[ कोरोनाकाल को याद तो कोई नहीं करना चाहता लेकिन ये उस समय की बिलकुल अलग कहानी है कि लोग किस तरह नाटकीय स्थितियों में फंस गये थे। पढ़िए पहले लॉकडाउन के आरम्भ के एक माह बाद की हमारी टाऊनशिप में घटी एक सत्य, दिलचस्प कथा ] एपीसोड - 1 " हाय नीता मैम !मैं शनाया। आप वुडलैंड बिल्डिंग में रहतीं हैं ? " "जी ?" "मैं आपके पास वाली रोज़विला बिल्डिंग में रहतीं हूँ। मैं तो लॉकडाऊन से पहले अपने पेरेंट्स के पास आनंद आ गई थी लेकिन वहां मेरी रूम पार्टनर अभी स्युसाइड करने वाली है.प्लीज़ !उसे बचाइये। ` कोरोना ---कोविद-१९ ---कोरोंटाइन --लॉकडाऊन --- सोशल डिस्टेंसिंग [ हांलांकि` सोशल डिस्टेंसिंग `भारत में कब से पैर फैलाकर बैठ गया है -- आजकल इसका मतलब है शरीर की दूरी ] जैसे बिल्कुल अनजाने जाने शब्द जीवन में झम्म से गिरकर जीवन में क्या सारी दुनिया में बहुत तेज़ी से जाल फैला चुके थे -और अब इन सबके बीच आज रात के आठ बजे आत्महत्या की सम्भावना की सनसनी ----वह भी किसी अकेली रहती लड़की की?उसका मोबाइल पकड़े हुये हाथ काँप गया. दिल में तेज़ थरथराहट उठने लगी, उसने काँपती आवाज़ में उससे पूछा "मैं पहचानी नहीं कौन बोल रहीं हैं ?"

नए एपिसोड्स : : Every Monday, Wednesday & Friday

1

जीवन @ शटडाऊन - 1

1 नीलम कुलश्रेष्ठ [ कोरोनाकाल को याद तो कोई नहीं करना चाहता लेकिन ये उस समय की बिलकुल अलग है कि लोग किस तरह नाटकीय स्थितियों में फंस गये थे। पढ़िए पहले लॉकडाउन के आरम्भ के एक माह बाद की हमारी टाऊनशिप में घटी एक सत्य, दिलचस्प कथा ] एपीसोड - 1 " हाय नीता मैम !मैं शनाया। आप वुडलैंड बिल्डिंग में रहतीं हैं ? " "जी ?" "मैं आपके पास वाली रोज़विला बिल्डिंग में रहतीं हूँ। मैं तो लॉकडाऊन से पहले अपने पेरेंट्स के पास आनंद आ गई थी लेकिन वहां मेरी रूम पार्टनर अभी स्युसाइड करने वाली ...और पढ़े

2

जीवन @ शटडाऊन - 2

एपीसोड --2 कैसा समय देखने को लिखा था ?चीन के वुहान में चमगादड़ों के ऊपर शोध करने वाली वैज्ञानिक बैटमेन `ली झिंगली इस ख़तरनाक वायरस का रहस्य बताकर एकदम गायब हो गई।इसका परिचय देने वाले दूसरे डॉक्टर ली वैनलिंग को मौत उड़ा कर ले गई ?मौत कैसी कोरोना से या ---कौन जाने ? ग्लोबलाइज़्ड दुनियां में गूगल पर सर्च करते, सोशल साइट्स पर चैट करते, ब्रैंडेड कपड़े पहने गर्व से ऐंठते सोचते थे कि कैसा बैकवर्ड समय होगा, लोगों को विज्ञान का अधिक ज्ञान नहीं होगा जो बार बार महामारी की चपेट में आ जाते होंगे --पूअर गाइज़। वे ...और पढ़े

3

जीवन @ शटडाऊन - 3

एपीसोड --3 अपने फ़्लैट का दरवाज़ा खोलने वाला एक वैल ड्रेस्ड युवा को देखकर प्रेसीडेंट को असमंजस में एक प्रश्न सूझा, "आपके घर में कितने मेंबर हैं ?" "मैं व मेरी वाइफ़ व दो छोटे बच्चे। ` "आजकल लॉकडाउन है, आप कहीं जा रहे हैं ?" वह भरपूर मुस्करा दिया, "नहीं जी, आजकल कौन निकल सकता है ?वो बच्चे होटल जाने की ज़िद कर रहे थे इसलिये वाइफ़ ने आइडिया दिया कि घर में होटल- होटल खेलकर उनकी पसंद की चीज़ें बनाई जायें। हम लोग जैसे ही खाने बैठे वे ज़िद करने लगे कि होटल में कोई गंदे कपड़ों ...और पढ़े

4

जीवन @ शटडाऊन - 4

जीवन@शटडाऊन ---2 एपीसोड --1 घावों भरा साल बनाम विटामिन एम. -नीलम कुलश्रेष्ठ- फ़्लैश बैक नं. एकः “मैं तो आप बेटे की कॉपी लेकर आपके घर आया था लेकिन आप लोग कहीं बाहर गये थे घर पर ताला था ।” “कौन सी कॉपी ?” “आप के बच्चे की बोर्ड की परीक्षा की अंग्रेजी की कॉपी ।” “क्या?” फ़ोन पकड़ने वाला हाथ काँप गया, रक्त में जैसे चमकती बिजली ने झटका मारा हो, “मेरे बच्चे की कॉपी आपके पास कैसे आई?” “शायद आप मुझे ठीक से पहचान नहीं पाई हैं । मैं मिश्रा बोल रहा हूँ, श्याम बिहारी स्कूल का अध्यापक ...और पढ़े

5

जीवन @ शटडाऊन - 5

एपीसोड –2 घावों भरा साल बनाम विटामिन एम. -नीलम कुलश्रेष्ठ- महिला शाखा ने वाकई कुछ काम कर दिखाया है बहुत कड़े परिश्रम व समर्पण से मैंने इसे गढ़ा है । साथ में उसका भी नाम हो रहा है, तो क्या ? कुछ महीनों बाद सकुचाई हुई सदस्याओं की बात सुन स्तब्ध हूँ । “आप लोगों का पेमेंट नही हुआ ? लेकिन मैंने व तृष्णा ने ‘पेमेंट रिपोर्ट’ अपने हस्ताक्षर करके मुख्यालय भेजी है।” उन लोगों से कुछ और भी अनियमितताएं जानकर मैं अंदर तक हिल गई हूँ । अध्यक्ष खबर करती हैं, “उसके घर कलर हो रहा था । ...और पढ़े

6

जीवन @ शटडाऊन - 6

चंदन के टीके पर लाल छांव नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड---1 ‘टन..न...न...न...न’ रोज़ की तरह सुबह चार बजे उन्हें लगा कि कर्कश ध्वनि से उन के कान के चार पर्दे फट जायेंगे । लोग तो अपने को भाग्यवान समझते हैं यदि सुबह सुबह उन की आंख पूजा की घंटी से खुले । लेकिन उन्हें पूजा, मंदिर, मूर्ति पूजा की घंटी के नाम से ही चिढ़ होने लगती थी । कभी कभी उन्हें लगता था यदि भगवान का नाम न होता तो कितना अच्छा होता । न लोग भगवान के नाम पर मंदिर बनाते, न पूजा करते, न घंटी टनटनाते और न ...और पढ़े

7

जीवन @ शटडाऊन - 7

एपीसोड----2 घर पर प्रतीक्षा करती पत्नी, मुसकरा कर स्वागत करती पत्नी उन के लिये सपना था । रोज़ रोज़ दोस्तों के घर, पार्क में या लाइब्रेरी के कोने में कब तक बैठें ? जब ज़िंदगी उजाड़ लगती है तो ऐसे में कोई किताब भी तो मन को नहीं बांध पाती । पहले घर में अकसर उन के मित्र राहुल का परिवार या चाचा की लड़की कांता का परिवार आ जाता था । घर जैसे गुलज़ार हो उठता था । उर्मिला तब भी अपने कमरे से बाहर नहीं निकलती थी । मीता और नरेन ही उनके चायनाश्ते की व्यवस्था करते ...और पढ़े

8

जीवन @ शटडाऊन - 8

एपीसोड----3 “आज इशिता को सारे शहर के बैंक की टेबल टेनिस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला है,” उन्होंने कनखियों देखा कि उर्मिला के कमरे के पर्दे बिना हिले बेजान पड़े थे । उन की कोशिश ज़ारी रही । बैंक से लौट कर वह मीता को इशिता का कोई न कोई किस्सा सुनाते रहते। कुछ दिनों बाद उन्होंने बहुत रस ले कर जरा ऊँची आवाज़ में बताया, “आज तो इशिता ने पार्टी दी।” “अच्छा? आप ने क्या क्या खाया ?” “गुलाबजामुन, समोसे । इशिता यह सब स्वयं घर से बना कर लाई थी । इतने स्वादिष्ट थे कि अभी तक ...और पढ़े

9

जीवन @ शटडाऊन - 9

फिर से वहीं तक नीलम कुलश्रेष्ठ रिसेप्शन के कांच के दो दरवाज़ों के पार एक परछाईं उभरी, उन्हें लगा उन के खून का बहाव अपनी जगह थम गया है । साड़ी का वही केसरिया रंग, उस पर सुर्ख लाल रंग का पतला बार्डर और उस में लिपटी गोरी कमनीय देह । वह धुंधली सी परछाईं उन के करीब आती जा रही है, चाल में भी वही अकड़, वही आत्मविश्वास, दूसरों से अपने को थोड़ा ऊपर समझने वाला अहं, जिस पर कभी वह बरसों पहले रीझ उठे थे । रिसेप्शन में खुलने वाला कांच का दरवाजा आहिस्ता से खुला और ...और पढ़े

10

जीवन @ शटडाऊन - 10

सति-इतिकथा- नीलम कुलश्रेष्ठ आज सती मन ही मन निश्चय कर चुकी हैं कि वह विराटसेन का प्रणय स्वीकार कर वे हाथ से ढकेलने वाली चार पहियों की गाड़ी पर अपने कोढ़ी पति को तीर्थ यात्रा करवाने निकली थीं । अब उन्हें याद नहीं, कौन से तीर्थ से विराटसेन उनके पीछे लग गया था । वे गाड़ी धकेलती चलतीं तो वह दूर से उनका पीछा करता सा चलता था । उनके पति के घाव रिसने लगता तो वह रूई व कपड़ा लेकर अचानक प्रगट हो जाता । कभी उनके पति के होंठ सूखने लगते तो इससे पहले वह कोई झरना ...और पढ़े

11

जीवन @ शटडाऊन - 11

संन्यास नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड---1 माई ने जैसे ही प्लेटफ़ॉर्म पर लगा नल खोला, उन्हें लगा कि ठंडे पानी से का हाथ ठिठुर जायेगा। उन्होंने जल्दी जल्दी पानी पी कर गीले होंठों को आंचल से पोंछ लिया और साथ के एक छोटे से बक्से को हाथ में उठा लिया । बक्से को ले कर चलना उन्हें बहुत भारी पड़ने लगा था । अब तो दिसंबर की ठंड भी उन से सही नहीं जाती थी । ऐसा लगता था कि ठंडी हवा त्वचा काट कर उन के बूढ़े शरीर के रेशे रेशे में भर गई हो । डीलक्स से उतरी भीड़ ...और पढ़े

12

जीवन @ शटडाऊन - 12

संन्यास एपीसोड---2 किशोरी हैरान रह जाती कि इन के ऐसे कौन से दोस्त बन गये हैं, जो रोज किसी किसी के यहाँ दावत होती है । उन की माँ भी हैरान थीं । कभी कभी उन्हें झिड़कती थी, “किशोरी! सारे दिन घर में रह कर तंग हो जाती है । तू उसे अपने साथ क्यों नहीं ले जाता?” “माँ, आजकल मैं दोस्तों में व्यस्त हूँ । बाद में कभी ले जाऊंगा, ” देवीदत्त उन से जान छुड़ाते हुए कहते । कभी कभी दस पंद्रह दिन में जब किशोरी को घुमाने भी ले जाते तो उसे लगता जैसे वह उसे ...और पढ़े

13

जीवन @ शटडाऊन - 13

सीढ़ियाँ - नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड --1 “मंदा को तुम हाथ भी नहीं लगा सकते,” महेश पूरे ज़ोर से चिल्लाया “आज तो इसे हमारे साथ जाना ही होगा ।” “घर के अंदर आ कर तो देखो ।” वे उसे धक्का मारते हुए जबरन घर के अंदर घुस गये । एक ने मंदा की बाँह पकड़ ली । महेश उस आदमी से मंदा की बाँह छुड़ाने लगा, तभी पहले वाले के साथ आये दो आदमियों ने उसे पीछे से पकड़ कर मंदा से अलग किया । उन में से एक ने हाथ में पकड़ी लाठी उस के सिर पर जोर से ...और पढ़े

14

जीवन @ शटडाऊन - 14

सीढ़ियाँ एपीसोड --2 भरुच के उस होटल में जैसे ही मंदा के साथ वाले आदमी को पता लगा कि मंदा का पति है तो वह आदमी बिना एक सेकंड गंवाए तेजी से चलता होटल के बाहर हो गया । दोनों सकते की हालत में एक दूसरे को घूरते रहे । महेश अपने को नियंत्रित करता हुआ मंदा के पास आया, “चलो, मेरे कमरे में चलो ।” वह सहमी हुई सी उस के पीछे आ कर उस के कमरे में पलंग पर बैठ गई । महेश ने कमरे के बीच में खड़े खड़े पूछा, “वह कौन था?” “शादी से पहले ...और पढ़े

15

जीवन @ शटडाऊन - 15

-नीलम कुलश्रेष्ठ [ एक ही शरीर को जन्म देते व मृत्यु का वरण करते देखने का अनोखा अनुभव ] --1 इस घरमें आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डेरीवाला घंटी बजाकर दूध देता है। बस इन थरथराते पर्दों की सूरज की किरणों की जैसे रूह फ़ना हो गई है। सामान से भरे इस घर में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाओ तो लगता है निःस्तब्ध वीराने में ...और पढ़े

16

जीवन @ शटडाऊन - 16

एपीसोड –2 तब दोपहर में मेरी ड्यूटी अस्पताल में रहने की लगी थी । रात में कुसुम मौसी किसी वहाँ रहने नहीं देती थीं, स्वयं ही वहाँ रहतीं । दोपहर में मैं उनके बिस्तर के सामने बैठकर ध्यान रखती ऑक्सीजन के सिलिंडर की नली ठीक है या नहीं । गले में कफ़ तो नहीं घड़घड़ा रहा । मैं उनके शरीर पर चिकोटी काटकर अवश्य देखती । उनके शरीर को एक झटका लगता पलकें कंम्पित होतीं । किशोरावस्था की अपनी मूर्खताओं पर अब बेहद शर्म क्या क्षोभ होता था । मैं उनकी लाड़ली भांजी थी । पढ़ने का शौक लगना ...और पढ़े

17

जीवन @ शटडाऊन - 17

एपीसोड --3 अपने चेहरे पर उनकी ठहरी हुई वीभत्स आँखों के भय ने मेरी एक-एक शिरा झनझनाकर रख दिया मैंने अपनी आँखें तुरन्त झुका लीं । वह कभी सिर पटकती, कभी हाथ-पैर । सोलह वर्ष पहले भी मामी भरतपुर में ऐसे ही मूँज की चारपाई पर पड़ी छटपटा रही थीं। कभी सिर झटकतीं, कभी हाथ पटकतीं । तब भी उनके काले, घुँघराले बाल छिटककर ऐसे ही तकिए पर फैले हुए थे । ऐसे ही उनकी नाक की लौंग सिर के झटकने से कभी इधर, कभी उधर होती चमक उठती थी । वह चिल्ला रही थीं, “जिया ऽ ऽ ऽ...।” ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प