आरजू Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें आरजू आरजू Darshita Babubhai Shah द्वारा हिंदी कविता 870 2k जैसे चलना, बसना, सजना ये मशीन की तरह अपने आप बनते कर्म हो गए है दूसरी और सोचो तो आदमी जैसे किसीके लिए या अपने आप के लिये यह सबकुछ नहीं कर रहा है, फिर भी कर्म कर ...और पढ़ेहै इन काव्यों में वक्त की गुमनाम ख़ामोशी किसी जहर से कम नहीं अजनबी शहर में आदमी अपना मकान ढूंढने की जुर्रत कैसे कर सकता है वक्त का परायापन आदमी को हर बार मात कर देता है ये शहर भी उससे बात नही करता, जो रस्ते भी अपनी जिद पर अड़े हैं, और फिर भी एक आदमी सारी उम्र अजनबी शहर में घर ढूंढता रहता है दर ब दर कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें में और मेरे अहसास - उपन्यास Darshita Babubhai Shah द्वारा हिंदी - कविता (256) 15k 41.9k Free Novels by Darshita Babubhai Shah अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Darshita Babubhai Shah फॉलो