कभी यादो मे आओ - 6 Vartikareena द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कभी यादो मे आओ - 6

कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) 







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रात का समय था सुरज अपनी किरणें समेटकर जा चुका था आराम करने और चाँद मां का आंचल छोड़ अपनी चांदनी से सबका मन मोहने के लिए आकाश में विराजमान हो चूका था ।
इसी चांदनी रात में मुम्बई के एक मोल में हार्दिक कुछ समान लेने आया था । वो अपने समान ले ही रहा था कि किसी से टकरा गया । हाथ में पकड़ा सारा समान नीचे गिर चुका था और उस से हुई आवाज के कारण सबका ध्यान हार्दिक कि तरफ आकर्षित भी हो चुका था । 

वो नीचे बैठकर अपना समान उठाने लगा । हार्दिक जिससे टकराया था वो इंसान भी झुककर अपना समान उठा रहा था । हार्दिक ने एक नजर उसे देखा फिर उठकर कैश काउंटर पर चला गया । उसने अपना बिल पे किया और बाहर आ गया । 

हार्दिक ने भले ही उस इंसान पर ध्यान नहीं दिया जिससे वो टकराया था पर उस आदमी कि नजरों में तो हार्दिक बुरी तरह चढ़ चुका था । वो पुरा टाइम हार्दिक को देखता रहा और हार्दिक के बाहर निकलते ही वो भी बिल पे कर बाहर आ गया । 

वो इंसान एक निश्चित दुरी बनाकर चल रहा था ताकि उसे हार्दिक का पीछा करने में कोई दिक्कत ना हो ।
हार्दिक को ये एहसास हो गया था कि कोई उसका पीछा कर रहा है आखिर वो पुलिस वाला है पता तो चल ही जाएगा  !

हार्दिक आराम से चल रहा था वो‌ नहीं चाहता था कि ' अजनबी ' को ये पता चले कि वो जान चुका है कि कोई उसका पीछा कर रहा है । 
हार्दिक ने अपना फोन निकाला और अपनी लाइव लोकेशन किसी को सेंड कर दी ।
अचानक हार्दिक एक जगह आकर रुक गया । उसने पीछे मुडकर देखा तो उसे कोई नहीं मिला । वो ' अजनबी ' एक खंभे कि आड़ में छिपा गया था । ' अजनबी ' ने झांक कर देखा तो उसे हार्दिक एक गली में मुड़ता नजर आया वो जल्दी से हार्दिक के पीछे उस गली कि तरफ बढ़ा पर जैसे ही उस गली में दाखिल हुआ एक जोरदार लात उस अजनबी के सीन पर पड़ी ....!!!!!!!

वो आदमी संभल नहीं पाया और नीचे गिर पड़ा...! 
हार्दिक उसे देख बोला " ऑलरेडी ही तुम गिरे हुए हो और कितना गिरोगे ...! "

वो आदमी अपना सीना पकड़े खड़ा हुआ । वो इस समय हद से ज्यादा गुस्से में आ गया था और साथ ही वो हैरान भी था हार्दिक कि चालाकी पर ! 

वो आदमी उसे गुस्से से घूर रहा था । उस गली में अंधेरा था  और उस आदमी ने अपने आप को काले कपड़ों में ढक रखा था । 
हार्दिक कुछ समझ पाता उस से पहले उस आदमी ने उस पर हमला कर दिया । 
हार्दिक लड़खड़ा गया...! उसे अपनी कमर पर बहुत तेज दर्द महसूस हुआ !!! 
हार्दिक ने अपनी कमर के पास देखा तो पाया कि उस आदमी ने एक चाकू पकड़ रखा था जो उसने बड़ी बेरहमी से उसकी कमर में घुसा दिया था । 

हार्दिक ने उस आदमी को देखा । उस आदमी ने चाकू बाहर निकाला और हार्दिक को एक लात मार दी !!!! 
हार्दिक पीछे कि तरफ धकेला गया । 

हार्दिक ने अपनी कमर पर हाथ रखा और अपनी आंखें बंद कर बिल्कुल स्थिर खड़ा हो गया । वो अजनबी अपनी आंखें छोटी कर हार्दिक को देखने लगा उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये इसके सामने जो इंसान खड़ा है वो कुछ करने के बजाय ऐसे क्यों खड़ा है । 
वो अपनी सोच में अभी गुम ही था कि हार्दिक चीते कि तरह उसपर झपट पड़ा ...! 
हार्दिक ने उसका वो हाथ पकड़ा जिसमें चाकू था और उस अजनबी के हाथ पर एक झटका दिया जिससे उस आदमी कि हाथ कि हड्डी टूट गई !!! झटका इतना तेज था कि अजनबी अपना हाथ पकड़े दो कदम पीछे हट गया । उसके हाथ से चाकू भी छूट कर कहीं गिर गया था । 
वो अभी अपने हाथ को ही देख रहा था कि हार्दिक ने एक बार फिर एक जोरदार लात उस आदमी के सीने पर दे मारी ...! 
हार्दिक आगे बड़ा ही था कि उस आदमी ने जेब से एक सुई निकाली और हार्दिक के पैर में घुसा दी । दर्द कि एक तीखी लेहर हार्दिक के शरीर में दौड़ गई ..!!!! 

हार्दिक ने सुई निकाली और उसे फेंक दिया । उसने अपनी गन‌ निकाली और उस अजनबी के पैर पर गोली मारी दि ...!
वो उसे जींदा पकड़ा चाहता था ताकी ये जान सके कि वो अजनबी आखिर कौन है और उसका पीछा क्यो कर रहा था । 

हार्दिक उस आदमी को पकड़ने के लिए आगे बड़ा ही था कि उसका सर चकरा गया और वो वहीं गिर पड़ा ।।

उस गली में दो आदमी गिरे पड़े थे ! एक तो वो अजनबी और दूसरा हमारा इन्स्पेक्टर !!! 
तभी वहां खंभे के पीछे से एक आदमी बाहर निकल कर आया । वो आदमी सफेद कपड़ों में ढका था । उसने एक नजर दोनों लोगों पर डाली ...!

उसने अपनी जेब से एक इंजेक्शन निकाला और उसमें एक दवाई भरी .! फिर वो इंजेक्शन उसने हार्दिक के गले के पास लगा दिया ‌।
उसने हार्दिक के हाथ से उसकी गन ली और पास में ही पड़े उस अजनबी के माथे के बीचों-बीच गोली मारी दि .!!!!!!! 

गली में खून ही खून फैल गया ...! उसने उसी खून से गली कि सड़क पर कुछ लिखा पर वो जल्दी ही मिट गया क्योंकि बारिश होने लगी थी । बारिश के पानी में सारा खून‌ धुल गया । 
उसने हार्दिक को अपने कंधे पर लादा और चला गया ।।।




**********
अगली सुबह 
पुलिस स्टेशन
मुंबई

एसिपि ने किसी को कॉल लगाया । दो रींग में फोन उठ गया । 

एसिपि " अभिक ... तुझ से मिलकर बात करनी है... सनसाईन कैफे में आधे घंटे में मिल मुझे ...! "

और बिना जवाब सुने फोन काट देता है । 
अभिक अपने फोन को घूर रहा था । 

" ये कभी जवाब का इंतजार नहीं करता ...! "

अभिक से बात करने के बात एसिपि ने सक्षम को फोन किया और उसे भी सेम बात कही और बिना जवाब जाने फोन रख दिया । फिर उसने हार्दिक को फोन किया पर हार्दिक का फोन बंद आ रहा था । 

एसिपि ने दो तीन बार ट्राई किया पर कुछ फायेदा नही हुआ । उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया इस बात पर ‌। एसिपि ने फोन अपनी जेब में डाला और निकल पड़ा सनसाईन कैफे कि ओर ...!


एसिपि ने एक गलती कर दी कि उसने अपना वाट्सअप चैक नहीं किया वरना उसे अब तक हार्दिक का पता चल चुका होता ...! 




**************
सनसाईन कैफे
( काल्पनिक )
मुंबई

एसिपि , अभिक , सक्षम और सानवी सब एक टेबल पर गोलाई में बैठे थे । सब लगातार एसिपि को देखें जा रहे थे । 

एसिपि ने ठंडी आवाज में कहा " मुझे देखना हो गया हो तो काम कि बात करें ..! "

एसिपि कि बात सुन सब झेंप गए !!!

सानवी " हम तुम्हें देखना बंद कर देंगे अगर तुम वो बात बताओ जिसे बताने के लिए तुमने हमें यहां बुलाया है । "

तभी अभिक बोला " क्या पता चला है तुम्हे ..??? "

एसिपि एक नजर अभिक को देखता है फिर कुछ फोटोग्राफ्स उसके सामने रख देता है । 
अभिक उन फोटोग्राफ्स को देखने लगता है । जैसे जैसे वो तस्वीरें बदल रहा था वैसे वैसे उसकी आंखों में दिख रहे भाव भी बदल रहे थे ...! 

अभिक ने गुस्से से ऐसिपि को देखा और बोला " अभ्युदय दायमा ...!!!  ये अभी भी जिंदा है ! "

एसिपि ने हां में सर हिला दिया । वहीं सानवी और सक्षम को कुछ समझ नहीं आया । वो तो बस कभी एक दूसरे को देखते तो कभी अभिक और एसिपि को ...! 

सानवी एसिपि से पुछी " ये अभ्युदय दायमा कौन है ??? "

सानवी का सवाल सुन एसिपि कुछ सोचने लगता है । 
फिर उसने अभिक कि तरफ देखा और उसे सब बताने का इशारा किया ।

अभिक ने एक गहरी सांस ली और सब कुछ बताना शुरू किया । 

" अभ्युदय एक समय में मेरा और इसका ( एसिपि कि तरफ इशारा कर ) बहुत खास दोस्त हुआ करता था । हम तीनो हमेशा साथ रहा करते थे । खाना पीना खेलना सबकुछ साथ करते थे हमें देखकर लोगो को ये लगता ही नहीं था कि हम एक मां कि औलाद नहीं है ! 
हम बचपन से साथ थे ।  स्कूल कमपलीट किया फिर कॉलेज में आए और वहा हम तीनो को अपना अपना प्यार मिला ...! मुझे वंदिता मिली , अभ्युदय को अनामिका और इस एसिपि को ... "

ऐसिपि " मेरा प्यार ... बस !! " 
अभिक उसको देखता है साथ सक्षम सानवी भी । सानवी सोचती है " अगर हमें नाम बता देगा तो क्या हो जाएगा ? हम कौन सा इसकी बीवी को नजर लगा देंगे ...! "

अभिक आगे बोलना जारी रखता है । 
"  हमने कॉलेज कमपलीट किया और अपने अपने काम पर लग गए । मैं एक आम लेखक से मशहूर लेखक बना , वंदिता ने अपना सिंगर बनने का सपना पूरा किया , इसने यु०पि०एस०सी कलियर किया और अभ्युदय ने अपना बिजनेस किया । "
अभिक ने एक तस्वीर उठाई और सक्षम और सानवी को दिखाते हुए बोला " इस तस्वीर में जो ये टिवनींग किए कपल खड़े हैं ना ये ही है अभ्युदय और अनामिका ! इस समय में अनामिका मां बनने वाली थी...! "

" मुझे याद है इसके बाद से ही चीजें बिगड़नी शुरू हुई थी ! "

सानवी- सक्षम एक साथ " क्या हुआ था ??? "

अभिक गुम हो गया था उस समय में और उसने सबको सबकुछ बताना शुरू किया " मै , वंदिता , ये एसिपि और इसकी बीवी , आशी , कुछ और कपल और भी कई लोग आए थे । अनामिका कि गोद भराई कि रस्म थी । सारे गेस्ट के जाने के बाद हम भी जाने लगे लेकिन अभ्युदय ने हमें रोक लिया ये बोलकर कि आज यही रूक जाओ ; रात बहुत हो गई है कल चले जाना । उसकी बात मान हम सभी रूक गए थे । " 

" सब अपने अपने कमरे में चले गए थी । "

अभिक और वंदिता अपने कमरे में आए । कमरे में आते ही वंदिता ने अभिक कि बाजु पकड़ ली । 
अभिक ने उसकी तरफ देखा वंदिता किसी उलझन में नजर आ रही थी ‌।
अभिक वंदिता का चेहरा अपने हाथों में भरकर बोला " क्या हुआ ?? इतनी परेशान क्यों हो ..! "

वंदिता " अभिक ..  अनामिका कुछ परेशान लग रही थी । मतलब वो मां बनने वाली हैं उसकी गोद भराई थी आज पर उसके चेहरे पर वो खुशी नजर नहीं आ रही थी जो इस समय किसी भी मां के चेहरे पर होनी चाहिए । "

अभिक " तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो ..! शायद वो‌ थक गई हो इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है । "

वंदिता ने चिढ़ कर उसे देखा । वो कमरे से बाहर निकल आई । उसे देख अभिक ने अपनी गर्दन ना में हिला दी ।

वंदिता बड़बड़ाते हुए आशी के कमरे कि तरफ जा रही थी कि रास्ते में किसी से टकरा गई ...! 
उसने सामने देखा तो पाया वो एसिपि कि वाइफ से टकरा गई थी । 

एसिपि कि बीवी ने उसे पकड़ा और बोला " अरे वंदिता आराम से ...! इतनी जल्दी में और गुस्से में कहा जा रही हो । "
वंदिता ने सबकुछ एसिपि कि बीवी को बता दिया । वो भी थोड़ा परेशान हो गई । 
उसने वंदिता से कहा " ये तो मैंने भी‌ नोटिस किया था ..." 
वो आगे कुछ कहती कि पीछे एक आवाज आई " मैंने भी नोटिस किया था । " 

दोनों ने आवाज कि दिशा में देखा तो पाया सामने आशी। खड़ी थी । 
आशी उनके पास आई और बोली " मैंने भी इस बात पर ध्यान दिया था । " 
" दी एक बार अनामिका दी से जाकर पुछे उनकी उदासी का कारण...! "

वंदिता और एसिपि कि वाइफ को ये सही लगा और वो तीनों अनामिका के कमरे कि तरफ बढ़ गई । 
वो जैसे ही अनामिका के कमरे के पास आई तो उन्हे कमरे के अंदर से अनामिका के चीखने कि आवाज आई ...! 
उन तीनों ने एक-दूसरे को देखा फिर खिड़की से अंदर झांकने लगी । 
अंदर अनामिका नीचे पड़ी हुई थी उसके जिस्म पर बस एक छोटी सी नाईटी थी और कुछ नही...! सामने अभ्युदय खड़ा था जो इस समय काफी गुस्से में लग रहा था । 
उसने झुक कर अनामिका के बाल कसकर पकड़े और गुस्से से उसे बोला " खबरदार जो लड़की पैदा होने कि बात करी ..! मुझे लड़का ही चाहिए समझी ...! "

अनामिका दर्द में बोली " लेकिन ये मेरे हाथ में नहीं । ".

अभ्युदय ने कसकर एक थप्पड़ अनामिका को जड़ दिया । वो अभी उसे और मारता कि किसी ने आकर उसका हाथ पकड़ लिया । 
वो एसिपि कि पत्नी थी ।

अभ्युदय अपनी आंखें छोटी करके उसे देखता है । 
वो गुस्से में बोला " हाथ छोड़ो मेरा ..! "

एसिपि कि पत्नी उतने ही गुस्से में " ताकि तुम अनामिका को दोबारा मार सको ..! "

अभ्युदय " मेरी बीवी.... मैं चाहे जो करूं !!! तुम होती कौन हो मुझे रोकने वाली । "

" मैं दोस्त हूं अनामिका कि और उसके ऊपर हो रहे अत्याचार को सहन नहीं करूंगी ..! "

अभ्युदय गुस्से में अपना हाथ झटकता है । एसिपि कि पत्नी संभल नहीं पाती और पीछे कि तरफ लड़खड़ा जाती है लेकिन‌ वो गिरती कि तभी वंदिता उसे संभाल लेती है । 
वंदिता उसे सहारा देती है और अभ्युदय कि तरफ गुस्से से देखते हुए बोली 
" ये क्या हरकत है अभ्युदय...! "

" तुने इसकी हरकत नहीं देखी । ये क्यूं मेरे और मेरी बीवी के मामले में घुस रही है । "

वंदिता उसे घूरते हुए " बीवी ... तुझे याद है अनामिका तेरी पत्नी है !! तू उस पर हाथ कैसे उठा सकता है और ये जानते हुए भी कि वो मां बनने वाली हैं । "

" अगर अनाप-शनाप बोलेगी तो मार खाएगी ही ...! "

तभी आशी बोली " क्या ग़लत कहा अनामिका दी ने । बेटा होगा या बेटी ये उनके हाथ मे नहीं है !!! "

" आशी तू छोटी है तो छोटी बनकर रह ..! बड़ों के मामले में घुसने कि जरूरत नहीं है । "

" जब बड़े अपनी हद भुल जाए तो छोटों को तो बीच में घुसकर उन्हें उनकी हद याद दिलानी ही पड़ती है । "

तभी अनामिका खड़ी होकर बोली " तुम तीनों जाओ यहां से ...! ये मेरा और मेरे पति के बीच का मामला है । "

वंदिता " अनामिका... ये क्या बोल रही है तू ?? "

" मैंने कहा ना जाओ ..! "

अभ्युदय " सुना नहीं तुम तीनों ने ...जाओ यहां से..! "

वो तीनों अभ्युदय को घूरती हुई वहां से चली गई ।
कमरे में अनामिका कांप रही थी । वो बेड के एक साइड जाकर सो गई । 
अभ्युदय ने दरवाजा बंद किया और अनामिका कि तरफ बढ़ गया । 
अनामिका आंखें बंद करें उस घड़ी को कोस रही थी जब उसने अभ्युदय से प्यार करने कि गलती करी थी ।
ये रोज का हो गया था । अनामिका ने सोचा भी नहीं था कि जो अभ्युदय उसके साथ जीने मरने के दावे करता था आज वो ही अभ्युदय उसके साथ जानवरों से भी बत्तर व्यवहार कर रहा था । शादी से पहले तो कभी लगा नहीं कि ये ऐसा होगा । 
अनामिका अभी अपनी सोच में गुम ही थी कि उसे अपने ऊपर भार महसूस हुआ । उसने आंखें खोल कर देखा तो अभ्युदय उसके ऊपर लेटा हुआ था । 

अनामिका ने सोचा " मार पीट के साथ ये भी रोज का हो गया है । " 
उसने अभ्युदय को खुद से दूर करते हुए कहा " दूर हटो ...! "

" क्या कहा तुमने .. एक बार फिर से तो कहना...! "

अनामिका ने कांपते हुए कहा " अभि मैं ... मैं बहुत थक गई हूं और तुम जानते हो मैं मां बनने वाली हूं तो ऐसी हालत में ये करना ठीक नहीं ...! "

अभ्युदय " अभी बस तीसरा महीन लगा है । "
और वो अनामिका कि तरफ झुक गया । अनामिका ने उसे रोकने कि कोशिश करी लेकिन अभ्युदय कि ताकत के आगे हार गई । 
पुरी रात वो तड़पती रही ...! लेकिन अभ्युदय को उसपर जरा भी तरस नहीं आया । 

अगली सुबह सब तैयार होकर बाहर आए । अनामिका भी धीरे धीरे चलते हुए नीचे आई । 

वंदिता , आशी और एसिपि कि पत्नी तीनों ही अनामिका को देखती है और समझ जाती है कि कल रात उसके साथ क्या हुआ है ! 

वो तीनों बेहद गुस्से में आ जाती है और अभ्युदय को घूरने लगती है लेकिन कुछ कहती नहीं क्योंकि अनामिका खुद कुछ नहीं बोल रही थी इसलिए वो भी कुछ नहीं कर सकती थी । 

अनामिका खाना बनाने के लिए किचन कि तरफ बढ़ जाती है । वो तीनों भी उसके पीछे किचन में जाती है । 

एसिपि कि पत्नी " अनामिका...!!! "

अनामिका उसकी तरफ देखती है । 
" तुम कुछ बोलती क्यू नही हो अना.... । "

" क्या बोलूं !! अभि से शादी करने के फैसला मेरा खुदका था । मम्मी पापा ने बहुत मना किया था इस शादी के लिए शायद वो दोनों जानते थे अभ्युदय कि सच्चाई।।। "

वंदिता " तुम एक बार बोलकर तो देखो हम तुम्हारे साथ है । "

अनामिका कुछ कहती की उसे अपने नीचले हिस्से में तेज दर्द महसूस होता है वो चिल्लाते हुए नीचे बैठ जाती है । 
अनामिका कि आवाज सुन अभ्युदय, अभिक और एसिपि तीनों अंदर आ जाते हैं ‌। तीनो लड़कियां अनामिका के पास बैठी उसे उठाने की कोशिश कर रही थी । 

वहां का नजारा देख तीनों आदमी हैरान रह जाते है । 

जमीन पर खून ही खून फैला हुआ था । 


क्रमशः 

इस भाग में बस इतना ही । आगे जानने के लिए बने रहे मेरी इस कहानी के साथ " कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) 
जल्द ही ये कहानी खत्म हो जाएगी । इसके कुछ दो या तीन भाग रहते हैं तो जल्दी ही लिखकर इसे खत्म करने का कोशिश करूंगी ।