नवलकथा के बारे में: दुनिया का सबसे अटल सत्य ये है कि, होनी को कोई नहीं टाल सकता। कभी कभी हम सभी को लगता है कि, काश हम अपना पुराना वक़्त बदल पाते। काश कुछ लम्हे हम उनके साथ बिता पाते जिनके साथ हम बिताना चाहते थे। काश अपनी की हुई गलती हम सुधार पाते। हम सभी चाहते है कि, काश ज़िंदगी में भी कोई Rewind बटन होता तो जब चाहे तब अपने हसीन पल को दोहरा लेते और पुरानी भूलो को सुधार भी लेते। गुजरे हुए लोगों से मिल भी लेते। ज़िंदगी पर बस अपना ही कंट्रोल होता तो
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Rewind ज़िंदगी - प्रस्तावना
नवलकथा के बारे में: दुनिया का सबसे अटल सत्य ये है कि, होनी को कोई नहीं टाल सकता। कभी हम सभी को लगता है कि, काश हम अपना पुराना वक़्त बदल पाते। काश कुछ लम्हे हम उनके साथ बिता पाते जिनके साथ हम बिताना चाहते थे। काश अपनी की हुई गलती हम सुधार पाते। हम सभी चाहते है कि, काश ज़िंदगी में भी कोई Rewind बटन होता तो जब चाहे तब अपने हसीन पल को दोहरा लेते और पुरानी भूलो को सुधार भी लेते। गुजरे हुए लोगों से मिल भी लेते। ज़िंदगी पर बस अपना ही कंट्रोल होता तो ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-1.1: कीर्ति का परिचय
Chapter-1.1: कीर्ति का परिचय दील्ली, यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारंभ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले है। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहां कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता है। 1639 में मुगल बादशाह शाहजहां ने दिल्ली में ही ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-1.2: कीर्ति का परिचय
Chapter-1.2: कीर्ति का परिचयContinues from the previous chapter… अमिष जी और कुमुद जी को बात गले उतर गई, और उन्होंने अपने बेटों और दूसरे लोगों से भी सलाह-मशवरा किया। अंतिम फैसला सबका यही था कि कीर्ति के उज्ज्वल भविष्य के लिए उसे दूसरे शहर भेजना होगा और उसके अंदर जो संगीत की कला है उसको भी आगे चल के बढ़ाया जाए, इसी के चलते कीर्ति को भोपाल भेजने का फैसला लिया गया। भोपाल में अमिष जी के कई रिश्तेदार थे और उनका टेक्सटाइल का व्यापार भी वहां पर फैला हुआ था। “मुझे कहीं नहीं जाना है।” कीर्ति ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-1.3: कीर्ति का परिचय
Chapter-1.3: कीर्ति का परिचयContinues from the previous chapter… कुछ महीनों की मेहनत और थोड़े का इंतज़ार रंग लाया, अखबार में विज्ञापन दी गई थी, पार्श्व गायक और पार्श्व गायिका की जरूरत है। एक छोटा सा ऑडिशन देना पड़ेगा और उसमें अगर पास हो जाए तो किसी टीवी सीरियल या फिर फ़िल्म में गाने का मौका मिलेगा। कीर्ति ने तुरंत अपनी आवाज़ रेकॉर्ड कर के खत के साथ उस पते पर एप्लीकेशन भेज दी। उसके कुछ दिन बाद ही कीर्ति के दिये गए लैंडलाईन नंबर पर कॉल आया। “हैल्लो!” सामने से एक खूबसूरत सी आवाज़ आई। ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-1.4: कीर्ति का परिचय
Chapter-1.4: कीर्ति का परिचयContinues from the previous chapter… “हां तो बोलिए आप दोनों को तकलीफ़ है?” रमेश जी ने अपने ऑफिस में दोनों से पूछा। “मेरी जो प्रॉब्लम है वो मैंने आपसे बोल दी है, अगर आपको विस्तृत में जानना है तो मैं इस शख़्स के सामने कुछ भी बोलना पसंद नहीं करूंगी।” कीर्ति ने कहा। “आपको इनसे क्या प्रॉब्लम है?” रमेश जी ने पूछा। “मुझे किसी से कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर मैं अपनी परिवार की बातें ऐसे शख़्स के सामने नहीं बोल सकती जो किसी की इज्ज़त करना ना जानता हो, और खासतौर ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-2.1: माधव का परिचय
फ़रीदाबाद, भारत के उतरी प्रांत हरियाणा प्रदेश का प्रमुख शहर है। यह फ़रीदाबाद जिले में आता है। इसे 1607 शेख फरीद, जहांगीर के खजांची ने बनवाया था। उनका मकसद यहां से गुजरने वाले राजमार्ग की रक्षा करना था। यह दिल्ली से 25 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इसी फ़रीदाबाद शहर में माधव (भगवान श्री कृष्ण का एक नाम) का जन्म एक बहुत ही साधारण (गरीब) ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में माधव बहुत ही गोल-मटोल सा था और उसके आँखों में भी अलग तेज था। बचपन में प्यार से लोग उसको गोलूराम कहकर बुलाते थे। ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-2.2: माधव का परिचय
Continues from the previous chapter… धीरे धीरे माधव की आमदनी बढ़ती गई, और उसके पिता ली गई उधारी कम होती गई, पर इसका बुरा नतीजा यह हुआ कि माधव पढ़ाई लिखाई में फिर से कमज़ोर हो गया। पैसे कमाने के चक्कर में उसने अपनी पढ़ाई पे जितना ध्यान देना चाहिए उतना नहीं दे सका। सिर्फ संगीत के विषय में माधव ध्यान लगाकर पढ़ता था, क्योंकि इसी वज़ह से उसकी आमदनी आती थी। बांसुरी बजाने में और गाना गाने में उसने निपुणता हासिल कर ली थी। समय बीतता गया, माधव की आमदनी अच्छी थी पर इतनी भी नहीं ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-3.1: तकरार
Chapter-3.1: तकरार सुरवंदना संगीत के पास ही माधव और अरुण ने रहने और खाने की व्यवस्था कर ली थी, माधव दो दिनों से पैसो की चिंता में ही पड़ा था, तभी वहां के चपरासी ने माधव से कहा कि रमेश जी उसे बुला रहे है। “आपने मुझे बुलाया सर?” माधव ने रमेश जी की ऑफिस जाकर पूछा। “हां मैंने ही तुमको बुलाया, आओ बैठो।” माधव के मन में कई सारे ख़्याल एक साथ आ गए। उसे ये भी लगा कि शायद मुझे यहां से जाने को कह दिया जाए। “तुम बहुत नसीब वाले हो ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-3.2: तकरार
Chapter-3.2: तकरारContinues from the previous chapter… बॉम्बे के सुरवंदना संगीत का हॉल आज लोगों खचाखच भरा हुआ था। सभी का गाना सुनने और उसे मार्क्स देने के लिए बॉलीवुड की कई नामी हस्तियां आई हुई थी। एक के बाद एक सभी ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की अच्छा गाने की पर उनमें से चुना सिर्फ एक को जाना था। जज के पैनल ने फैसला लिया, 10 लोगों में से उन्होंने 3 बेस्ट लोगों को चुना। उनमें से 1 था अजित और 2 लोग थे, माधव और कीर्ति। जज ने उन तीनों को एक और बार गाने ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-4.1: दोस्ती
Chapter-4.1: दोस्तीमाधव को फ़िल्म में गाने का मौका मिला ये सुनकर अरुण और माधव की माँ निर्मला जी ही बहुत खुश हुए। अरुण माधव की माँ को लेकर बॉम्बे पहुंच गया। निर्मला जी के आँखों में ख़ुशी के आंसू थे और अरुण के चेहरे पे ख़ुशी की रौनक। किसी भी बेटे के लिए ये गर्व की बात होती है, जब उसकी माँ उसके जीते जी अपने संतान की सफलता देख सके, और अभी तो माधव के लिए ये सफलता के सफ़र की सिर्फ शुरुआत थी अभी उसे और लंबी संघर्ष करनी थी।“माँ मुझे एक बार अच्छा गायक बन जाने ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-4.2: दोस्ती
Chapter-4.2: दोस्ती“चलो इसी बहाने तूने अच्छा गाया, सब को पसंद तो आया ना?” अरुण ने पूछा।“बहुत पसंद आया, और कई फिल्मों में गाने का मौका मिला है, बस अरुण तू साथ देना मेरा वरना मैं एकदम से टूट जाऊंगा।” यह कहकर माधव बुरी तरह से फूट-फूट कर रोने लगा। अरुण ने उसे दिलासा देते हुए गले लगा लिया और कहा, “रो मत यार, तेरा बुरा वक़्त और अच्छा वक़्त दोनों एक साथ चल रहे है, तेरी जगह मैं होता तो ये नहीं कर पाता। तू सच में बहुत हिम्मत वाला है।”अरुण ने माहौल सामान्य करने के लिए टॉपिक बदल ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-4.3: दोस्ती
Continue from the previous chapter… Chapter-4.3: दोस्ती माधव ने अपने मन को मनाने की कोशिश की पर उसका मन नहीं माना पर मजबूरी की वज़ह से माधव ने कीर्ति के साथ गाना गाने की तैयारी शुरू कर दी। गीत गाने से पहले 1 हफ़्ते दोनों को रिहर्सल करने थे, उसमें भी दोनों की नोक झोंक होती रहती थी। जैसे तैसे उन दोनों ने रिहर्सल ख़त्म किए और वो दिन आ ही गया जब दोनों को एक साथ एक ही स्टूडियो में एक ही गीत गाना था। “नर्वस हो?” कीर्ति ने माधव से पूछा। “तुझे उससे क्या? तू ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.1: प्यार एवं जुदाई
Chapter-5.1: प्यार एवं जुदाई कीर्ति और माधव का गाया हुआ गाना कुछ ही दिनों के बाद टीवी आने लगा। जैसा सब ने सोचा था, बिलकुल उससे उलटा हुआ। गाना किसी को पसंद नहीं आया। ना कोई इस गाने को गुनगुनाता था ना ही रेडियो या टीवी पर कोई इसे सुनता था। माधव को इस बात से बहुत दुःख हुआ। कीर्ति और कीर्ति के परिवार वालो को भी ये बात हज़म नहीं हुई। जिस हिसाब से दोनों ने गाना गाया था उस हिसाब से उसका परिणाम हासिल नहीं हुआ। हालांकि उस फिल्म के दूसरे सभी गाने बहुत हिट हुए, ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.2: प्यार एवं जुदाई
Chapter-5.2: प्यार एवं जुदाई Continues from the previous chapter… कीर्ति के घर उसकी शादी के लिए प्रेसर आ रहा था, पर कीर्ति को पहले अपने कैरियर पर फोकस करना था। उसे कुछ बन के दिखाना था। जो सफलता उसे चाहिए थी वो उसे हासिल नहीं हो रही थी। कीर्ति को फिल्मों में, अवार्ड सेरेमनी में और शादी एवं समारंभ में गाने के लिए बुलाया जाता था, पर उसकी चाहत थी कि आशा भोंसले की तरह सफलता उसके कदम चूमें। “बेटी अब लड़के वाले और इंतज़ार नहीं कर सकते, आखिर कब तक हम उन्हें टालते रहेंगे। कभी ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.3: प्यार एवं जुदाई
Continues from the previous chapter…Chapter-5.3: प्यार एवं जुदाई“ठीक है डॉक्टर!” माधव ने कहा, और दवा की पर्ची ले वहां से चल दिया।माधव के दिमाग में भी यह बात घूमने लगी। डॉक्टर जो कह रहा था, वो पूरी तरह से नज़रअंदाज करने जैसा नहीं था। हो सकता है वो सच हो। पूरे रास्ते माधव को यहीं ख़्याल आता रहा कि डॉक्टर की बात में कितनी सच्चाई थी। माधव अपने घर पहुंचा और पहुंचते ही सीधा अपने कमरे में गया, और आईने के सामने जा के देखा तो उसे अंदाजा हुआ कि डॉक्टर सच कह रहा था। उसे अकेलेपन की बीमारी ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.4: प्यार एवं जुदाई
Continues from the previous chapter…Chapter-5.4: प्यार एवं जुदाईजब तक कीर्ति का जवाब ना आ जाए तब तक उसको बेचैनी सहन करनी ही थी। कहते है सब्र का फल मीठा होता है, पर माधव से अब और सब्र नहीं हो रहा था। दूसरे दिन कीर्ति ने माधव को कॉल किया,“हैल्लो? मैं तेरे कॉल का कब से इंतज़ार कर रहा था यार, क्या सोचा तूने? मैंने कुछ ग़लत तो नहीं बोल दिया ना? तू ठीक तो है ना? सॉरी मैं कल जल्दबाजी में ज़्यादा बोल गया, मुझे तुझको ये अचानक से नहीं कहना चाहिए था।” माधव एक सांस में सब बोल ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.5: प्यार एवं जुदाई
Continues from the previous chapter…Chapter-5.5: प्यार एवं जुदाईकीर्ति वापस से अपनी ज़िंदगी की यादों को Rewind मोड पर गई। उस पल जब दोनों एक दूसरे के भरपूर प्रेम में थे, और नई नई जगह घुमा करते थे।“बाप रे कितनी ऊंची जगह है, मैंने तुझे कहा है ना मुझे ऊंचाई से डर लगता है, फिर तू ऐसी जगह क्यों ले आया मुझे?”“तुझे खाई में गिराने ले आया हूं।” माधव ने गुस्से में आकर कहा, “हद है तेरी! तुझे एक तो इतनी अच्छी रोमेंटिक जगह पर ले आया हूं और तू है कि फालतू में डरे जा रही है। मैं हूं ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.6: प्यार एवं जुदाई
Continues from the previous chapter…Chapter-5.6: प्यार एवं जुदाईइस तरह दोनों का रिश्ता बहुत अच्छे से कट रहा था, जब भी माधव कीर्ति से शादी की बात करता वो बात का रुख ही मोड़ देती थी। ऐसी बहुत सी बातें थी जो माधव ने जानने की कोशिश की पर कीर्ति उसे कुछ नहीं बताती थी। इसी वज़ह से कभी इन दोनों में झगड़ा भी हो जाता था।“तू ऐसी क्यों है? क्या है जो तू अंदर ही अंदर छुपा रही है? मेरी समझ से तू इतनी परे क्यों है?” माधव ने पूछा“तू इन सब फालतू की बकवास क्यों कर रहा है, ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-6.1: रियालिटी शो एवं पुनर्मिलन
कुछ महीने बाद,अब दौर पुराने जमाने का नहीं है, माधव। अब लोगों को नए गाने, नई रफ्तार, नए जोश जरूरत है। तुम में बहुत काबिलीयत है माधव पर जमाना बदल रहा है, उस हिसाब से तुमको भी बदलना होगा।” माधव के एक मित्र ने कहा।“तुम ही बोलो अब मैं क्या कर सकता हूं?”“एक्टिव रहो, ख़ुद को काम में इतना मशगूल कर दो की सामने से तुम्हें कॉल आने लगे। जमाने के साथ अपडेट रहो।”“तो अभी जमाने को क्या पसंद है?”“देख भाई अब रियालिटी शो का ज़माना है, नए सिंगर्स और डांसर्स सभी इसी में संघर्ष कर के आगे बढ़ ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-6.2: रियालिटी शो एवं पुनर्मिलन
Continues from the previous chapter…फिर एक के बाद एक सुरीले गानों का सिलसिला शुरू हुआ। सभी गाने गाए जा थे और उधर दूसरी ओर माधव कीर्ति को घूरे जा रहा था। कीर्ति उसकी तरफ देख भी नहीं रही थी। एक के बाद एक सुरीले गानों के बाद माधव और कीर्ति का क्रम आया, उन दोनों ने गाने की शुरुआत की पर दोनों की टयूनिंग इतनी खराब थी कि जज ने उन दोनों को बीच में ही रोक दिया।एक जज ने कहा, “यक़ीन नहीं होता माधव जैसा एक इतना सुलझा हुआ गायक इतना खराब कैसे गा सकता है? और कीर्ति ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-6.3: रियालिटी शो एवं पुनर्मिलन
Continues from the previous chapter…“नहीं ये माधव के कहने पर नहीं हुआ है।” अजित ने कहा।“तो फिर आप चाहते है हमसे? और ये सब करने की वज़ह क्या है?” माधव ने पूछा।“T.R.P.”“क्या?”“हां, T.R.P. के लिए ये सब मुझे करना पड़ा। हमारे पास एक कॉन्टेस्टंट जोड़ी कम पड़ रही थी, तब मैंने तुम दोनों को याद किया। वैसे भी तुम दोनों एक दूसरे के प्रेम में हो तो पब्लिक को भी तुम दोनों की जोड़ी देखने में मजा आएगा।”“हम दोनों प्रेमी प्रेमिका नहीं है, हमें अलग हुए कई महीने हो गए है।” कीर्ति ने कहा।“ओह! ये तो मुझे मालूम ही ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-6.4: रियालिटी शो एवं पुनर्मिलन
Continues from the previous chapter…“उस बारे में मुझे बात नहीं करनी, अगले एपिसोड की क्या तैयारी है ये बोल।”“तुझे जलन हो रही है!”“जलन नहीं बेवकूफ, हम दोनों के कैरियर का सवाल है ये।”“उसकी चिंता मत कर मैं और माधवी इस बार सब कुछ संभाल लेंगे।”“मुझे भी तो बता। आखिर क्या प्लान है तुम दोनों का?”“नहीं बताऊंगा।”“तो जा उसी माधवी के साथ ज़िंदगी जी, और उसी से प्यार कर, उसी से शादी कर, उसी के साथ हनीमून पर जा, मैं तो तेरे लिए कुछ हूं ही नहीं ना!”“तू जलन क्यों कर रही है इतनी?”“क्योंकि…”“क्योंकि? क्या?”“आई लव यू!” कीर्ति ने कहा।“मज़ाक ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-7.1: जुदाई फिर से
माधव को जीत की ख़ुशी से ज़्यादा इस बात की ख़ुशी थी कि उसका प्यार उसे वापस मिल गया उसे यह सोच कर अच्छा लगा कि उसका प्यार सच्चा था जो एक बार गया तो मुड़ कर वापस भी आ गया। शो में फाइनल के विजेता घोषित होते ही माधव और कीर्ति के ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया। सब ने उन दोनों को शुभकामनाएं दी। माधव ने इसी ख़ुशी के मौके पर कीर्ति को कहा, “हमें इस ख़ुशी को मनाने के लिए एक पार्टी रखनी चाहिए, तुम्हारा क्या कहना है?”“हां, क्यों नहीं! ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-7.2: जुदाई फिर से
Continue from the previous chapter…“पर प्यार के मामले में तू हार गई, तू भले ये समझ की तू अजित प्यार करती है, पर हकीकत ये है कि तू उसकी दौलत से प्यार करती है और वो भी तुझसे नहीं तेरी खूबसूरती से प्यार करता है। मैंने इन दोनों चीज़ों को कोई तवज्जोह नहीं दी थी, मैंने तुझसे प्यार किया था। सच्चा प्यार! पर बदले में तूने ये सिला दिया?” माधव की आँखें भर आई।“छोटे बच्चे की तरह क्यों रो रहा है? यही असली दुनिया है। सच्चे प्यार जैसी कोई चीज़ नहीं होती। रही बात शादी की तो वो तो ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-8.1: पुनर्मिलन फिर से
देखते ही देखते 15 साल बीत गए। इन सालों में माधव को कोई संतान नहीं हो सकी क्योंकि माधवी थाइरोइड की प्रॉब्लम हो गई थी। उसकी वज़ह से माधव के यहां किसी बच्चे की किलकारीं नहीं सुनाई दी। उसने पैसे पानी की तरह बहा दिए पर माधवी का इलाज नहीं हो पाया, उलटा माधवी की तकलीफें और बढ़ने लगी। माधव ने भी सोच लिया कि बच्चे से ज़्यादा माधवी की तबीयत ज़्यादा जरूरी है। उसकी सासु का शादी के कुछ साल बाद ही देहांत हो गया था। माधवी के छोटे भाई को माधव ने पढ़ने के लिए विदेश भेजा ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-8.2: पुनर्मिलन फिर से
Continues from the previous chapter…माधव दो घड़ी सोच में पड़ गया फिर बोला, “शो के बाद कीर्ति कहां गई, क्या हुआ?”“ये तो मुझे भी मालूम नहीं पर मुझे इतना पता है वो तुमसे सच्चा प्यार करती थी।”“ये तुम कैसे कह सकती हो?”“हम सब औरतों का दिल बहुत नाजुक होता है माधव, और हमारे अंदर लड़कों को लेकर सिक्स्थ सेन्स भी होता है। उससे हमें पता चलता है कि सामने वाला इंसान कैसा है कैसा नहीं। मैंने जो उसकी आँखों में तुम्हारे लिए देखा था वो किसी और की आँखों में या फिर किसी और के लिए नहीं देखा। वो ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-9.1: अतीत का साया
उस दिन जब तुम मेरे कमरे में आए तब मेरी किसीसे भी बात नहीं हो रही थी, मुझे पता गया था कि तुम आ रहे हो। इसीलिए मैंने ये नाटक किया, और ऐसा मुझे क्यों करना पड़ा इसकी लंबी कहानी है जो मेरे बचपन से शुरू होती है।कीर्ति ने अपने बचपन की कहानी बताई, वो 2 पीढ़ी के बाद पैदा होने वाली पहली लड़की थी, और उसे कैसे लाड़-प्यार से रखा जाता था। पढ़ाई में कमजोर होने की वज़ह से एक टीचर को नियुक्त किया गया था। जो उसे रोज ट्यूशन देने आता था।मुझे आज भी याद है मैं ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-9.2: अतीत का साया
Continues from the previous chapter…“बस इतनी सी बात थी।” कीर्ति ने अपनी कहानी ख़त्म कर के माधव और माधवी और देखा, दोनों के आँखों से आंसू छलक रहे थे। माधव तो अपने आप को रोक ही नहीं पा रहा था।“इतना सब क्यों किया मेरे लिए?” माधव ने पूछा।“क्योंकि मैं तुझसे सच्चा प्यार करती थी, माधव! जरूरी नहीं है कि हम जिसे चाहते हो उसे हासिल कर ले वहीं प्यार की जीत हो। एक दूसरे को हासिल किए बिना भी सच्चा प्यार किया जा सकता है।”“हां तुझे तो भूत सवार था ना! त्याग की मूर्ति बनने का शोख़ था। मेरी ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - Chapter-10: Rewind ज़िंदगी
दूसरे दिन सुबह उठते ही दोनों को ऐसा लगा कि जैसे एक नई दुनिया में आ गए है।“माधव, तुम्हारे चाय बना दूं?” कीर्ति ने पूछा।“नहीं, मैं चाय नहीं पीता। तुम्हें पीनी हो तो बोलो मैं बना देता हूं।”“मुझे भी नहीं पीनी।”कुछ देर दोनों मौन रहे। दोनों के लिए एक नया ही माहौल था। वैसे तो दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते थे पर इतने सालों के बाद भी दोनों अजनबी थे। कुछ देर बाद माधव ने ही सन्नाटा भंग किया और कहा,“कल मैं जज्बाती हो गया था। कुछ सूझ नहीं रहा था इसीलिए तेरी बांहों में पनाह ले ...और पढ़े
Rewind ज़िंदगी - उपसंहार - अंतिम भाग
माधव और कीर्ति ने आगे चल के शादी तो नहीं की पर दुनिया की नज़र में दोनों एक दूसरे साथ पति पत्नी की तरह ही रहे। जब दो दिल जुड़ चुके थे तो फिर शादी के बंधन में बंधने की उन दोनों को कोई जरूरत नहीं थी। कुछ महीनों बाद दोनों I.V.F. सेंटर गए। वहां पर दोनों के रिपोर्ट्स कराए गए। सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल थे।फिर दोनों के साथ I.V.F. की पूरी प्रोसेस की गई। और कुछ महीनों की मेहनत के बाद कीर्ति ने गर्भ धारण कर लिया। इस बात से दोनों खुश थे। उनकी खुशियों की कोई सीमा नहीं ...और पढ़े