जादूगर जंकाल और सोनपरी

(84)
  • 86.1k
  • 17
  • 26.4k

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे जादूगर जंकाल और सोनपरी बहुत पुरानी बात है। जब इस देश में जादूगर और परी, बहुत सारे राजा और उनके छोटे छोटे राज, हुआ करते थे। शिवपुर गांव के शिवमंदिर के आसपास बहुत मधुर धुन में वंशी की धुन गूंज रही थी जिसे सुनकर गाय भैंस भी खुश होकर वंशी बजाने वाले उस लड़के को देखने लगी थीं जो कि बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर वंशी बजा रहा था। आइये हम इसी वंशी वाले लड़के शिवपाल की कहानी सुनते हैं। उस

Full Novel

1

जादूगर जंकाल और सोनपरी (1)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे जादूगर जंकाल और सोनपरी बहुत पुरानी बात है। जब इस देश में जादूगर और परी, बहुत सारे राजा और उनके छोटे छोटे राज, हुआ करते थे। शिवपुर गांव के शिवमंदिर के आसपास बहुत मधुर धुन में वंशी की धुन गूंज रही थी जिसे सुनकर गाय भैंस भी खुश होकर वंशी बजाने वाले उस लड़के को देखने लगी थीं जो कि बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर वंशी बजा रहा था। आइये हम इसी वंशी वाले लड़के शिवपाल की कहानी सुनते हैं। उस ...और पढ़े

2

जादूगर जंकाल और सोनपरी (2)

2 जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे ठीक तभी परी भी प्रकट हो गयी और की मां से बोली कि आप बहुत अच्छी महिला है जो अपने बेटे को दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरणा देती है। मां ने बड़ी रूचि से अपने बेटे को खाना बनाकर प्रेम से पंखा झलते हुए सामने बैठा कर खिलाया। परी से खाने के लिए पूछा तो परी कहने लगी कि हम तो फूलों की पराग और फलों की सुगंध से पेट भर लेती है। अगली सुबह जब तारे नही डूबे थे मां उठी और उसने बेटा ...और पढ़े

3

जादूगर जंकाल और सोनपरी (3)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 3 पांचवे समुद्र को पार करते समय ने देखा कि समुद्र में तूफान आया हुआ है और बीच समुद्र में दो लोग एक छोटी सी नाव में खड़े हुए बिलख बिलख कर रो रहे हैं। शिवपाल ने चटाई रोककर बाज को उन्हे उठा लाने का इशारा किया तो बाज ने पंख फड़फड़ाकर एक जोरदार कुलांच भरी और अपने एक एक पंजे से एक एक आदमी को पकड़ कर उठा लिया। दोनों लोग चटाई पर बैठे तो बचाने के लिए उन्होंने शिवपाल को धन्यवाद दिया । शिवपाल ने उनके घर का ...और पढ़े

4

जादूगर जंकाल और सोनपरी (4)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 4 कुछ ही देर में वे समुद्र को कर चुके थे और मगरमच्छ गहरे पानी से जमीन की तरफ बढ़ रहा था। इस तरह सबसे कठिन लगने वाली इस यात्रा में एक एक करके इस तरह सातों समुद्र पार करने के बाद वे लोग उस टापू पर जा कर उतर गये थे जिस पर जादूगर ने अपना किला बना रखा था। मगरमच्छ की पीठ से टापू की जमीन पर उतरते शिवपाल को देख कर परी शिवपाल के पास आयी और उसके हाथ जोड़ बोली कि यहां तक तो ...और पढ़े

5

जादूगर जंकाल और सोनपरी (5)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 5 आगे बढ़ने पर और ज्यादा गाढ़ा धुंआ लग गया था। अभी वह दो सौ कदम ही आगे बढ़ा होगा कि उसके घोड़े के पांव थम गये। शिवपाल ने घोड़े के रूकने का कारण जानने के लिए रास्ते पर आगे नजरें गढ़ाई तो डर की वजह से उसे पसीना आ गया, उसके सारे बदन में एक बार भय की लकीर सी फैल गयी। सामने पच्चीस तीस खूंख्वार भेड़िए रास्ता रोके खड़े हुए अपनी लम्बी जीभ लपलपा रहे थे। शिवपाल ने सोचा कि बस अब गयी जान, दोनों ही मारे जायेंगे। ...और पढ़े

6

जादूगर जंकाल और सोनपरी (6)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 6 कुछ देर बाद सामने सारी रोशनी दिखी तो वह दौड़कर उधर ही पहुंचा। शिवपाल फिर चकित था- क्या रहस्यमय जंगल था। जहां रोशनी थी वहां गुफा का बाहर को खुलता एक दरवाजा था जिसके पार एक खूब चौड़ा मैदान था। जिसके चारों ओर खूब ऊंचे पहाड़ दीख रहे थे। शिवपाल सोच रहा था कि वे लोग अभी एक जंगल की सीड़ियां उतर कर वे यहां तक आये थे तो किसी गुफा का अंधेरा मिलना था लेकिन यहां तो बहुत उजालेदार माहौल था। खैर, हरी भरी घाटियां और मस्त ...और पढ़े

7

जादूगर जंकाल और सोनपरी (7)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 7 शिवपाल समझ गया कि दरवाजा ऐसे तो दिख रहा है कि लेकिन जादूगर जंकाल ने बिना किसी रखवाले का खड़ा करे जादू के दम पर इस दरवाजे में घुसने वाले बाहर के घुसपैठियांे से रक्षा करने के लिए ऐसा इंतजाम किया है। शिवपाल ने देखा कि दरवाजे के दांये और बांये दोनों तरफ दूर तक लगभग पच्चीस पच्चीस फुट ऊंचाई की दीवार है जो बहुत दूर तक चली गयी है। शिवपाल ने दूरसे दीवार का अवलोकन किया और दीवार के किनारे किनारे कुछ दूर तक चलता रहा। फिर उसने ...और पढ़े

8

जादूगर जंकाल और सोनपरी (8)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 8 शिवपाल ने आव देखा न ताव एक वार में गोरिल्ला का सिर काट दिया। जमीन पर गिर रहे गोरिल्ला के बदन से अचानक एक देवता जैसा बहुंत गोरा और राजसी वस्त्रों से सजा हुआ व्यक्ति प्रकट हुआ और हाथ जोड़ कर शिवपाल से बोला- हे महापुरूष आपको धन्यवाद। मेरा नाम अश्विनकुमार है! मैं परीलोक का पहरेदार हूं यह जादूगर मुझे पकड़ कर यहां ले आया है और यहां गोरिल्ला बना कर पहरेदार बना कर रख दिया है यहां इस जादूगर की करामात से मुझ जैसे दस और परीलोक ...और पढ़े

9

जादूगर जंकाल और सोनपरी (9)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 9 इसके बाद आंगन था और आंगन के बीचोंबीच अजीब सा चमकदार कमरा बना था जिसमें कही से दरवाजा नहीं था। शिवपाल हैरान था कि इस किले में में ज्यादातर महल और कमरे ऐसे क्यों है, जिनमें कोई दरवाजा ही नही है। यह सोच ही रहा था कि सहसा उसने देखा कि आने हाथ में एक थाली सी लिये एक सैनिक उस चमकदार कमरे की दीवार के सामने आ खड़ा हुआ है। वह सैनिक जाने किस भाषा में कोई मंत्र सा बोल रहा था उसके मंत्र बोलने के साथ चमत्कार ...और पढ़े

10

जादूगर जंकाल और सोनपरी (10)

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 10 रत्नदीप भी जादुई द्वीप था । पर उतरते समय चंद्र परी साथ थी। शिवपाल ने अपने बाज को इशारा किया तो उसने एक लम्बी उड़ान भरी जिससे कि वह द्वीप के भीतर तक की खोज खबर लाकर बता सके। इधर शिवपाल ने अपने घोड़े के साथ रत्नदीप के रेतीले इलाके में चल पड़ने की तैयारी की। उसे लगा रहा था कि यहां बहुत गर्मी लगने वाली है इस लिए उसने जमीन पर फैली हुई धूल को अपने बदन पर रगड़ना शुरू किया कि उसे सूरज की तेज गर्मी न ...और पढ़े

11

जादूगर जंकाल और सोनपरी (11) - अंतिम भाग

जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 11 यह नजारा देख शिवपाल ने देर नही वह अपनी किलकारी तलवार को हाथ में ले बेधड़क गुफा में घुस गया। मुख्य गुफा खूब बड़े कमरे के समान थी, जिसमें आस पास छोटी-छोटी गुफाऐं बनी हुई थी। मुख्य गुफा में सामने ही एक चौकोर चट्टान पर एक विशाल चमकती सफेद बड़ी सी गोल गेंद थी जिसमें से रोशनी निकल रही थी यह चंद्र्र मणि थी जिसके भीतर से चंद्रमा की तरह की चांदी जैसी रोशनी लप्प-लप्प हो रही थी। शिवपाल ने आव देखा न ताव उस मणि पर अपनी जादुई ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प