भारत से लंदन जाने वाले विमान पर ,चालक का नियंत्रण समाप्त हो गया था. सभी यात्रियों के चेहरे पर परेशानी की रेखाएं खिंच आई थीं. यात्रियों की आशा भरी निगाहें चालक पर टिकी थीं. विमान चालक पसीने से सरावोर था.लेकिन, विमान पर काबू पाने के लिए भरकस प्रयत्न कर रहा था. अभी यात्री आशा और निराशा में ही डूबे थे.तभी विमान के एक हिस्से में आग लग गई. इस अचानक आई मुसीबत से यात्री बदहवास हो गये. इसी विमान से दस बर्षीया नूपुर लंदन जा रही थी. उसके साथ उसके मामाजी थे.नूपुर के मामाजी के
Full Novel
आदमी का शिकार - 1
भारत से लंदन जाने वाले विमान पर ,चालक का नियंत्रण समाप्त हो गया था. सभी यात्रियों के चेहरे पर की रेखाएं खिंच आई थीं. यात्रियों की आशा भरी निगाहें चालक पर टिकी थीं. विमान चालक पसीने से सरावोर था.लेकिन, विमान पर काबू पाने के लिए भरकस प्रयत्न कर रहा था. अभी यात्री आशा और निराशा में ही डूबे थे.तभी विमान के एक हिस्से में आग लग गई. इस अचानक आई मुसीबत से यात्री बदहवास हो गये. इसी विमान से दस बर्षीया नूपुर लंदन जा रही थी. उसके साथ उसके मामाजी थे.नूपुर के मामाजी के ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 2
नूपुर चारों ओर से रीछों से घिरी हुई थी. रीछ नूपुर के इर्दगिर्द चक्कर काट रहे थे. रूक -रूक वे नूपुर को सूंघ भी रहे थे. शायद,वह परख रहे थे कि वह जीवित है या नहीं. भय से नूपुर का बुरा हाल था. लेकिन, वह हिम्मत करे रही .उसने सांस पूरी तरह रोक रखी थी.नूपुर को रीछों के वापस चले जाने का इंतजार था. लेकिन, तभी एक अनहोनी घटी.रीछों ने नूपुर को मृत जानकर भी छोड़ा नहीं. बल्कि एक बड़े से रीछ ने नूपुर को अपनी पीठ पर लाद लिया. अब रीछों का झुंड उसी दिशा ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 3
नूपुर को लगा यह रीछ उससे दोस्ती करना चाहते हैं. अन्यथा अब तक उसका काम तमाम कर देते. रीछों उसको कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाया.खाने के लिए शहद भी दिया. मधुमक्खियों से बचाया भी.काफी देर तक वह रीछ के साथ खेलती रही.उसे फिर भूख लगने .शहद से उसका पेट भरा नहीं था. खाने की तलाश में नूपुर ने चारों ओर देखा.बांयी ओर अंगूर की बेल थी.जिस पर बहुत सारे अंगूर लगे थे.नूपुर का चेहरा खुशी से चमक गया. वह अंगूर की वेल की ओर चल दी.उसने ढ़ेर सारे अंगूर तोड़कर फ्राक में भर लिए. इसके बाद, वह वापस ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 4
नूपुर रीछों के बाहर जाने से पहले ही उठ गई. आज उसने रीछों के साथ बाहर जाने का फैसला लिया था. रीछों के साथ रहते उसे यहां कई दिन हो गए थे.यहां उसका मन ऊबने लगा था. वैसे भी रीछों के साथ जाने से दो फायदे थे.पहले तो उसे इस जंगल की भौगोलिक स्थिति का पता लग जायेगा. दूसरे उसका मन बहल जायेगा. अभी नूपुर अपने विचारों में खोई हुई थी कि रीछों को बाहर जाते देखकर चौंक गई. उसने देर नहीं की ,फौरन रीछों के पीछे चल पड़ी. कुछ दूर तक तो नूपुर यूँही चलती रही. लेकिन, ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 5
नूपुर का मन रीछों के बीच नहीं लग रहा था. जानवर चाहें कितना भी प्यार क्यों न करें, जानवरों साथ कोई भी इंसान अपनी पूरी जिंदगी नहीं गुजार सकता. उसे मनुष्य के साथ की आवश्यकता होती है. वह.उन्हीं के बीच रहना चाहता है. नूपुर ने जबसे इस जंगल में मनुष्यों को देखा.उसका मन रीछों से उचट गया. उसके विचार से रीछों से अच्छे वो जंगली इंसान थे.उसने उन जंगली मनुष्यों के बीच रहने का निश्चय कर लिया. वह यहां से निकलने के रास्ते खोजने लगी.उसने फैसला कर लिया-आज रीछों के यहां से जाते ही,वह भी यहां ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 6
नीचे जंगल में नूपुर को खतरा ही खतरा नजर आ रहा था.उसने पेड़ों के ऊपर चलने का निश्चय किया. एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदती हुई आगे बढ़ने लगी.इस तरह चलने में जानवरों का खतरा नहीं था.लेकिन दिशा का ज्ञान होना मुश्किल था.ऊपर से सारा जंगल एक जैसा और बहुत घना था.कुछ दूर चलने के बाद नूपुर नीचे झांककर पंगडंडी देखती फिर आगे बढ़ती. एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाने में नूपुर को छलांग लगानी पड़ती. कई बार वह गिरते-गिरते बची. उसे थकान भी काफी हो गई थी.रास्ता भी कम तय हो पाया था.जंगल ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 7
ऊपर पहुंच कर नूपुर ने झोपड़ी में झांका.झोपड़ी खाली थी.नूपुर अंदर चली गई. झोपडी में कुछ मिट्टी और पत्थर बर्तन रखे थे. उसने एक बड़े से मिट्टी के बर्तन को खोलकर देखा. उसमें उबला हुआ चावल था.चावल देखकर नूपुर को भूख लग आई.उसने थोड़ा सा चावल मुँह में डाला. चावल मीठा था.नूपुर जल्दी -जल्दी बहुत सारा चावल खा गई. चावल जायदा स्वादिष्ट न था.फिर भी इतना बुरा नहीं था कि खाया न सके . पेटभर चावल खाने के बाद नूपुर झोपड़ी की तलाशी लेने लगी.झोपड़ी मे बर्तन के अलावा तीर कमान, कुल्हाड़ी, भाले आदि थे.पूरी झोपड़ी ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 8
योका के पीछे चलते हुए नूपुर ने योका से पूँछा-"यहां बस्ती में आदमी नहीं रहते?""रहते हैं.""दिखाई तो दिये नहीं.""दिन आदमी शिकार करने चले जाते हैं. बच्चे ,स्त्री ,बूढे खेतों में."योका ने बताया."तुम और देवता भाई नहीं गये?""मुझे शिकार से घृणा है. देवता भाई को काम करने की जरूरत नहीं है.""ऐसा क्यों?""मुझे निर्दोष जीवों की हत्या करना पंसद नहीं. देवता भाई को बस्ती वाले जरूरत की चीजें पहुंचा देते हैं."योका ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा. योका का बुरा सा मुँह देखकर नूपुर ने आगे बात नहीं की .वह चुपचाप योका के पीछे चलती रही."लो,यही हैं, देवता."एक ऊँचे टीले ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 9
दिन ढ़लते ही योका गन्ने के खेत से बाहर निकल आया. उसके हाथ में पत्थर का बर्तन था.जिसमें गन्ने रस भरा था."चलें"योका को बाहर आया देखकर नूपुर उठ खड़ी हुई."हां.चलो."कहते हुए योका ने उसकी अंगुली पकड़ ली."तुम्हारे घर वाले मुझे रख लेगें. "नूपुर ने योका के साथ चलते हुए पूँछा."हमारे यहां स्त्री, बूढे और बच्चों को सब अच्छे से रखते हैं. तुम्हें भी अच्छे से रखेंगे." नूपुर आश्वत् हो गई."जल्दी ही बस्ती में पहुंचने वाले हैं."योका ने अपनी चाल तेज की."तुम लोग मीठा चावल खाते हो?"नूपुर ने भी अपनी चाल तेज की."हां,लेकिन तुम्हें कैसे पता.?"योका ने रुककर नूपुर की ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 10
सुबह नूपुर की आँख खुली तो झोपड़ी खाली थी.उसने एक अंगड़ाई ली और बाहर निकल आई. के बाहर कोया खड़ा था .नूपुर को देखकर बोला-"जाग गई.""हां,सब लोग कहां गये हैं?"नूपुर ने खाली बस्ती देखकर कोया से पूँछा."जश्न की तैयारी करने.""देवता के आगे"योका बुझे मन से बोला.तब तो बड़ा मजा आयेगा. नूपुर खुश होकर बोली. बहुत समय बाद उसे कोई कार्यक्रम देखने को मिलने वाला था.नूपुर अभी जश्न के बारे में सोच ही रही थी. तभी एक जंगली लड़की दौड़ती हुई आयी और योका से लिपट गई-"योका ,तू शिकार कर लेना.""मनकी,तू मुझे मजबूर न कर."योका रोती हुई लड़की ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 11
मनकी अभी भी थिरक रही थी.योका का बाण धनुष से निकले उससे पहले ही जंजीर में बंधा युवक चीख यह आवाज ही योका को विचलित करने के लिए काफी थी.उसने धनुष एक ओर फेंक दिया. वह चीख उठा -"मैं हत्या नहीं करूंगा.... मैं हत्या नहीं करुंगा." इसके साथ ही जंगली युवतियां योका पर कोड़े लेकर टूट पड़ी. योका जमीन पर गिर पड़ा. मनकी के थिरकते पांव रूक गये. उसकी आँखें आँसुओं से भीग गईं. जंजीर से बंधा युवक आश्चर्य से यह दृश्य देख रहा था. सरदार और तन्वी के चेहरे बेबसी से मुरझाए हुए थे.नूपुर कुछ हक्की-बक्की सी खड़ी ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 12
योका दर्द से तड़प रहा था. नूपर योका की चोटों का उपचार करना चाहती थी. लेकिन यहां उसके पास दवाई न थी.वह इसी उधेड़बुन में कभी योका के पास बैठती कभी झोपड़ी के दरवाजे टर खड़ी हो जाती. सरदार और तन्वी भी वापस नहीं आये थे.योका होंठों को भींचे आँखें बंद किए पड़ा था.नूपर उसके दर्द को महसूस कर पा रही थी.परेशान सी नूपर योका के पास बैठ गई. तभी उसे लगा झोपड़ी के अंदर कोई आया है. उसने मुड़कर देखा.मनकी थी.उसके हाथ में पत्थर का बर्तन था.मनकी ने पत्थर के बर्तन से हरे रंग का लेप ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 13
शाम गहरा गई थी. बस्ती पर अंधेरे की हल्की चादर तनने लगी थी.बस्ती के लोग वापस लौट आए थे.सरदार तन्वी छाँव के बाहर बैठे थे. योका अंदर छाँव में चटाई पर लेटा था.नूपर उसके पास बैठी थी. उसको मनकी का इंतजार था.कई बार वह उठकर बाहर देख आयी थी.लेकिन, मनकी का कहीं पता नहीं था."मनकी नहीं आयी."नूपर ने योका से कहा."जरूर आयेगी."योका पूरे विश्वास से बोला. नूपर की आँखें दरवाजे की ओर ही लगु थीं. इसबार उसे निराश नहीं होना पड़ा. मनकी आ रही थी.योजना के अनुसार नूपर और मनकी तन्वी के पास गई."मुझे दिशा मैदान जाना ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 14
"नुप्पू, सुरंग तो ढे़र लम्बी निकली."मनकी ने नूपर को बताया. "कितनी लम्बी?"नूपर ने पूँछा."बहुत लम्बी. एकदम जंगल में जाकर मुझे वहां ले चलो.""चलो.""मैं भी तुम्हारे साथ चलूं?"योका ने नूपर से पूँछा."नहीं ,तुम अभी आराम करो.हम दोनों जा रहे हैं."नूपर ने कहा."मनकी ध्यान से जाना.'योका ने हिदायत दी."तुम बेफिक्र रहो."कहते हुए मनकी नूपर को लेकर चल दी."मनकी ,तुमने अपने बापू से सुरंग के बारे में तो नहीं पूँछा.""नहीं, हां,मानव धड़ के बारे में पूँछा था.""क्या बताया?"नूपर उसके पास आते हुए बोली."यही कि देवता गायब कर देती है.""मनकी ,तुम्हें विश्वास है कि देवता गायब कर देता है.?""सुरंग को देखकर तो ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 15
नूपर नहीं चाहती थी कि पड़ोसी कबीले के लोग बेकसूर मारे जायें. लेकिन ,उसे समझ नहीं आ रहा थाकि कैसे बचाये. तभी उसके दिमाग में एक विचार आया-यदि सरदार जश्न मना ले तो पास के कबीले पर हमला होने से बच जायेगा. उसने अपनी युक्ति योका को बतायी. "बेबात के जश्न कैसे मनाया जा सकता है."योका ने समस्या बतायी."तुम शिकार करने को तैयार हो जाओ."नूपर जल्दी से बोली."मैं और मानव..."""सोचो, योका, तुम्हारे एक शिकार से बहुत से लोगों की जान बच सकती है. इसके बाद हम कुछ और सोचेंगे. बरना देवता भाई सरदार से पास के कबीले पर ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 16
नूपर और योका को जंगल में भटकते हुए कई दिन हो गए थे. लेकिन, शिकार के लिए युवक अभी नहीं मिला था.विदेशियों के आने म़े केवल एक दिन बाकी था.नूपर और योका का थकान से बुरा हाल था. वह थक कर एक पेड़ का सहारा लेकर बैठ गई."क्या हुआ?"नूपर को बैठते देखकर योका ने पूँछा."अब नहीं चला जाता."नूपर पैर फैलाते हुए बोली."थोड़ी देर आराम कर लो."योका भी नूपर के पास बैठ गया. नूपर ने चारों ओर दृष्टि डाली तो चौंक गई. उनसे कुछ दूरी पर दो आदमी बैठे थे. जो देखने में भारतीय नजर आ रहे थे. ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 17
"अंकल, लाश योका को दे दीजिए."नूपर ने रतन से कहा."योका, लाश उठा लो."जमीन पर रखी लाश की ओर रतन इशारा किया."योका भाई,तुम लाश लेकर चलो.मैं अंकल को सुरंग दिखा दूं."नूपर ने योका से कहा."ठीक है."योका लाश को उठाते हुए बोला."बस्ती वालों के आने से पहले लाश को देवता के आगे लगा देना."नूपर ने योका को हिदायत दी."तुम जल्दी आना."योका लाश कंधे पर लाद कर चल दिया."आइए, अंकल, मैं आपको सुरंग दिखा दूं, जिससे विदेशी लोग देवता भाई से मानव धड़ लेते हैं."नूप्पू इगे बढ़ते हुए बोली."चलो."रतन नूपर के साथ चल दिया. शम्भु भी रतन और नूपर के ...और पढ़े
आदमी का शिकार - 18 - अंतिम भाग
मनकी और योका ने जश्न की व्यवस्था बहुत अच्छी की थी. देवता की मूर्ति के आगे युवक की लाश से बंधी खड़ी थी.मनकी लाश के आगे इस तरह नाच रही थी कि लोगों की नजरें एक पल से अधिक लाश को नहीं देखपारही थीं.आज उसने श्रृंगार भी विशेष रूप से किया था.जंगल की सारी खूबसूरती सिमटकर मनकी में समा गई थी. योका धनुष बाण लिए निशाना लगाने को तैयार खड़ा था.आँख लाश पर टिकी हुई थी.वह मनकी को बचाकर लाश की गर्दन उड़ाने का मौका देख रहा था. सरदार, तन्वी और देवता भाई के चेहरे से खुशी टपक ...और पढ़े