एक अद्भुत सा दिव्य प्रकाश, जिसका कोई अंत नजर न आ रहा था और उस प्रकाश में बनती एक धुंधली सी आकृति। उस आकृति के सामने हाथ बांधे एक लड़का खड़ा था जो पहनावे और शरीर की बनावट से कोई योद्धा ही लग रहा था। उसके योद्धा होने की पुष्टि उसके हाथ में थमी तलवार और पीठ पर टंगे फरसे से हो रही थी। उसकी आँख में आंसू थे, वो चुपचाप सुन रहा था। वो बोला-" पिताजी मानता हूँ, भाई ने जो किया वो गलत था। उसकी वजह से कई ग्रहों का जीवन नष्ट हो गया। परन्तु पिताजी आखिर वो भी तो आपका बेटा है। इस सृष्टि में आपकी इच्छा के बिना एक भी सांस नहीं ली जाती, फिर मेरे भाई ने ऐसा कैसे कर दिया वो भी आपकी जानकारी में आये बगैर?? माफ कीजियेगा पिताजी मैं आपसे सवाल कर रहा हूँ, परन्तु मेरा हृदय दुःख के बोझ से फटा जा रहा है। हम दोनों भाई हमेशा से साथ रहे, साथ खेले, आपकी छाँव में पले-बढे़। अब मेरा भाई मुझे छोड़ हमारे परिवार से विश्वासघात करके चला गया। उसने बुराई का रास्ता चुन लिया, इस से बुरा और क्या हो सकता है?? पिताजी विनती है आपसे, उसके साथ-साथ मुझे भी मिटा दीजिये। मैं न आपके बिना रह सकता हूँ न ही उसके बिना.. और उसके किये गए विश्वासघात से अब मेरी जीने की इच्छा ही ख़त्म हो गयी है। या फिर मैं किसी ऐसी जगह चला जाता हूँ जहाँ बस मैं अकेला ही रहूं।"
Full Novel
नर्क - 1
एक अद्भुत सा दिव्य प्रकाश, जिसका कोई अंत नजर न आ रहा था और उस प्रकाश में बनती एक सी आकृति। उस आकृति के सामने हाथ बांधे एक लड़का खड़ा था जो पहनावे और शरीर की बनावट से कोई योद्धा ही लग रहा था। उसके योद्धा होने की पुष्टि उसके हाथ में थमी तलवार और पीठ पर टंगे फरसे से हो रही थी। उसकी आँख में आंसू थे, वो चुपचाप सुन रहा था। वो बोला-" पिताजी मानता हूँ, भाई ने जो किया वो गलत था। उसकी वजह से कई ग्रहों का जीवन नष्ट हो गया। परन्तु पिताजी आखिर वो ...और पढ़े
नर्क - 2
पियूष ड्राइव करके ऑफिस पहुंचा। काफी बड़ा ऑफिस था। अंदर जाते ही सारा स्टाफ उसे गुड मॉर्निंग बोलने लगा, उसने किसी को कोई जवाब न दिया। शायद स्टाफ भी इसका अभ्यस्त था तो सब तुरंत अपने-अपने काम लग गए। चेयरमैन के केबिन में जाने के बाद वहां एग्जीक्यूटिव चेयर पर बैठकर उसने चपरासी को बुलाने की घंटी बजायी। चपरासी के आने के बाद वो बोला-" निशा मैडम को भेजो।" चपरासी 'जी साहब' कह कर चला गया। उसके बाद एक लड़की वहांँ आयी। गोल, मोटे लेन्सेस का चस्मा लगाए, बालों में तेल लगाकर गुंथी हुई चोटी, सलवार सूट पहने हुए ...और पढ़े
नर्क - 3
अगले दिन सारे न्यूज चैनल शहर में फैली दहशत को और फैलाने का काम कर रहे थे। वो येन-केन-प्रकारेण टी.आर.पी. बढा़ने में लगे थे। सब समाचारों में उस गुमनाम बेरहम कातिल की चर्चा जोरों पर थी। बोट में जो सामान मिला था वो साफ-साफ इंगित कर रहा था कि ये कोई बहुत बड़े ड्रगलोर्ड का माल है। इतने बड़े गैंगस्टर के आदमियों को इतनी बेरहमी से किसने काट डाला, इसके कयास लगाए जा रहे थे। शहर के लोगों में भी कौतुहल का माहौल बन गया था। ______________ निशा को काम करते-करते बहुत देर हो गयी थी। वो बीच-बीच में ...और पढ़े
नर्क - 4
"पियूष लडे़ जा रहा था, बड़ी खूंखारता से अपना फरसा घुमाये जा रहा था। उसकी धार में आने वाली चीज टुकड़ों में विभक्त हो रही थी। चारों तरफ आतंक फैल रहा था। परन्तु दुश्मन भी कम न थे, वो रणनीति के साथ घेर कर हमला कर रहे थे और पियूष को घाव दिए जा रहे थे। पियूष भी दरिंदों की तरह उनको काटे जा रहा था। परन्तु वो संख्या में ज्यादा थे। पियूष के रणकौशल और ताकत के आगे वो आखिर टिक न पाए। सबके सब मारे गए। पियूष भी बुरी तरह घायल हो गया था। उसके शरीर में ...और पढ़े
नर्क - 5
निशा का दिल टूट गया। उसे लगने लगा कि अब उसको और उसके भाई को मरना ही पड़ेगा इसके और कोई चारा ही नहीं बचा वो बस मुँह नीचे छुपाकर रोये ही जा रही थी। उसको रोते देख उसकी कलीग और खास सहेली मधु उसके पास आयी। वो बोली- "क्या हुआ निशा??" हालाँकि वो समझ रही थी कि क्या हुआ होगा, सब ने उसकी और मैनेजर की बात सुन ली थी। निशा ने रोते-रोते वो लिफाफा उसको पकड़ा दिया। मधु ने वो लेटर पढ़ा उसका चेहरा कठोर हो गया। वो बोली चलो मेरे साथ। निशा चौंक गयी कि मधु ...और पढ़े
नर्क - 6
निशा की विस्फारित आँखों ने उस विचित्र नीले हत्यारे पर गोलियां बरसते देखा पर उसे कुछ न हुआ। लोग रहे थे और उसकी आँखों में हिंसा भरी हुई थी। उसने एक छलांग मारी और सीधा भागते लोगों के सामने आ गया। एक बार फरसा घुमाते ही कई लोग काल का ग्रास बन गए। उनके बीच में एक खम्बा(पिलर) भी आया परन्तु फरसे के आगे वो भी कागज जैसा ही साबित हुआ। लोगों सहित वो भी कट गया। बड़ा ही भयानक दृश्य उत्पन्न हो गया था। वो इतने पर भी नहीं रुका चुन-चुन कर निर्दोष लोगों के खून से अपने ...और पढ़े
नर्क - 7
'निशा भागे जा रही थी जंगल में, उसके पैर पत्थरों व कंकरों पर लहूलुहान हो रहे थे। अचानक उसके एक परछाई बहुत तेजी से गुजरी। निशा रुकी, तब अचानक वो परछाई उसके पीछे से गुजरी। वो झटके से मुड़ी, पर वापस उसके पीछे से वो परछाई गुजरी। कोई था जो उसके आस-पास मंडरा रहा था और उसकी तेजी साफ इंगित कर रही थी कि वो कोई इंसान न था। उसके इरादे भी ठीक न थे। वर्ना इतनी रात को उसे भटका कर, यहाँ लाना और उसके आस-पास मंडराना कोई अच्छी नीयत की तो सुचना न दे रहा था। निशा ...और पढ़े
नर्क - 8
निशा को आखिर पियूष के साथ आना ही पड़ा। उसकी एक भी दलील न चली। एक तो पियूष ने बात मानी ही नहीं और दूसरे वहाँ जाना जरुरी भी था। राहुल को उसने आयुष के पास छोड़ दिया था। रास्ते में उन दोनों की कोई बात न हुई थी। उन लोगों की बुकिंग एक शानदार फाइव स्टार होटल में पास-पास के कमरों में थी। निशा रात को गहरी नींद में सोई हुई थी। प्रोजेक्ट के बारे में सोचते-सोचते उसका सर दुखने लगा था तो वो जल्दी ही सो गयी थी।रात को उसे ऐसा लगा कि कोई उसे काफी देर ...और पढ़े
नर्क - 9
3 हजार वर्ष पहले एक अज्ञात स्थान पर "तुम ये क्या प्रालाप (बकवास) कर रहे हो?? जानते हो, इसका मृत्यु हो सकता है??" एक सुसज्जित योद्धा अपने समक्ष खड़े एक कालिमा लिए व्यक्ति से क्रोध में बात कर रहा था। उस व्यक्ति के शरीर से काली ऊर्जा सी प्रफुष्टित हो रही थी और उसने काला चोगा पहन रखा था जिसने उसका अधिकांश शरीर और चेहरा ढ़क रखा था।काली ऊर्जा वाले शख्श ने कहा -" मिथ्या भाषण करना तुम देवदूतों का कार्य है। मैं शैतान का सेवक अवश्य हुँ परन्तु मिथ्या वार्ता मैं नहीं करता। मैं नर्क का राजा हूँ ...और पढ़े
नर्क - 10
ओह्ह्ह्ह माय गोड, वो दरिंदा मेरे से कोई पुरानी जान पहचान निकाल रहा था। वो मुझे पहले से जानता पर मुझे तो याद ही नहीं आ रहा। हो न हो ये पियूष ही है जो ये सब कर रहा है। उस हत्यारे के शरीर पर इतने चोट के निशान थे जैसे हर वक्त बस काट-कुटाई में ही लगा रहता है। पियूष के शरीर पर भी निशान होने चाहिए अगर ये और वो हत्यारा एक ही है तो। जरा देखूं??? ना ना... ऐसे ही ठरकी है इस शहर का सबसे बड़ा, कल को कुछ और समझ लिया तो??? अरे निशा, ...और पढ़े
नर्क - 11
"सर, मैं ऐसी ड्रेस नहीं पहन सकती मेरे घर वाले अलाऊ नहीं करते." "मिस निशा, ये बहाना नहीं चलेगा। तक मुझे मालूम है, आप और आपके भाई के अलावा मुझे और कोई फेमिली मेंबर मिला ही नहीं, शायद है भी नहीं।" "सर प्लीज सर, माफ कर दीजिये आगे से आपसे ऊँची आवाज में बात नहीं करुँगी।" "लुक मिस निशा, ये आपको जोश में होश खोने से पहले सोचना चाहिये था। अब या तो आप एग्रीमेंट अनुसार मुझे 20 लाख रूपये हर्जाना देंगी या फिर ये ड्रेस पहन कर मेरे साथ चलेंगी। सोच लीजिये चॉइस इस योर्स।" "सर प्लीज, सर... ...और पढ़े
नर्क - 12
"आयु मेरी तुमसे ये अपेक्षा न थी। तुमने उस ग्रह को सिर्फ इसलिए नष्ट किया क्यूँकि तुम प्राचीन जीवन नवीन रचना करना चाह रहे थे?? तुमने ये भी न सोचा कि पिताजी को ठेस लगेगी, एक-एक सभ्यता को आज वाली स्थिति में आने में सहस्रों वर्ष लगे है। रक्त और स्वेद (पसीने) की कितनी बूंदे बही है। प्रतीत होता है कि तुमने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। अग्रज ( बड़ा) के प्रेम व पिता के संस्कारों का विस्मरण (भूलना) कर दिया है।" आयुध ने सामने खड़े आयु को धिक्कारते हुए कहा। आयु-" ज्येष्ठ (बड़ा), रक्षराज षड़यंत्र रच रहे ...और पढ़े
नर्क - 13
पियूष हड़बड़ा गया बुरी तरह से, उसकी असलियत आखिरकार निशिका यानी निशा के सामने आ ही गयी। अब छुपाने कोई फायदा न रहा। परन्तु उसने अपने चेहरे पर कोई भाव न आने दिए। निशा ने आगे कहना शुरू किया-" मैं तो सिर्फ शक कर रही थी, पर तुम तो इस यूनिवर्स के ही सबसे बड़े विलन हो। तुमसे बड़ा गद्दार तो कोई हो ही नहीं सकता। परमपिता की संतान होना अपने आप में सबसे बड़ी बात है परन्तु तुमने अपने पिता को भी धोखा दिया?? क्या मिला तुम्हें ऐसा करके?? पियूष -" लुक निशा, बात इतनी सीधी नहीं है ...और पढ़े
नर्क - 14
" तो आप रिजाइन कर रही है!!" निशा की आँखों में देखते हुआ पियूष ने कहा। उसके आगे निशा रेजिग्नेशन लेटर पड़ा था। जिसे पढ़ने के बाद पियूष के भाव ही बदल गए। "क्या इसका परिणाम जानती हैं आप??" निशा (व्यंग्य से मुस्कुराते हुए) -" हाँ सर, मुझे पता है। मुझे आपकी कंपनी को हर्जाने के तौर पर 20 लाख रूपये देने पड़ेंगे वो भी 1 हफ्ते के अंदर। वरना मुझे जेल हो सकती है।" पियूष -"तो आपने जेल जाने की ही ठान ली है।" निशा -"जी नहीं सर, फिलहाल मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है। आगे अगर किसी ...और पढ़े
नर्क - 15
अब निशा को एक जोड़ीदार मिल ही गयी। उसकी हिम्मत अचानक कई गुना बढ़ गयी थी मधु का साथ कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये वही निशा है जो भयंकर डरपोक थी। दोनों सहेलियाँ मिलकर ऑफिस टाइम के बाद अब घटनाओं पर नजर रखने का अपना (बहुत जरुरी) काम कर रही थी। परन्तु निशा ने पियूष के बारे में मधु को अब तक कुछ नहीं बताया था, तो बात किसी भी सिरे से आगे नहीं बढ़ी।इस दौरान मधु राहुल से बहुत घुल-मिल गयी थी। आयुष भी उनके साथ काफी वक्त बिताने लगा था। सबकुछ ठीक चल रहा ...और पढ़े
नर्क - 16
रात को शहर से कुछ दूर एक फार्म हाउस में पार्टी चल रही थी। ये इलाका शहर से कुछ था, जहाँ आवाजाही कम थी। एक तो काफी दिनों से कोई घटना न होने के कारण लोग वैसे भी निष्फिक्र हो गए थे और दूसरा ये एक युवाओं का झुंड था जो जब तक मुसीबत नहीं आती तब तक किसी भी चीज से नहीं डरते। पर जब मुसीबत आती है तब उनकी हालत बिल्ली के सामने कबूतर जैसी हो जाती है। ये लोग भी बंदिश न बर्दाश्त करने वाले थे। तेज आवाज में डी.जे. की धुन पर ऊटपटांग हाथ पैर ...और पढ़े
नर्क - 17
"निशा क्या तुम मुझे मेरी बार कहने का एक मौका भी नहीं देना चाहती??" पियूष ने ऑफिस में निशा कहा जो उस से अब दूर-दूर ही रह रही थी। इस्तीफा देने की कोशिश फ्लॉप होने के बाद वो और भी ज्यादा चिढ़ गयी थी। उसका बस चलता तो शायद वो पियूष को मार ही डालती। पर पहले चाहे जो भी हुआ हो, अभी वो उसका बॉस ही है और निशा एक साधारण इंसान, जिसमें कोई शक्ति नहीं थी या अगर थी तो जगी हुई नहीं थी। निशा -" मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी पियूष।" अब निशा जब अकेले ...और पढ़े
नर्क - 18
.....जमीन में बड़ी दरार आ गयी, चारों तरफ गर्द छा गयी जब वो गर्द थमी और सबकी आँखें देखने हुई तब दिखा वो अद्भुत हथियार जो अच्छी या बुरी हर शक्ति के ख्यालों में था। वो हथियार जो भगवान् शिव ने महान् योद्धा, अपने शिष्य परशुराम जी को दिया और जिसे कार्य पूर्ण होने पर परशुराम जी ने वापस भगवान् को लौटा दिया। वो हथियार जो जिसके हाथों में हो वो ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली योद्धा होता है। 'विद्युदभि',..... जी हाँ 'विद्युदभि', जो किसी भी शक्ति को पल भर में नष्ट कर सकता है। जो परमात्मा ने अपने पुत्र ...और पढ़े
नर्क - 19
"अब 'विद्युदभि' तुम मुझे लाकर दोगी निशा" आयुष वापस अपने हत्यारे के रूप में आते हुए बोला। निशा व्यंग्य मुस्कुराते हुए-" जैसे तुम मुझे मजबूर कर ही लोगे आयुष। तुम मुझे मार तो सकते हो आयुष, पर मजबूर नहीं कर सकते।" आऽ हाऽहाऽहाऽहा.....बड़ी मुर्ख हो तुम निशा, तुम्हे मार दूंगा तो मुझे 'विद्युदभि' कौन लाकर देगा..... ना... ना... ना..... निशा, इतना चौंकने की जरुरत नहीं। ये तो सिर्फ मैंने माफिया बॉस को उकसाने के लिए कहानी घड़ी थी। असलियत में तो विद्युदभि को कोई सरल ह्रदय ही छू सकता है। हाँ, वो चाहे तो उसे किसी को भी सौंप ...और पढ़े
नर्क - 20
'ये हथियार कुछ अलग है। परशु मेरी आँखों के सामने पड़ा है और खड़ग् मेरे हाथ में है। आयुष गिरफ्त में है, तो किसी अज्ञात हमलावर ने किसी अज्ञात हथियार से पीठ में वार किया है। कौन है वो अज्ञात??? फिर से निशा??? नहीं.... नहीं, निशा पर मुझे पूरा भरोसा है। पहले जो हुआ वो गलतफहमी थी, पर अब नहीं। तो फिर कौन?? हे पिताश्री, तो वो ये है!!! मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था।' सोचते-सोचते आश्चर्य के साथ पियूष घूमा तो पीछे मधु थी। उसके हाथ में एक अलग हथियार था। जिसका लम्बा नुकीला फल एक लम्बे ...और पढ़े