अस्वत्थामा (हो सकता है)

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अंतिमसंस्कार के बाद डी.सी.पि. प्रताप चौहाण ने अपने ड्राइवर को अपनी गाडी लेकर पुलिस स्टेशन पहोचने को कहा और अपने दोस्त जगदीशभाई से कहा मैं तेरे साथ तेरी कार मैं चलता हू , तू मुजे पुलिस कमिश्नर ओफिश ड्रॉप कर देना , इसी बहाने तेरे साथ कुछ बाते भी हो जायेगि । फिर दोनो दोस्त चलती कार मैं बाते करने लगे। डी.सी.पि. प्रताप ने जगदीशभाई से कहा की यू.पि. से कपूर का फोन आया था । बता रहा थी की किशन की बॉडी के पास से जो मोबाईल मिला है , उसकी जाँच करने से पता लगा है की

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday

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अस्वत्थामा (हो सकता है)

सुबह सुबह , उत्तर प्रदेश के बरेलि जिल्ला पुलिस के हेडक्वार्टर से पुलिस की गाडिया रामनगर कि ओर के लिये ते़जी से निकल चुकी थी । रामनगर बरेलि जिल्ला के आँवला तालुका का छोटा सा गाव है । हाल ही मे बरेली जिल्ला मे ट्रांसफर होकर के आए हुए पुलिस सुप्रि. अश्विन कपूर साहब को खबर मिली है की यूपी के अर्कियोलोजी डिपार्टमेंट के लखनौ सर्कल के सिनियर अधिकारी श्री किशनसिंह चावडा कि रात में हि वहा रहश्यमय रुप से मौत हो गई है। जिल्ला पुलिस वहा पहुँची तब वहा ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 2

उसी दिन सुबह किशनसिंहजी के राज्य गुजरात के अहमदाबाद में मनोविग्नान के प्रोफेसर जगदिशभाई सुबह सुबह अपने में अपने कमरे को अंदर से बंध करके बैठे बैठे भगवद् गीता का पठन कर रहे थे । उसके बंगले के बाहर दीवार पर उनके नाम की नेम प्लेट लगी हुई थि जिसपे उसका नाम लिखा हुवा था “ जगदिशभाई एम. उपाध्याय “ । और उसके नीचे उसका व्यवसाय लिखा हुवा था “ प्रो. गुजरात युनिवर्सिटी “ । जिससे साफ पता चलता था की वे गुजरात की प्रख्यात युनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे । जगदिशभाइ के कमरे के बाहर उनकि बीबी संध्या नई ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 3

अंतिमसंस्कार के बाद डी.सी.पि. प्रताप चौहाण ने अपने ड्राइवर को अपनी गाडी लेकर पुलिस स्टेशन पहोचने को कहा और दोस्त जगदीशभाई से कहा मैं तेरे साथ तेरी कार मैं चलता हू , तू मुजे पुलिस कमिश्नर ओफिश ड्रॉप कर देना , इसी बहाने तेरे साथ कुछ बाते भी हो जायेगि । फिर दोनो दोस्त चलती कार मैं बाते करने लगे। डी.सी.पि. प्रताप ने जगदीशभाई से कहा की यू.पि. से कपूर का फोन आया था । बता रहा थी की किशन की बॉडी के पास से जो मोबाईल मिला है , उसकी जाँच करने से पता लगा है की ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 4

फिर थोडे ही दिनो मे मालती अपने मिलनसार स्वभाव और पढाई करवाने की अपनी बहेतरिन और अनोखी रीत से यूनिवर्सिटी के स्टाफ और स्टुडण्ट के साथ घुलमिल गई । ईस दौरान जगदीशभाई और मालती की दोस्ती भी काफी मजबूत हो चुकी थी । एक दिन मालती अपने क्लासरूम में हिस्ट्री की पाठ ले रही थी। तभी उसने देखा की पहेली बेंच पे बैठी हुई किशनसिंहजी की बहेन अर्चना बैठी बैठी रो रही थी। मालती मेडमने पूछा क्या हुआ अर्चना ? तुम क्यू रो रही हो । क्या बात है ? तभी उसकी बगल मैं बैठी पल्लवी बोली मैडम ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 5

किशनसिंहजी के परम मित्र प्रो. ईश्वरभाई पटेल अपने विध्यार्थिओ को बायोलॉजी की लेब मैं ह्युमन बॉडी सेल्स स्ट्रक्चर (मानव कोष सरंचना ) के बारे में प्रैक्टिकल के साथ पढ़ा रहे थे । जहा वो हरेक स्टूडण्ट को बारी बारी से वहा रखे माइक्रोस्कोप में अति सुक्सम कोष दिखाके कोष सरंचना का विश्लेशण कर रहे थे और कहे रहे थे की माइक्रोस्कोप मैं आपको जो कोष दिखाई दे रहे है एसे हर एक कोष मैं गुणसुत्रो (क्रोमोजोम) की २३ जोड़े होकर कूल ४६ गुणसूत्र होते है । और पुरुषो और स्त्रीओ में गुणसूत्रों कि २२ जोड समान होती है । ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) - 6

इन्सपेक्टर वसीम खान पोलिस चौकी मैं अपनी ओफिस मैं अकेले बैठे बैठे किशनसिंहजी की मृत्यु के केस की फाइल बार पढ रहे थे । और पढने के साथ साथ कागज पे कुछ टपका रहे थे । थोडी देर बाद फाइल को पूरा पढ़ने के बाद उसने अपने पी.एस.आइ. सावंत को ऑफिस मैं बुलाया । और जिस कागज पे फाइल पढ़ने के साथ साथ वो कुछ लिख रहे थे वो कागज सावंत को देते हुए बोले देखो सावंत ईस कागज में मैंने कुल १७ लोगों के नाम लिखे है । और ये सभी किसी ना किसी तरह से ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 7

आज रविवार था । सुबह सुबह अपने किराए के घर के बाहर खुर्शी डाल के जिग्नेश बैठा था । उस घर के मकान मालिक रतनभाई किराया लेने पहोच गए । उसे देख के जिग्नेश बोला आप परसो आना रतनकाका अभी जुनागढ की बैंक से मनीऑर्डर नही आया है । ये सुन के रतनभाई हँसने लगे और वापस लौटते लौटते बोलते गए ना जाने कैसा उटपटांग बाप मिला है तुजे ? वहा जुनागढ मे दान धर्मादा करने के लिए उसके पास अढळक पूंजी है पर यहा बेटे को पढाने मे एक एक पाई का हिसाब रखता है । ये ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 8

जिग्नेश अपने घर से यूनिवर्सिटी जाने के लिए अपनी बाइक लेके निकला । रास्ते में चाय के स्टोल पे चाय पीने खडा रहा । चाय पीते पीते उसका ध्यान सामने दीवाल पे चिपकाए हुए कागज के पोस्टर पे गया । जिस पे किशनसिंहजी के आसिस्टंट कुमार कि तसवीर छपी हुई थी और नीचे लिखा था कि इस आदमी का पता बताने वाले को इनाम मिलेगा । ये तसवीर देख के जिग्नेश के दिमाग की ट्यूबलाइट जली क्यूँकि इसी तसवीर को उसने किशनसिंहजी की मृत्यु के समाचार वाले न्यूज पेपर में देखा था । उसने अपना मोबाईल निकाला और उसमे उसने ...और पढ़े

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 9

गुजरात यूनिवर्सिटी मे सुबह १० बजे के आसपास मिस मालती अपनी ऑफिस के रिडींग रुम मैं बैठी बैठी न्यूज पढ रही थी । तभी वहा जगदिशभाई आए । जगदीशभाई के आने से मालती ने उसके लिए चाय का ऑर्डर दीया । दोनो चाय का इंतजार करते हुए बैठे थे तभी वहा प्रो . ईश्वर पटेल आए । उनके हाथ में एक किताब थी । उस किताब को टेबल पर रखते हुए वो बोले मुजे तुम दोनो की हेल्प चाहिए। फिर मलती की ओर देख के बोले स्पेसियलि मालती तुम्हारी हेल्प चाहिए । तभी मालती बोली हा बताइये मै आपकी ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) - 10

फिर शाम को जगदीशभाई अपनी कार लेकर अपने घर पहोचे । फिर अपनी गाडी से बाहर निकल के अपने मे जाने लगे । उस वक्त उसके हाथ मे एक सुटकेश था । घर के अंदर जाके उसने देखा की संध्या किचन मे रसोई बना रही है और मां टीवी पे सीरियल देखने मे व्यस्त है । फिर वो सीधे अपने बेडरूम मे चले गए । वहा बेडरूम में जाके उन्होंने अपनी जेब से चाबी निकाली और बेडरूम मे कोने में रहे बंद दरवाजे के ताले मे लगा के दरवाजा खोल के अंदर गए । यहा अंदर के कमरे ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) 11

“ ये पूरी कहानी की शुरुआत तब हुई जब हम अर्कियोलोजि डीपार्टमेंण्ट में लखनऊ सर्कल मे अपनी ड्यूटी कर थे । उस वक्त एक दिन चावडा सर पाकिस्तान के सिंध मे पाए गए पुराने नगर मोहनजो दरो की संदर्भ बुक पढ रहे थे ।किताब पढते पढते उसकी आंखें पुस्तक मे छपी हु़ई पशुपति (भगवान शिव शंकर का एक नाम) की खंडित मुहर ( सिंध प्रदेश मे खुदाई के दौरान पाई गई पुरानी मुहरो में सें एक) के चित्र पे आके अटकी । उसने पुस्तक मे वो चित्र मुजे दिखाया । और मुजे कहेने लगे कुमार गौर से देखो ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) 12

अपनी पूरी बात सुनाके कुमार ने वसीम खान से कहा यही है मेरी पूरी कहानी अब ईस पे आप करो या ना करो पर यही सच है । वसीम खान ने फिर उससे पूछा तो फिर किशनसिंहजी ने उस पत्थर पे जो अश्वत्थामा के बारे मे लिखा है उसकी क्या वजह है ? कुमार जवाब देते हुए बोला इस बारे मे तो मैं भी कुछ नहि जानता । क्यूँकि मे जब तक वहा था तब तक तो सर ने वहा पे ऐसा कुछ भी नहि लिखा था । वहा से मेरे भागने के बाद सायद उन्होने ये सब ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है) 13

ईस घटना के लगभग बीस दिन बाद जब माहोल थोडा हलका हुआ तब इन्सपेकटर वसीम खान और डि.सि.पि. प्रताप जगदीशभाई के घर पे इंकवायरी करने पहोचे । उस वक्त जगदीशभाई के घर पे संध्याबहेन के भाई और भाभी भी मौजूद थे । वसीम खान ने संध्या बहेन से पूछा उस दिन देर रात को जगदीशभाई और मिस मालतीजी कहा जा रहे थे ? आप कुछ बता सकते है उस बारे मे ? संध्या बहेन अपनी साँस की ओर देखते हुए बोले मुजे और माँ को दोनो को ईस बारे मे कुछ नहि मालूम । क्युकि उस रात जगदीश ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) 14

पच्चीस साल बाद : गुजरात राज्य के जुनागढ शहेर की भक्त कवि नरसिंह महेता युनिवर्सिटी मे करार आधारित लेक्चरर की भर्ती के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही थी । यूनिवर्सिटी के वाइस चांसेलर भवन मे ओफिस के अंदर वाइस चांसेलर जिग्नेश रावल और दुसरे पांच प्रोफेसर इंटरव्यू लेने के लिए मौजुद थे। जिनमे से एक यूनिवर्सिटी के रजिस्टार थे। और बाकी चारो अलग अलग डिपार्टमेन्ट के हेड थे। वो सब बैठे थे वहा हरेक के सामने टेबल पे उन सब के नाम की नेम प्लेट रखी हुई थी। जिसपे उसके नाम और होदे लिखे हुए थे। बाहर वेइटिंग ...और पढ़े

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) 15

ऑफिस मे जिग्नेश सर और सुगंधा के बिच मे कुछ देर तक औपचारीक बाते होती रही। आखिर जिग्नेश सर जिस काम के लिए सुगंधा को बुलाया था वो मुदा छेड़ा । उन्होने सुगंधा से पूछा की तुम्हारे पिताजी की मृत्यु किस हालात मे हु़ई थी वो तुम जानती हो ? अपने पिता की मृत्यु के बारे मे सुनके सुगंधा ऑफिस की खिडकी से बाहर की ऒर ताकती हुई बोली। हा मै जानती हूँ। मेरी माँ ने मुजे सब कुछ बताया है। मुजे ये भी मालूम है की मेरे पिताजी पे उसीके दोस्त की जान लेने का इलजाम लगाया गया ...और पढ़े

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