तुमने कभी प्यार किया था?

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तुमने कभी प्यार किया था? यह सुनकर वह अचानक अनुभूतियों में डूब गयी। कुछ देर सोचने के बाद वह बोली हाँ। पहाड़ियों पर बसा कालेज था, एक राजकुमार सा लड़का था। जुलाई का महिना और खूब वर्षा होती थी। हम सब एक ढलान पर बने छज्जे पर इकट्ठा थे और उसे परिषद का उपाध्क्ष चुना गया था। वह अपने भाषण में अच्छी-अच्छी बातें कह रहा था।

नए एपिसोड्स : : Every Sunday

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तुमने कभी प्यार किया था? - 1

तुमने कभी प्यार किया था, यह सुनकर वह अचानक अनुभूतियों में डूब गयी। कुछ देर सोचने के बाद वह हाँ। पहाड़ियों पर बसा कालेज था, एक राजकुमार सा लड़का था। जुलाई का महिना और खूब वर्षा होती थी। हम सब एक ढलान पर बने छज्जे पर इकट्ठा थे और उसे परिषद का उपाध्क्ष चुना गया था। वह अपने भाषण में अच्छी-अच्छी बातें कह रहा था। ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 2

उसने उस दिन की मुलाकात में कहा था,कि वह अपने दोस्त से मिलने इलाहाबाद भी जा रहा है। कल जायेगा ।लेकिन वह नहीं गया। वह दूसरे दिन भी मुझसे मिलना चाह रहा था। झील के किनारे-किनारे अपनी सोच को फैलाते आ रहा था। तभी मूसलाधार बारिस होने लगी। वह एक जगह पर खड़ा हो, मेरे हास्टल की ओर देख रहा था। उसे यह प्रलय की बारिस लग रही थी,जो हमारे प्यार को बहा ले जा रही थी। बारिस कम होते ही वह मन्दिर की ओर मुड़ा और मन्दिर में जाकर आगे की बातें ईश्वर पर छोड़ दी। मुझसे मिलने ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 3

नानी तुमने कभी प्यार किया था?भाग-३मैं हमेशा उसको सुनना चाहती थी। मेरा सम्बोधन धीरे-धीरे आदरसूचक होने लगा था ।मुझे से क्षण याद हैं जब उसको देखते ही मेरे कदम रूक जाते थे । उनका लेक्चर , भैतिक रसायन पर , धाराप्रवाह लिये था । वह कण की गति को समीकरण में बाँध रहा था और मैं आवाक हो , उनके स्नेहिल स्वभाव की गति देख रही थी। कण की गति का तरंग और कण के रूप में सुन्दर विवेचना उसने की थी । लेक्चर के बाद, मैं उसे बधाई देना चाहती थी , लेकिन वह अपने साथियों के साथ बाहर आ ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 4

नानी तुमने कभी प्यार किया था-४वर्षों बाद उसे अपने पुराने दिन याद आने लगते हैं। अहिल्या की तरह पत्थर बातों को समय जगा देता है। भोर की मंत्र की तरह मैं उसे याद आने लगती हूँ। अपने मन को वह खोलने की कोशिश करता है -तुम्हारी बात का कोई किनारा दबा हुआ है, तुम्हारे पैर का कोई कदम रूका हुआ है, तुम्हारे हाथ का कोई स्पर्श सहमा हुआ है,तुम्हारी मुस्कान का कोई किनारा छूटा हुआ है, तुम्हारे नाम के अक्षर-अक्षर उखड़े हुये हैं,तुम्हारी घर का कोई कोना टूटा हुआ है, तुम्हारी आशा का कोई किनारा दबा हुआ है। वह उस गली में आना चाहता है, जहाँ मैं रहा करती थी।वर्षों पहले ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 5

नानी तुमने कभी प्यार किया था भाग-5पीछे मुड़कर देखती हूँ तो जीवन प्यार का , संघर्ष का, लड़ाई का, का, सहयोग का, मित्रता का, राग - द्वेष का, जन्म का, मृत्यु का, मिलन- विछोह का मिलाजुला रूप लगता है।मैं उसे आवाज नहीं लगा पायी।और वह मेरे सामने से निकल गया।इंटरनेट पर उसकी बात को पढ़ा और आँखें भर आयीं । उसने लिखा था - शायद, तुमसे अच्छे लोग मिले,तुमसे अद्भुत विचार सुने,तुमसे सुन्दर तन देखा,पर तुम सा कोई शब्द नहीं था।शायद, उनसे ऊँचे शिखर भी देखे,उससे अधिक सौन्दर्य मिला,तबसे अनोखे क्षण भी आये, पर तुम सा कोई नाम नहीं था।तुम से ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 6

नानी तुमने कभी प्यार किया था?भाग-6पतझड़ का मौसम था।ठंड दाँत कटकटा रही थी।झील पर मरी छोटी-छोटी मछलियाँ तैर रहीं जो रात में कड़ाके की ठंड से मर चुकी थीं।वह अपने दोस्त के साथ झील के किनारे बनी सड़क में घूम रहा था।वह सड़क मेरे छात्रावास से लगभग १०० मीटर नीचे से गुजरती थी। दोनों काफी खुश लग रहे थे। विज्ञान के विषयों पर चर्चा कर रहे थे।सड़क के किनारे एक छोटा मन्दिर था, वहाँ पर दोनों ने हाथ जोड़ कर आशीर्वाद लिया।और उसने मेरे छात्रावास की ओर मुड़कर देखा,यह सोचकर कि मैं दिखाई दूँ।मैं नहाकर, धूप में साथियों के ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 7

नानी तुमने कभी प्यार किया था? भाग-7 उसकी कुछ रचनाएं मैंने पढ़ी। और बार-बार उन्हें पढ़ती रही।मेरे मन में साक्षात मूर्ति बनती रही।मुझे लगता था इन रचनाओं के माध्यम से वह मुझे और मैं उसे छू रही हूँ।१. तुम्हारा वह मन फिर मिला ही नहीं,तुम्हारी परिछाई फिर दिखी ही नहीं,धूप में गया तोयादें लिपट आयीं,पगडण्डी पर चला तोकदम याद आये,कहानी तुम्हारीसाथ ले आया, किश्मत के रोड़े उठाये न उठे,दिन कब ढलेपता ही न चला,अथक दौड़ मेंफिर मिले ही नहीं,वह जगमगाता उत्साहकहीं मिला तो नहीं,सारी कल्पना सेअभिभूत हो चुका,तुम्हारे नाम कोसंग ले, जी लिया। २. मैंने सबसे पहले तुमसे ही पूछा पाठ्यक्रम का विवरणहवा की ठंडक और तुमने पुष्टि की मेरे ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 8

नानी तुमने कभी प्यार किया था? भाग-8उसने तीन-चार रचनाएं प्रकाशनार्थ भेजी हैं। वह आज के प्रदूषित वातावरण पर लिखता इस प्रदूषण भरे शहर मेंमैंने आज तारों कोटिमटिमाते पायाऔर मैं आश्वसत हुआकि मेरे शहर का प्रदूषणआज कम है,सभ्यता आज उच्चतर बिन्दु पर है, मेरी यादेंज्वालामुखी की तरह उठ बचपन में पहुँच गयी,जब स्फटिक होता था आकाशऔर तारों तक दृष्टि जापूर्ण हो जाती थी। इसी के साथ शायद उसे हमारा प्यार बड़े आयाम पर दिखता है और वह इसे व्यक्त करना चाहता है- जिस जगह परमैंने तुमसे कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ वह जगह अब भी सजीव हैअनुभूतियां अब भी वहाँ हैं सिसकती आँखें अब भी वहाँ चमकती हैं, कदम वहाँ ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 9

नानी तुमने कभी प्यार किया था?भाग-9फेसबुक पर अपने कालेज, हास्टेल, झील, छोटी-छोटी पगडण्डियों और हरे-भरे पर्यावरण को देख मेरी यादें तरोताजा हो गयीं। इसी फोटो के नीचे उसने लिखा था- जहाँ तकदेख सकता था तुम्हेंदेखा,जहाँ तकजा सकता था तुम्हारे लियेगया,जहाँ तकसोच सकता था तुम पर सोचा,जहाँ तकलौट सकता था तुम्हारे लिएलौटा,जहाँ तकपा सकता था तुम्हारा अंदाजचला,जहाँ तकपहुँचा सकता था अपनी बातपहुँचाया,मेरे इस देखने,सोचने,चलने,लौटनेऔर पहुँचाने में, पता नहीं कौन -कौन था? फिर लिखा था, बीच में जागेश्वर गया था।बहुत सुन्दर जगह है। एक ही जगह पर १२८ छोटे-बड़े मन्दिर हैं। कहा जाता है कि ये मन्दिर कत्यूरी और चन्द राजाओं ने बनवाये थे।पौराणिक मान्यता ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 10

तुमने कभी प्यार किया था? भाग-10उसकी मुस्कान को मैं कभी भूल नहीं पाती हूँ।वह कभी आसमान की तरह गहरी जहाँ असंख्य नक्षत्र झिलमिलाते दूरी का आभास देते हैं।या उस झील की तरह जिसका पानी हवा से हिलता और मेरे भावों की नावें और मछलियां उसमें तैरती रहती हैं।उसकी लिखी पंक्तियों को में बार-बार पढ़ती हूँ। तूने मेरे कदमों कोएक अर्थ दिया था,आँखों को कहने काअद्भुत संयोग दिया था।मन बैठ गया था जब तेरे आँगन में,इक आदर का भाव वहीं लेने आया था।तेरी यादों का पताबार-बार पढ़ता हूँ,किये गये वादों सेरूठ नहीं पाता ह ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 11

नानी तुमने कभी प्यार किया था भाग-११मैं उस दिन उसके ठीक सामने बैठी थी।तब तक उसने मेरे से मैं तुमसे प्यार करता हूँ। नहीं कहा था।वह मेरे चेहरे को देख रहा था। शायद मुझे समझने का प्रयास कर रहा था।मैं बार-बार उसे देखती और बार -बार नजर हटाती। वह उस दिन अपने गाँव की घटना बता रहा था। कह रहा था। उस दिन गाँव से दूर, गाँव के तीन परिवार जंगल में अपनी गाय चरा रहे थे।उसी बीच एक चीता एक गाय के बछड़े पर झपटा।ग्वालों ने तुरंत हल्ला मचाना शुरु किया और उनके हल्ले और आक्रमकता को देख चीता बछड़े ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 12

नानी तुमने कभी प्यार किया था?भाग-12कहानी जो वह कह न सका।उस दिन उसने अपने प्यार को कहने की ठानी।बातों वह कह नहीं पा रहा था। अत: उसने लिख कर कहने की सोची। उसने अपनी कापी निकाली और उसके खाली पन्ने पर लिखा मैं तुमसे प्यार करता हूँ। और सोचने लगा उसे आज दूँ या न दूँ। फिर उसे वहीं छोड़ कालेज को निकल गया। दूसरे दिन फिर एक सफेद पन्ना उसने ढ़ूढ़ा और फिर उसमें लिखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। पन्ने के अतिरिक्त भाग को उसने फाड़ दिया और काम के हिस्से को कोट की जेब में रख ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 13

मुझे उसका लिखा पढ़ना अच्छा लगता है। और उसका लिखा पढ़ने लगी, तन्यता से।नैनीताल की ठंडी सड़क:“चाँद के उस चलो” फिल्म टेलीविजन पर चल रही है। फिल्म के अन्तिम दृश्य नैनीताल के मैदान में फिल्माया गया है। दृश्य लगभग रोमांटिक कहा जा सकता है।अन्त सुखान्त है। नायक और नायिका का मिलन।फिल्म तो समाप्त हो जाती है।लेकिन मल्लीताल के मैदान को देखकर मेरा मन उसके चारों ओर लधर जाता है। उस मैदान में नेताओं के भाषण भी सुने। खेल भी देखे। और ठंडी सड़क से जो विद्यार्थी लंघम, एस आर, के पी छात्रावासों से आते थे उनके दर्शन भी यदाकदा ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 14

तुमने कभी प्यार किया?उसने आगे लिखा है-" मैं हल्द्वानी से नैनताल जा रहा था। हनुमानगढ़ी पर उतरा,पैदल मन्दिर की चल पड़ा।चारों ओर सब पहाड़ियों को देखा। यादों के कुछ झोंके आये और लगा जैसे आसमान से गिरे,पहाड़ियों पर अटके।कभी मैंने सोचा था, ऐसी लड़की से शादी करूँगा जो घराट जाती हो, घास काट कर लाती हो। गायों के ग्वाले जाती हो जैसे कृष्ण भगवान जाते थे। खेतों में काम करती हो, रोटी बनाती हो,गोल-गोल। पहाड़ सी सहनशील हो, हरीभरी,आकाश को चूमती हुयी। मुझे घराट की वह लड़की याद आ रही है जो मेरे पीछे-पीछे चल रही थी जब मैं ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 15

तुमने कभी प्यार किया था?-१५वह मुझसे पूछती है," तुम भी पढ़ने के बाद यहाँ से चले जाओगे क्या?" हाँ, सकता हूँ।सुमन बोली तब बहुत बुरा लगेगा।लगभग सभी जाते हैं मैंने कहा।वह बोली मैं तो बुढ़ापे तक इन्हीं पहाड़ों को चढ़ती रहूँगी। बर्फ की फाँहों सी उड़ा करूंगी। तुम चिट्ठी में गाँव का हालचाल पूछते रहना।मेले में जाओगे इस बार?हाँ जाऊँगा।मैं भी आऊँगी। बहुत अच्छा लगता है मुझे मेला देखना। सजूंगी,सबरूंगी । माँ चोटी बनायेगी। साड़ी पहन के जाऊँगी। तुम देखते रह जाओगे, मुझे। तुम्हें पता है, एक राक्षस था। एक बार उसका महल आग में जल गया। वह पास ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 16

तुमने कभी प्यार किया था?-१६हमने पानी पिया। मैंने उसे बताया लगभग सौ साल पहले एक बच्चे को बाघ ने में मार दिया था। यहाँ से दो सौ मीटर दूरी पर शव को गाड़ दिया था, गाँव वालों ने। बाघ ने दूसरे दिन शव को गड्ढे से निकाल दिया था। उसने सुना और मैंने कहा चलो चलते हैं। ऊपर धार में बैठेंगे वहाँ अच्छी पवन भी चलती है।हम वहाँ पर बैठे थे जहाँ से हमारे रास्ते अलग हो रहे थे। वहाँ से गाँव का एक घर दिख रहा था। उस घर में कुछ ऐसा घटित हुआ था जिसे देखकर मैं ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 17

तुमने कभी प्यार किया था?-१७मेरा ध्यान थोड़ा हटा और मन्दिर के सामने उस चबूतरे पर गया जहाँ दो लड़कियां थीं। निरपेक्ष भाव से प्रकृति का आनन्द ले रही थीं। और उनकी कक्षा के और लड़के जो संख्या में नौ थे दूर दूसरे चबूतरे पर बैठे थे। वे भी प्रकृति का आनन्द ले रहे थे। प्रकृति उस दिन बहुत सुन्दर रूप में खिली थी। धूप गुनगुनी लग रही थी। चाहतें इधर-उधर जा रही थीं। मेरी चाहत भी इन्हीं के बीच उड़ रही थी। उसके पंख कटे नहीं थे। उस सुरम्य स्थान पर वह हिडोले खा रही थी।हम अवतार के रूप ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 18

तुमने कभी प्यार किया था?-१८नैनीताल ठंडी सड़क पर चलना अच्छा लगता है। मन करता है बस,आवाजें सुनायीं दें, मधुर आती रहें,धरा सहिष्णु बनी रहे,मिठास सतत बढ़ती रहे। यह वही सड़क है जो प्यार और संघर्ष में साथ रही। नैनादेवी मन्दिर से जब इसके मुँह में प्रवेश करता हूँ तो अतीत की यादें बारिश की बौछारों की तरह भिगो देती हैं। बहुत लोगों ने इसे अपने ढंग से समय-समय पर अनुभव किया होगा। अनुभूतियों पर लिपटा मैं भी इसमें घुसते जाता हूँ। कोट की जेब से फोन निकालता हूँ। और जो पढ़ता हूँ, वह मुझे असहज सा कर देता है। ...और पढ़े

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तुमने कभी प्यार किया था? - 19

तुमने कभी प्यार किया था?-१९उनका बंगलौर से फोन आया। पूछे सकुशल पहुँच गये? मैंने का हाँ। फिर बोले कोई तो नहीं हुयी। मैंने कहा नहीं,उड़ान समय से थी और समय से गंतव्य पर पहुँच गयी थी। हाँ, हवाई अड्डे( एअरपोर्ट) का एक दृश्य अभी भी मन को खींच रहा है।"गेट २५ पर दो महिलाएं बैठी थीं। एक बोली सुबह से वहाँ बैठी हैं। आकाश एयरलाइंस का टिकट है,मम्बई का। सुबह की उड़ान थी, वह छूट गयी। फिर बेटी ने दूसरा टिकट आँनलाइन भेजा। अब शाम ७.४५ की उड़ान है। गेट नम्बर पता नहीं है। बोर्डिंग पास में भी नहीं ...और पढ़े

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