अदाकारा - 60 Amir Ali Daredia द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अदाकारा - 60

 
                  *अदाकारा 60*
 
     अगली सुबह।
 
सभी न्यूज़ चैनल पर बस एक ही न्यूज़ चल रही थी।
 
"फिल्म एक्ट्रेस शर्मिला की बेरहमी से उसके अपार्टमेंट में हुई हत्या।उसके मर्डर के दो शक मंद अरेस्ट हुए हैं।एक उसका अपना जीजा सुनील है और दूसरा उसकी नई मूवी *हो गए बर्बाद* के मशहूर प्रोड्यूसर जयदेव का बेटा और शर्मिला का को-एक्टर रंजन देव,जिसे इसी मूवी से लॉन्च किया जा रहा था।दोनों को पुलिस कस्टडी में ले लिया गया है।और आगे की इन्वेस्टिगेशन चल रही है।"
 
सुबह ऑफिस जाने से पहले बेहरामने न्यूज़ चैनल ऑन की।और न्यूज़ देखकर वह शॉक हो गया।
 
"मेहर।मेहर यह सुन न्यूज़ वाले क्या बकवास चला रहे है?" 
 
मेहर दौड़ती हुई आई।
 
"क्या हुआ बेहराम?तुम क्यों इतना शोर मचा रहे हो?"
 
"देखो हमारे जीजा सुनील को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है।"
 
"अरे खोदायजी।क्या कर दीया है उसने?"
 
"उसे अपनी ही साली के मर्डर के इल्जाम में अरेस्ट किया गया है।"
 
"वो हीरोईन शर्मिला?उर्मिला की बहन?ना।ना सुनील अयसा नही कर सकता।फ़िर आखिर कीसने मारा होगा उसे?
 
"वो तो मुझे नहीं पता मगर मेहर।बहन पर तो डबल मुसीबत आकर गिरी है।इक तरफ उनकी बहन का मर्डर हो गया और दूसरी और खाविंद भी जेल मे चला गया।हमें इस वक्त बहन के पास जाना चाहिए।"
 
"जी हाँ।बहन को इस वक्त हमारी ज़रूरत होगी।"
 
मेहरने अपने पति की बात मे सम्मति दिखाई।
 
और वे दोनों उर्मिला के घर आ गए।
 
बेहरामने डोरबेल बजाई।
शर्मिलाने आकर दरवाज़ा खोला।
वह तो इन्हें पहचानती ही नहीं थी इसलिए उसने पूछा।
 
"बताओ क्या काम है?"
 
बेहराम और मेहर दोनों ही शर्मिला के लिए तो बिलकुल अजनबी थे।
बेहराम शर्मिला के सवाल से हैरान रह गया।
 
"बहन।क्या इस सदमे से तुम्हारे दिमाग़ को जंग लग गया है?"
 
बेहराम का सवाल सुनकर शर्मिला को लगा कि पक्का यह लोग कोई ऐसे है जिसे उर्मिला अच्छी तरह से जानती थी।इसलिए अब थोड़ी एक्टिंग करनी पडेगी।
 
और वह फ़फ्क फ़फ्क कर रोने लगी।
 
"भाई।मुझ पर तो आसमान ही टूट पड़ा। किसी ने मेरी बहन का कत्ल कर दिया।और पुलिस सुनील पर उसके मर्डर का इल्ज़ाम लगाकर उसे ले गए।"
 
बेहरामने दिलासा देते हुए कहा।
 
“चिंता मत करो बहन सब ठीक हो जाएगा।”
 
बेहराम के खोपड़ी के अंदर जो वकील बैठा था उसे शर्मिला का बर्ताव डाउट फूल लगा। इसलिए उसने वहाँ ज़्यादा देर रुकना ठीक नहीं समझा।वह पाँच ही मिनट के बाद मेहर से बोला।
 
“चलो मेहर चलते हैं।”
मेहरने आश्चर्य से बेहराम की ओर देखा। बेहराम मेहर का बाज़ू पकड़ते हुए खडा होकर 
उसने शर्मिला से कहा।
 
“देखो बहन अगर कोई काम हो तो मुझे ज़रूर बता देना।”
 
शर्मिला भी यही चाहती थी कि ये लोग जल्दी से यहां से चले जाएँ और वह अकेली रहें।
 
“हाँ हा अगर कुछ ज़रूरी होगा तो मैं बता दूँगी।”
 
बेहराम और मेहर घर से बाहर आ गए। पार्किंग लॉट में पहुंचे तो मेहर बोल उठी।
“हमें बहन के साथ रहने की जरूरत थी।” जवाब मे बेहराम ने कहा।
 
“मेहर।यह लड़की उर्मिला बहन नहीं लगती है।”
 
बेहराम की बात सुनकर मेहर चौंक गई।
 
“क्या?यह कैसी पागलों की तरह बात कर रहे हो?”
 
मेहर को तो बिल्कुल भी शक नहीं हुआ था कि यह उर्मिला नहीं कोई और है। 
लेकिन बेहराम का वकील वाला दिमाग काम करने लगा था।
वह बोला। 
"अगर यह बहन होती तो इतनी बड़ी आफत आनेसे रातमे ही हमें खुद फ़ोन कर के बताती यहां तो हम खुद पता चलने के बाद यहां आए तो तुमने नोटिस किया के उसने हमें पहले पहचाना भी नहीं था।उसने पानी तक नही पूछा हमे।और क्या तुमने उसकी आँखें देखीं?मुझे नहीं लगा कि वो जरा रोई भी हो।"
 
"क्या आप भी?आपने देखा नहि वो कितना रो रही थी।"
 
"वो उसका ड्रामा था।मेहर।तुम हमारी कार के पास पाँच-दस मिनट रुको।मैं अभी आता हूँ।"
 
ये कहकर बेहराम मेन रोड पर आया, 
वहाँ उसने एक जलेबी वाले की दुकान से पाँव किलो जलेबी खरीदी और उसने फ़िर से उर्मिला के घर की डोरबेल बजाई। 
शर्मिलाने दरवाज़ा खोला। 
फिर से बेहराम को देखकर उसने पूछा।
 
"क्या तुम कुछ भूल गए हो?"
 
तो बेहराम ने जलेबी का पैकेट दिया और कहा
 
"लो बहन मैं आपके लिए गरमागरम जलेबी लाया हूँ।"
 
"जलेबी?"
 
शर्मिला ने मुँह बनाया।
 
"सुबह-सुबह जलेबी कौन खाता है?" 
बेहरामने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया।
 
“ओह मुझे याद आया तुम्हें वैसे भी जलेबी कहा पसंद है?”
 
वह लौट कर पार्किंग लॉट में वापस आया।
 
“मेहर।यह बात पक्की है की ये उर्मिला तो नहीं है।”
 
“कैसे जाना?”
 
मेहर ने पूछा।
 
“बहन को जलेबी कितनी पसंद थी?और इस ने तो जलेबी का नाम सुनकर मुंह बिगाड़ लिया।और बहनने कहा भी था कि उनकी इक ट्वींस बहन है जो बिल्कुल उन्हीं की तरह दिखती है।तो यह उनकी बहन है।और।और जिसका मर्डर हुआ है वह उर्मिला बहन ही होगी तो इस दाल में कुछ काला ज़रूर है, मेहर।”
 
बोलते-बोलते बेहराम की आवाज़ भर्रा गई। और वह छोटे बच्चे की तरह रोने लगा।
मेहर की आँखें भी नम हो गईं।फिर उसने बेहराम को दिलासा देते हुए कहा।
 
“हिम्मत रखो बेहराम।अगर तुम्हारा शक सच है तो तुम्हें जाकर सुनील को सच बता देना चाहिए।”
 
“हाँ तुमने सही कहा मेहर।आज मैं ऑफिस नहीं जाऊँगा मैं सुनील से मिलने पुलिस कस्टडी में जाऊँगा।” 
 
(क्या होगा जब सुनील को पता चलेगा कि शर्मिला की नहीं लेकिन उर्मिला की हत्या हुई है?)