*अदाकारा 58*
"मेरा बैंगलोर का काम एक दिन पहले खतम हुआ तो होटल में रुकने के बजाय मैं अपने घर आ गया।"
सुनीलने अपना पक्ष रखने की भर पुर कोशिश की।
तभी बृजेशने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।
"और इसकी टाइमिंग भी कितनी बेहतरीन हुई हैना?आप यहां फ्लाइट से उतरे और वहां उसी समय शर्मिला की हत्या हो गई।और हाँ मिस्टर सुनील ये आपके माथे पर जो चोट के निशान है इसके लिए क्या बहाना है?"
"बहाना?"
सुनीलने चौंकते हुए पूछा।
"हाँ।हाँ बहाना?बताओ तो सही।में भी तो सुनु कौनसी स्टोरी तुम बनाते हो?"
बृजेश के स्वर मे व्यंग भरा लहजा था।
"मैं बैंगलोर के जिस होटलमे ठहरा हुआ था उसके वॉशरूम में हाथ-पैर धो रहा था और फिसल गया।और बाथरूम का नल मेरे माथे से टकराया।और यह सच है कोई बहाना नहीं है ओके?"
सुनील गुस्से से एक ही साँस में बोल गया।
"हो गया?तुम्हारी स्टोरी हो गई?अब मेरी बात सुनो।तुमने शर्मिला पर हमला किया।उसके कपड़े फाड़ दिए और अपनी रक्षा में शर्मिला ने मेज़ पर रखे फूलदान से तुम्हारे माथे पर वार कर दिया।ओर इसलिए गुस्से में आकर तुमने उसका गला घोंटकर उसे मार डाला।"
"यह बिल्कुल ग़लत है।"
सुनीलने दुःखी स्वर में कहा।
"यह ग़लत है या सच यह तो अदालत में ज़रूर साबित हो ही जाएगा।फ़िलहाल इस वक्त तुम हमारे साथ चलो और हवालात की हवा का मज़ा चखो।"
यह कहते हुए बृजेशने सुनील के हाथों में हथकड़ी लगा दी।
अब तक सुनील और बृजेश के बीच चल रही बहस के दौरान रोते हुवे हिचकियां भर रही शर्मिलाने सुनील के हाथोमे हथकड़ी लगते ही अपना मुँह खोला और बोली।
"अफ़सर!मेरी बात सुनो।"
"क्या तुम्हें भी कुछ कहना है?बोलो।"
"मेरा सुनील निर्दोष है।"
"ठीक है।मान लेते हे तो अब सबूत दो।अगर सुनील ने नहीं तो यह हत्या किसने की है? और अब कृपया सुनील को बचाने के लिए यह मत कहना फिल्मों की तरह की मैंने खुद ही ये क़त्ल किया है।”
बृजेश की इस कॉमेडी का असर सिर्फ़ राघव पर हुआ जो उसके साथ आया था।
वह ये सुन कर खी खी कर के हँसने लगा।
लेकिन शर्मिला पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
"हमारी शादी के दौरान मेरा शर्मिला से झगड़ा हो गया था।और शर्मिला से हमारी बातचीत तीन साल तक बंद रही थी।फिर अभी तीन महीने पहले हमारे जन्मदिन पर उसने मुझसे फ़ोन करके माफ़ी माँगी थी।और तब से हमारे बीच सुलह हो गई थी...."
"तो इससे कैसे साबित होता है कि सुनील निर्दोष है?"
बृजेश बीच में ही बोल पड़ा।
"मैं उसी विषय पर आ रही हूँ अफसर। शर्मिला से मेरी बातचीत शुरू होने के बाद वह मुझसे हर बात शेयर करती थी।अभी कुछ दिन पहले उसकी नई फिल्म *हो गए बर्बाद* के सेट पर उसके को-एक्टर रंजन देवने उसके साथ बतमीज़ी की थी तो शर्मिला ने उसे खिंच कर थप्पड़ मार दिया था।तब रंजन ने शर्मिला को देख लेने की धमकी भी दी थी।हो सकता है शायद रंजनने शर्मिला की हत्या की हो?या करवाई हो?"
शर्मिला की बात सुनकर बृजेश को लगा कि बात में दम है।
उसने पूछा।
"क्या सच में ऐसा हुआ था?इसका क्या कोई सबूत है?"
"उस फिल्म के निर्देशक मल्होत्रा से पूछये वो जरूर सच जानते होंगे।"
"ठीक है।हम उस पहलू की भी जाँच करेंगे। लेकिन अभी तो हम सुनील को ले जा रहे हैं।"
और बृजेश सुनील को लेकर चला गया।
मल्होत्राने फ्रिज से शराब की एक बोतल निकाली और एक पैग बनाया।और गिलास हाथ में लेकर उसने टीवी ऑन किया।उस वक्त रात के बारह बजे की ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी।
"इस घंटे की सबसे सनसनी खेज खबर।जानी मानी मशहूर उभरती अदाकारा शर्मिला की उसीके फ्लैट में किसीने गला घोंटकर हत्या कर दी।पुलिस हत्यारे की तलाश मे।"
जैसे ही मल्होत्राने खबर देखी सुनी।वह जहाँ बैठा था वहीं से उछल पडा।
"ओ माय गॉड।"
उसने तुरंत निर्माता जयदेव को फ़ोन मिलाया।
"हेलो सर।"
"क्या हुआ भाई?तुम इतने डरे हुए क्यों हो?"
"क्या आपने न्यूज देखी सर?"
"नहीं।क्या हुआ है?"
"सर।हमारी हिरोइन शर्मिला की किसने हत्या कर दी"
मल्होत्रा की बात सुनकर जयदेव चौंक गया।
"क्या।क्या कहा?शर्मिला की हत्या?"
"हा सर।रंजन सर कहाँ हैं?कहीं ये..."
मल्होत्राने अपने मनमे उठी हुई आशंका व्यक्त की
"शुभ शुभ बोलो मल्होत्रा।मेरे तो हाथ-पैर सुन्न हो रहे हैं।अभी फ़ोन रख दो में बाद में बात करता हूं।"
जयदेव फ़ोन काटते हुए रंजन के बेडरूम की ओर भागा।
और जैसे ही फ़ोन डिस्कनेक्ट हुआ मल्होत्रा के मोबाइल पर बृजेश का फ़ोन आया।
"मल्होत्रा।में इंस्पेक्टर बृजेश बोल रहा हूं।"
पुलिस का फ़ोन अपने मोबाइल पर देखकर मल्होत्रा काँप उठा।
"जी…जी बोलिए।"
"मल्होत्रा अभी इसी वक्त वर्सोवा पुलिस स्टेशन आ जाओ।"
"जी जी हाँ।मैं अभी आ रहा हूँ,सर।"
(आखि़र किसने कि होगी उर्मिला की हत्या? सुनील या रंजन?या कोई ओर?पढ़ते रहिए अदाकारा)