकुछ नहीं कर रहा है, फिर भी कर्म कर रहा है इन काव्यों में वक्त की गुमनाम ख़ामोशी किसी जहर से कम नहीं अजनबी शहर में आदमी अपना मकान ढूंढने की जुर्रत कैसे कर सकता है वक्त का परायापन आदमी को हर बार मात कर देता है ये शहर भी उससे बात नही करता, जो रस्ते भी अपनी जिद पर अड़े हैं, और फिर भी एक आदमी सारी उम्र अजनबी शहर में घर ढूंढता रहता है दर ब दर Novels में और मेरे अहसास में और मेरे अहसास भाग-१ *** ईश्क में तेरे जोगन बन गई lआज राधा जोगन बन गई ll *** गरघर कीदीवार केकर्णहोतेकोई घरखड़ाना होता ll *** काटे नहीं कटता एक पल यह... More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी