अनदेखा प्यार - 5 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनदेखा प्यार - 5


❤️ एपिसोड 5 – "दिल का फैसला"



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प्रारंभिक दृश्य – दिल की बेचैनी

रात के सन्नाटे में नाज़ अपनी बालकनी में बैठी थी।
बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी — और उसके भीतर एक जंग चल रही थी।
एक तरफ बीते रिश्ते की राख, और दूसरी तरफ फैजल की नर्म मुस्कुराहट, उसकी खामोश मौजूदगी, और बिना माँगे सब दे देने वाला प्यार।

"क्या मैं सच में प्यार के लायक हूँ?"
"क्या फैजल मुझे वैसे ही अपनाएगा जैसे मैं हूँ – टूटी, थकी, मगर सच्ची?"

उसने अपनी डायरी में लिखा:

> "दिल को समझा लिया था…
पर अब वो समझाने से नहीं, महसूस करने से मानता है।"




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दूसरी तरफ – फैजल का आत्मसंघर्ष

फैजल ने नाज़ से आखिरी मुलाकात के बाद खुद को काम में झोंक दिया था।
वो न तो नाज़ से मिल रहा था, न कोई मैसेज भेज रहा था।

मुनावर अब भी शहर में था, पर अब फैजल के लिए वो सिर्फ एक नाम था — एक बीता पन्ना, जो जलकर राख हो चुका था।

फैजल का दोस्त (राशिद): "तू पागल है क्या? अगर उससे प्यार करता है तो जाकर बोल दे… इससे पहले कि फिर से देर हो जाए।"

फैजल: "मैं उसे खोना नहीं चाहता।
लेकिन अगर मेरे पास आना उसका फैसला होगा, तो वो प्यार होगा।
वरना ज़िद नहीं… मोहब्बत हार सकती है, मगर मजबूर नहीं होती।"


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नाज़ की माँ से बात

नाज़ अब सब कुछ अपनी माँ से बाँटती थी।
उसने मुनावर की सच्चाई भी बताई, और फैजल की खामोश मोहब्बत भी।

माँ: "बेटा, कभी-कभी सही आदमी सही वक़्त पर मिलता है…
पर हमें खुद को तैयार करना होता है उसे पहचानने के लिए।
जो बिना शोर किए साथ रहे, वही प्यार होता है।"

नाज़ की आँखें भर आईं।


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फैजल की स्टूडियो में एक दिन

फैजल अपने स्टूडियो में बैठा एक नया ड्रेस डिज़ाइन बना रहा था।
वो कागज़ पर एक लड़की का स्केच बना रहा था – खुले बाल, गीली आँखें, और हल्की सी मुस्कुराहट।

उसी पल, दरवाज़े की घंटी बजी।

दरवाज़ा खोला – सामने नाज़।

"तुम्हें एक बात कहनी है," – नाज़ की आवाज़ कांप रही थी।

"बोलो," – फैजल धीमे से बोला।

"मैं तुम्हें नहीं समझ पाई…
क्योंकि मैं खुद को ही नहीं समझ पाई थी।
लेकिन अब जानती हूँ, प्यार क्या होता है…
तुम हो, फैजल।
तुम ही हो — मेरा दिल का फैसला!"

फैजल जैसे पत्थर की तरह जड़ हो गया। फिर उसकी आँखों में नमी उतर आई।

"मुझे और कुछ नहीं चाहिए…
बस ये वादा करो कि जब बारिश होगी,
तो हम साथ भीगेंगे — बिना डर के, बिना पर्दे के।"

नाज़ ने फैजल का हाथ थामा।
फैजल ने अपनी उंगलियाँ उसके हाथों में उलझा दीं।

"अब हर फैसला साथ होगा..."


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क्लोजिंग सीन: प्यार की एक नयी परिभाषा

वो दोनों बाहर आए –
बारिश अब भी हो रही थी।
इस बार न कोई छतरी थी, न कोई बहाना।

बस दो लोग —
जो भीग रहे थे…
एक-दूसरे के फैसले में,
एक-दूसरे के प्यार में।


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❤️ एपिसोड 5 समाप्त – "दिल का फैसला"